09 April, 2025 (Wednesday)

आज परिवतर्नी एकादशी पर अवश्य सुनें यह व्रत कथा, मिलेगा पुण्य और संपूर्ण फल

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी परिवतर्नी एकादशी आज 17 सितंबर दिन शुक्रवार को है। इसे वामन एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के वामन स्वरूप की आराधना की जा

एक बार युधिष्ठिर को भगवान श्रीकृष्ण से परिवतर्नी एकादशी व्रत के बारे में जानने की इच्छा हुई। तब श्रीकृष्ण ने उनको परिवतर्नी एकादशी के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि त्रेतायुग में दैत्यराज बलि भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था। उसके पराक्रम से इंद्र और देवतागण भयभीत थे। इंद्रलोक पर उसका कब्जा था। उसके भय के डर से सभी देव भगवान विष्णु के पास गए।

इंद्र समेत सभी देवताओं ने दैत्यराज बलि के भय से मुक्ति के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना की। तब भगवान विष्णु ने अपना वामन अवतार धारण किया। उसके बाद वे दैत्यराज ब​लि के पास गए और उससे तीन पग भूमि दान में मांगी। बलि ने वामन देव को तीन पग भूमि देने का वचन दिया।

तब इसके बाद प्रभु वामन ने अपना तीसरा पग उसके सिर पर रखा। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे पाताल लोक भेज दिया। इस प्रकार से भगवान विष्णु के वामन अवतार की उद्देश्य पूर्ण हुआ और देवताओं को बलि के भय एवं आतंक से मुक्ति मिली।

श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि जो लोग परिवतर्नी एकादशी का व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, उनको समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।

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