कोरोना से उबर चुके मरीज हो रहे हैं ब्रेन फॉग का शिकार, लक्षणों को पहचानें और ऐसे निपटें इस समस्या से
कोरोना इंफेक्श से ठीक हो चुके मरीजों कई दूसरी तरह की हेल्थ प्रॉब्लम्स का भी शिकार हो कर रहे हैं उनमें से एक है ब्रेन फॉग यानी सोचने-समझने की क्षमता पर असर पड़ना। आदमी फीलिंग्स एक्सप्रेस करने के लिए शब्द न मिलना। दिमाग चलना एक तरह से बंद हो जाना। इनमें ज्यादातर वो मरीज शामिल हैं जिनका लंबे समय तक अस्पताल में इलाज चला, वो ऑक्सीजन और दवा पर रहे।
क्या है ब्रेन फॉग
यह एक सीरियस मेडिकल प्रॉब्लम है, जिसमें सेंट्रल नर्वस सिस्टम प्रॉपर काम नहीं करता। जिसकी वजह से थकना व दुविधा की स्थितियां पैदा होती हैं। इसके अलावा ब्रेन फॉग फोकस और याद रखने की क्षमता पर भी असर डालता है। इससे प्रभावित व्यक्ति कई बार सही डिसीज़न भी नहीं ले पाता।
ये हैं लक्षण
– छोटी-छोटी बातें भूलना
– फोकस करने में मुश्किल होना
– चीज़ों को समझने में दिक्कत होना
– सीखने में दिक्कत होना
– चिड़चिड़ापन
– रूचि का अभाव
– जल्दी थकान होना
– भ्रम की स्थित में रहना
– निर्णय न ले पाना
साइकेट्रिस्ट के टिप्स
1. ब्रेन फॉग से बचने के लिए शारीरिक व मानसिक सक्रियता है जरूरी।
2. अपने डेली रूटीन में रुचिकर क्रियाकलापों को शामिल करें।
3. घर में रहते हुए बच्चों को पढ़ाएं।
4. सुडूको गेम खेलें। अंतर ढूंढने वाले गेम खेलने का प्रयास करें।
5. मंत्र याद करने की कोशिश करें।
6. फ्रेंड्स के साथ अपने व्यूज शेयर करें।
7. ठहाका लगाकर हंसने का प्रयास करें।
8. कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें।
9. पर्याप्त नींद लेना
10. पानी अच्छे से पीना।
बात याद रखने में भी होती है कठिनाई
– इंटरनेशनल ई-मैगजीन मेडरिक्सिव में पब्लिश हाल-फिलहाल एक रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 के तकरीबन 58 फीसदी पेशेंट्स में ब्रेन फॉग या मानसिक दुविधा के लक्षण दिखाई दिए।
– इस प्रकार कोविड-19 के अहम लक्षणों में ब्रेन फॉग भी शामिल हो गया।
– कोरोना पेशेंट बताते हैं कि उन्हें अपने विचारों को व्यक्त करने अथवा संदेश देने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
– यहां तक कि बोलने के दौरान प्रवाह भी बाधित होता है।