संक्रमण से ठीक हो चुके अधिकतर लोगों के IQ में गिरावट
कोविड-19 के वैश्विक मामले भले ही अब काफी नियंत्रित देखे जा रहे हैं, पर संक्रमण का शिकार रहे लोगों में लॉन्ग कोविड का जोखिम अब भी स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए गंभीर चिंता का कारण बना हुआ है। कोरोना को लेकर हुए कई शोध में बताया जाता रहा है कि सार्स-सीओवी-2 वायरस ने शरीर को दीर्घकालिक रूप से कई प्रकार से क्षति पहुंचाई है। विशेषतौर पर हृदय, फेफड़ों की सेहत पर इसके गंभीर दुष्प्रभाव देखे जाते रहे हैं।
हालिया अध्ययन में कोरोना के कारण मस्तिष्क से संबंधित समस्याओं को लेकर भी अलर्ट किया जा रहा है। अध्ययनकर्ताओं ने बताया, कोरोना संक्रमण का शिकार रहे कई लोगों को बीमारी से ठीक होने के बाद संज्ञानात्मक क्षमता में कमी महसूस हो रही है।
हाल ही में प्रकाशित एक शोध में विशेषज्ञों की टीम ने बताया, जो लोग कोविड-19 से ठीक हो गए, उनमें एक साल बाद तक आईक्यू लेवल में कम से कम 3-पॉइंट तक की कमी देखी गई है। वैसे तो ये गिरावट ज्यादा नहीं है पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि बड़ी आबादी में मस्तिष्क से संबंधित जोखिमों को लेकर अलर्ट रहने की आवश्यकता है। मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में आई कमी का क्वालिटी ऑफ लाइफ पर भी नकारात्मक असर हो सकता है।
कोरोना संक्रमितों की आईक्यू में गिरावट
द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित इस शोध में बताया गया है कि कोरोना संक्रमण के हल्के और गंभीर दोनों प्रकार के मामले वाले लोगों में संज्ञानात्मक गिरावट देखी जा रही है।
जिन लोगों में अधिक गंभीर लक्षण थे या फिर जिन्हें अस्पताल की इंटेंसिव केयर में इलाज की आवश्यकता थी, उनमें आईक्यू में 9-पॉइंट तक की कमी रिपोर्ट की गई है। संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों में स्मृति, तर्क और परिस्थितियों से सहजता से निपटने की क्षमता कम हो गई है।
कोरोना संक्रमितों की आईक्यू में गिरावट
द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित इस शोध में बताया गया है कि कोरोना संक्रमण के हल्के और गंभीर दोनों प्रकार के मामले वाले लोगों में संज्ञानात्मक गिरावट देखी जा रही है।
जिन लोगों में अधिक गंभीर लक्षण थे या फिर जिन्हें अस्पताल की इंटेंसिव केयर में इलाज की आवश्यकता थी, उनमें आईक्यू में 9-पॉइंट तक की कमी रिपोर्ट की गई है। संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों में स्मृति, तर्क और परिस्थितियों से सहजता से निपटने की क्षमता कम हो गई है।
हल्के स्तर के संक्रमण वालों में भी देखी जा रही है समस्या
अध्ययनकर्ताओं ने बताया, जो लोग कोरोना के मूल वायरस या B.1.1.7 वैरिएंट से महामारी की शुरुआत में संक्रमित रहे उनमें बौद्धिक क्षमता में कमी की दिक्कत उन लोगों की तुलना में अधिक देखी गई है जो ओमिक्रॉन वैरिएंट्स के दौरान संक्रमित रहे हैं।
इसके अलावा जिन लोगों को दो या दो से अधिक टीके लगने के बाद कोविड-19 हुआ, उन्होंने उन लोगों की तुलना में बेहतर संज्ञानात्मक प्रदर्शन देखा गया है, जिन्हें टीका नहीं लगाया गया था।
क्या है अध्ययन का निष्कर्ष?
अध्ययन के निष्कर्ष में शोधकर्ताओं ने कहा, कोरोना वायरस ने कई प्रकार से संपूर्ण शरीर को क्षति पहुंचाई है। पोस्ट कोविड में ब्रेन फॉग से लेकर लोगों में संज्ञानात्मक गिरावट और मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित विकार भी देखे जा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि हल्के लक्षण वालों में खतरा नहीं है, कोरोना का किसी भी स्तर का संक्रमण लॉन्ग कोविड और इससे संबंधित जोखिमों को बढ़ाने वाला पाया गया है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, अगर आप संक्रमण के शिकार रहे हैं तो डॉक्टर से मिलकर संपूर्ण स्वास्थ्य की जांच जरूर करा लेनी चाहिए, जिससे समय रहते जोखिमों का पता लगाकर उसका इलाज प्राप्त किया जा सके