Mental Health: तेज़ी से बढ़ रहे हैं मानसिक स्वास्थ्य के मामले, जानें कैसे निपटें तनाव से
Mental Health Importance: कोरोना महामारी के दौरान मानसिक रोग के मामले तेज़ी से बढ़े हैं। इसकी वजह साफ तौर पर लॉकडाउन की वजह से आया अकेलापन, वायरस के डर से बढ़ती बेचैनी और अपनों से दूर होना है। हालांकि, जब बात मानसिक रोग की आती है, तो लोगों के बीच इसे लेकर कई तरह की ग़लत धारणाएं होती हैं। उनकी नज़र में यह सिर्फ मन का वहम या एक तरह का अंधविश्वास है, जिसके लिए किसी तरह के इलाज की ज़रूरत नहीं होती है। लोगों की इसी धारणा का ख़ामियाज़ा मानसिक रोगियों को उठाना पड़ता है।
मानसिक रोगी चाहते हुए भी अपनी तकलीफों के बारे में खुल कर बात नहीं कर पाते और समय के साथ ये बीमारी गंभीर रूप ले लेती है। ऐसे में ये बेहद ज़रूरी है कि लोगों को इस ग़लत धारणा को बदला जाए और उन्हें इस रोग के बारे में जागरुक किया जाए। अगर आप भी मानसिक रोग के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं रखते हैं, तो आपको इस लेख को ज़रूर पढ़ना चाहिए ताकि आप इसके लक्षणों, कारणों को पहचान सकें और इसका सही इलाज करा सकें।
क्या होते हैं मानसिक रोग
चिंता, तनाव और अवसाद सहित किसी भी प्रकार की मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी हुई समस्या मानसिक रोगों की श्रेणी में आती है। यानी मानसिक रोग की स्थिति में व्यक्ति की मनोदशा, यादाशत, स्वभाव पर असर पड़ता है और व्यक्ति का अपने भावों पर कोई काबू नहीं रहता है।
स्रोटा’ वैलनेस के संस्थापक एवं सीईओ और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ प्रवेश गौर का कहना है कि एक सर्वेक्षण में, यह पाया गया कि देश में 59 फीसदी से अधिक लोगों को लगता है कि वे अवसाद की स्थिति में हैं। लेकिन इसका जिक्र वे अपने परिवार और दोस्तों के सामने खुल कर नहीं करते हैं। ‘मानसिक’ और ‘क्रैक’ जैसे शब्द हमारे समाज में ऐसी परेशानियों से जूझ रहे लोगों के लिए आम हैं। मानो या न मानो मानसिक बीमारी अभी भी भारतीय समाज में एक वर्जित विषय है और इसके चारों ओर हमने असंख्य मिथक गढ़ लिए हैं।
तनाव और अवसाद का मुकाबला करने वालों की यह लड़ाई मौन और अंधेरी रातों में एक अकेले व्यक्ति की लड़ाई नहीं है। न केवल जीवनशैली में बदलाव और मानसिक चिकित्सा से आप उन लोगों को स्वस्थ जीवन दे सकते हैं जो इस बीमारी से जूझ रहे हैं या बाहर आने में सफल हो पा रहे हैं। बल्कि भविष्य में इस तरह के प्रकरणों को रोक भी सकते हैं। फिर भी, अवसाद के किसी भी लक्षण का पता लगाना महत्वपूर्ण है और एक योग्य चिकित्सा पेशेवर से परामर्श करना उससे भी ज्यादा अहम है।
मानसिक रोग के लक्षण क्या हैं
अगर किसी व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण नज़र आते हैं, तो उसे तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
– लगातार उदास रहना।
– मूड का बार-बार बदलना
– मानसिक रोग का लक्षण असामान्य बर्ताव करना भी है। कुछ लोग अचानक से गुस्सा या हंसने लग जाते हैं, तो ऐसा बर्ताव मानसिक रोग का संकेत होता है।
– घबराहट या डर लगना- अक्सर, ऐसा देखा जाता है कि कुछ लोग लोगों के सामने अपनी बात रखने में काफी घबराते या डरते हैं। लेकिन समय के साथ इस घबराहट या डर में सुधार नहीं होता है तो यह मानसिक रोग हो सकता है।
मन:स्थली की सीनियर साइकेट्रिस्ट एवं फाउंडर, डॉ. ज्योति कपूर का कहना है, “भले ही डब्ल्यूएचओ ने भारत में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों और जनसंख्या की अपरिवर्तित जरूरतों के उच्च प्रसार के बारे में चेतावनी दी है, स्वास्थ्य पर सकल व्यय और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अल्प योगदान को देखते हुए, हम अभी भी देश की विशाल मानसिक स्वास्थ्य समस्या को संबोधित नहीं कर रहे हैं। मीडिया के माध्यम से जागरूकता और COVID महामारी के दौरान बढ़ते तनाव ने इस मुद्दे को बड़े पैमाने पर लोगों की चेतना में लाया है लेकिन स्वीकृति अभी भी खराब है। दुर्भाग्य से, जितना अधिक हम समस्या की उपेक्षा करते हैं, उतना ही हम खुद को नशीली दवाओं के दुरुपयोग, व्यवहार संबंधी मुद्दों, अपराध और आत्महत्या के लिए उजागर करते हैं।”
तनाव से कैसे निपटें
– रोज़ाना नियमित रूप से 20 से 30 मिनट शारीरिक व्यायाम जैसे चलना, दौड़ना या उठना बैठना करें। इससे आपके दिमाग को सोचने का वक्त मिलेगा।
– मेडिटेशन यानी ध्यान करें, राहत भरा संगीत सुनें, इससे आपके दिमाग़ को आराम और सुकून मिलेगा। 10-20 मिनट तक आंखें बंद करके शांति का अनुभव करें। गहरी और लंबी सांसें लें। दिमाग को शांत करें, और तनाव भरी बातें दिमाग से निकालने की कोशिश करें। – एक दिनचर्या बनाएं, जिसके अनुसार दिनभर अपने आपको व्यस्त रखने की कोशिश करें।
– अगर अख़बार या टीवी पर न्यूज़ देखने से तवान बढ़ता है, तो इससे दूर रहें।
– इसके अलावा आप अपनी भावनाओं को कागज़ पर लिखने की कोशिश कर सकते हैं, या किसी से बात करें, जिससे आपका तनाव कुछ कम हो सकेगा।