World Cancer Day: कैंसर के इन लक्षणों को महिलाओं को नहीं करना चाहिए नज़रअंदाज़!
World Cancer Day: पिछले कुछ दशकों में कैंसर के मामले दुनियाभर में तेज़ी से बढ़े हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए यह कहना बिलकुल ग़लत नहीं होगा कि कैंसर एक ऐसी बीमारी बन गई जिसको लेकर लोग काफी डरे रहते हैं। जेनेटिक, उम्र और वातावरण ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से कैंसर सेल्स की ग्रोथ की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए इस बीमारी का जितनी जल्दी पता लग जाए उतना अच्छा है।
आंकड़ों के अनुसार, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में कैंसर होने का जोखिम कहीं ज़्यादा होता है। स्तन कैंसर सबसे आम तरह का कैंसर है, जिसके बाद सर्वाइकल और फिर ओवेरियन कैंसर आता है। आज यानी 4 फरवरी को दुनियाभर में विश्व कैंसर दिवस मनाया जा रहा है।
रेडियोलॉजिस्ट और मेडस्केपइंडिया की संस्थापक अध्यक्ष, डॉ. सुनीता दूबे का कहना है, “विश्व कैंसर दिवस, जागरूकता फैलाने, परिवर्तन को प्रेरित करने और कैंसर के वैश्विक प्रभाव को कम करने के लिए मनाया जाता है। विश्व कैंसर दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य कैंसर के बारे में गलत धारणाओं को कम करना और लोगों को इसकी सही जानकारी दे कर मदद करना है। यह कैंसर मरीजों को जीवन में एक बेहतर प्रभाव बनाने का मौका भी देता है। कैंसर का अर्थ कतई सजा-ए-मौत नहीं है। कैंसर के लक्षणों को अगर शुरुआत अवस्था में पहचान लिया जाए तो इलाज के जरिये अधिकतर कैंसर पर विजय प्राप्त की जा सकती है।”
तो आइए इस दिन जानें कि महिलाएं कैंसर से बचाव के लिए क्या कर सकती हैं। शरीर में कैंसर की ग्रोथ का समय पर पता लग जाए, तो इससे पूरी तरह ठीक हुआ जा सकता है। आइए जानें कुछ ऐसे लक्षणों के बारे में जिन पर आपको खास ध्यान चाहिए।
असामान्य ब्लीडिंग
सभी महिलाओं को कभी-कभी अनियमित पीरियड्स या ऐंठन का अनुभव होता है। लेकिन लगातार दर्द या आपके पीरियड्स साइकल में बदलाव कैंसर का संकेत हो सकता है। पीरियड्स का 7 दिन से ज़्यादा चलना या फिर बड़े ब्ल्ड क्लॉट्स का निकलना हेवी पीरियड माना जाता है, जो कि नॉर्मल नहीं है। यहां तक कि दो पीरियड्स के बीच ब्लीडिंग होना भी चिंता की बात है। ये भले ही आम परेशानी लगे, लेकिन ये सर्वाइकल, यूटरिन या फिर ओवेरियन कैंसर का भी संकेत हो सकते हैं। इसलिए ऐसे लक्षण दिखने पर फौरन डॉक्टर से संपर्क करें।
संभोग के बाद रक्तस्राव
संभोग के बाद स्पॉटिंग या रक्तस्राव के कई कारण हो सकता है। ये एक संक्रमण, वजाइनल ड्राइनेस या फिर सर्वाइकल कैंसर का संकेत हो सकता है। यहां तक कि 11 प्रतिशत मामलों में संभोग के बाद ब्लीडिंग होने के पीछे कैंसर ही कारण होता है, इसलिए इन लक्षणों को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
मेनोपॉज़ के बाद ब्लीडिंग
मेडिकल एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर कोई महिला मेनोपॉज़ के बाद भी ब्लीडिंग का अनुभव करती है, तो ये यूटरिन या फिर सर्वाइकल कैंसर की निशानी हो सकती है।
पीरियड्स के दौरान दर्द
पीरियड्स के दौरान आमतौर पर दर्द और ऐंठन का अनुभव होता है। ये पीरियड्स की साइकल के पहले या दौरान सामान्य, हालांकि, अगर ऐसा 40 की उम्र के बाद होता है, तो इसे नज़रअंदाज़ न करें। 40 की उम्र के बाद पीरियड्स के दौरान दर्द होना कैंसर का संकेत हो सकता है।
पेट में सूजन
ओवेरियन कैंसर का निदान करना सबसे कठिन है, क्योंकि इसमें कोई खास लक्षण नहीं दिखते हैं। पेट में किसी भी तरह का खिचांव या सूजन, अपच, आंत्र में बदलाव, वजन में कमी और भूख न लगना ओविरियन कैंसर का संकेत हो सकता है।
स्तन में बदलाव होना
स्तन कैंसर महिलाओं में सबसे आम तरह का कैंसर है। ज़्यादातर महिलाओं को अपने स्तन का आकार मालूम होता है, इसलिए इसमें ज़रा से भी बदलाव का पता लगाना मुश्किल नहीं है। किसी भी तरह की गांठ, निपल्स से रक्तस्राव या निपल्स की त्वचा में परिवर्तन के बारे में आपके अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ को बताया चाहिए। त्वचा का लाल होना या मोटा होना भी स्तन कैंसर की निशानी हो सकता है।
ऐसे करें बचाव
कैंसर का जल्दी पता लगाने के लिए हर महीला को कम से कम 25 साल की उम्र के बाद से सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग करवानी चाहिए। जिसमें हर 3 साल में पैप स्मियर टेस्ट किया जाता है। इसे 65 की उम्र तक कराते रहें। वहीं, स्तन कैंसर के ललिए मेमोग्राम 50 की उम्र से करवाना शुरू कर देना चाहिए। अगर आपके परिवार में कैंसर का इतिहास है, तो इन टेस्ट को कम उम्र में ही करवाना शुरू कर देना चाहिए, इससे आपको कैंसर की ग्रोथ का समय से पता चल जाएगा।
कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल के क्लिनिकल ऑन्कोलॉजी के डॉ. रमेश चंद्र जोशी का कहना है, “कैंसर दुनिया भर में मृत्यु का सबसे प्रमुख कारण है, 2018 में लगभग 9.6 मिलियन लोगों की मौत कैंसर से हुई। हर 5 में से 1 व्यक्ति को उसके जीवन काल में कैंसर होता है। पूरी दुनिया में कैंसर एक बढ़ती स्वास्थ्य चिंता का विषय है। पूरी दुनिया में कैंसर से हर मिनट में 17 लोगों की मौत हो रही है। भारत में भी कैंसर तेजी से फ़ैल रहा है। लाइफस्टाइल में बदलाव और प्राकृतिक वातावरण के दोहन और प्रदूषण से कैंसर बढ़ रहा है।”