विश्व प्रसिद्ध है ऋषिकेश के त्रिवेणी में होने वाली गंगा आरती, जानें क्या है इसकी खासियत
उत्तराखंड में स्थित ऋषिकेश अपने धर्म कार्यों और सुंदरता के लिए विश्व प्रसिद्ध है. सभी पर्यटक स्थलों में से त्रिवेणी घाट भी है. यह टूरिस्ट आकर्षण के साथ ही एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल भी है. इस घाट पर श्रद्धालु प्रातः काल गंगा नदी में डुबकी लगाने आते हैं. साथ ही इस घाट पर गंगा, यमुना और सरस्वती जैसी प्रमुख नदियों का संगम भी है. इसलिए इसे त्रिवेणी घाट के नाम से जाना जाता है.
विश्व प्रसिद्ध है ऋषिकेश की आरती
लोकल 18 के साथ हुई बातचीत के दौरान पुजारी शेखर भ्रम भट्ट ने बताया कि हमारे हिंदू धर्म में पूजा पाठ का विशेष महत्व है. पूजा के समय होने वाली आरती का भी अपना महत्व महत्व होता है. इसके बाद ही किसी भी पूजा को संपन्न और सफल माना जाता है. वहीं, त्रिवेणी घाट पर सालों पहले से मंगल आरती, भोग आरती और संध्या आरती की जाती है. मंगल आरती प्रात काल गंगा मैया को जगाने के लिए की जाती है. वहीं, भोग आरती दोपहर और संध्या आरती शाम के समय की जाती है. पुरोहितों द्वारा पूरे विधि विधान से वेशभूषा पहन मां गंगा की आरती की जाती है.
हर पूजा आरती का है अलग महत्व
पुजारी शेखर बताते ने बताया कि त्रिवेणी घाट में होने वाली संध्या आरती काफी प्रसिद्ध है. साथ ही इसका विशेष महत्व भी है. संध्या काल के दौरान होने वाली इस आरती का दृश्य बहुत भव्य और मनमोहक प्रतीत होता है. देश विदेश के अलग अलग कोनों से लोग इस भव्य आरती का हिस्सा बनने के लिए आते हैं. मान्यता है कि ये संध्या काल आरती गंगा मां को श्रद्धांजलि देने के लिए की जाती है. इस आरती के दौरान लोग अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करते हैं और प्राप्त सभी सुखों के लिए गंगा मां का धन्यवाद करते हैं. संध्या काल में होने वाली इस आरती के दौरान सभी पत्तों में दिया रख फूल के साथ उन्हें गंगा में प्रवाहित करते हैं. गंगा नदी में वह सभी जलते दिए एक भव्य दृश्य सा प्रतीत होते हैं.