23 November, 2024 (Saturday)

प्रोन्नति में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से मांगा नोट, अटार्नी जनरल कानूनी मुद्दे ड्राफ्ट करेंगे जिन पर अदालत करेगी विचार

एससी एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण और परिणामी वरीयता के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से कहा है कि वे कोर्ट में लंबित अपने कानूनी मुद्दों का एक लिखित नोट बना कर अटार्नी जनरल को सौंपे। कोर्ट ने राज्यों के एडवोकेट आन रिकार्ड को दो हफ्ते में लिखित नोट सौंपने का आदेश दिया है। राज्यों के नोट देखकर अटार्नी जनरल सुप्रीम कोर्ट के विचार के लिए कानूनी मुद्दे ड्राफ्ट कर चार सप्ताह में कोर्ट में दाखिल करेंगे। कोर्ट ने मामले को छह सप्ताह बाद सुनवाई पर लगाने का निर्देश दिया है।

एससी एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण और परिणामी वरीयता के मामले में सुप्रीम कोर्ट के 15 अप्रैल 2019 के आदेश से फिलहाल यथास्थिति कायम है। ये आदेश सोमवार चीफ जस्टिस एसए बोबडे, एल.नागेश्वर राव और वी.सरन की पीठ ने एससी एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण और परिणामी वरीयता देने के मामले में कोर्ट द्वारा एम.नागराज मामले में दी गई व्यवस्था पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिए।

पीठ ने कहा कि इन याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट के एम.नागराज मामले में 2006 को दी गई व्यवस्था लागू करने का मुद्दा शामिल है। उस फैसले में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने एससी एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण देने का प्रविधान करने वाले कानून को तो सही ठहराया था लेकिन यह भी कहा कि ऐसा करने से पहले सरकार को पिछड़ेपन और पर्याप्त प्रतिनिधित्व न होने के आंकड़े जुटाने होंगे।

बहुत से राज्यों और संगठनों ने इस मामले में याचिका दाखिल कर कोर्ट से स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह किया है। पीठ ने कहा कि कई राज्यों में प्रोन्नति में आरक्षण का मामला अटका है। लेकिन राज्यों में समान कानूनी मुद्दे नहीं हैं। इस मामले की सुनवाई में तेजी के लिए उचित यही होगा कि सभी राज्यों के एडवोकेट आन रिकार्ड अपने राज्य के कानूनी मुद्दों के बारे में दो सप्ताह में एक लिखित नोट अटार्नी जनरल को देंगे।

मालूम हो कि राज्यों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दाखिल करने के लिए एडवोकेट आन रिकार्ड ही अधिकृत होते हैं। सभी राज्यों के अपने पैनल पर एडवोकेट आन रिकार्ड वकील सुप्रीम कोर्ट में हैं। अटार्नी जनरल राज्यों के नोट मिलने पर वकीलों के साथ एक बैठक करेंगे। इसके बाद राज्यों के केस नंबर के साथ कानूनी मुद्दों की सूची कोर्ट में दाखिल करेंगे।

 

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