वैवाहिक जीवन हमेशा बना रहेगा सुखी सीखें भगवान शिव और माता पार्वती से ये बातें
इस वर्ष महाशिवरात्रि 8 मार्च 2024 को मनाई जा रही है। महाशिवरात्रि के पावन मौके पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इसी दिन भगवान भोलेनाथ का माता पार्वती से विवाह हुआ था। भगवान भोलेनाथ ही हैं जो गृहस्थ जीवन में रहकर भी संन्यासी रहे। उनकी परिवार यानी पत्नी और बच्चों समेत पूजा की जाती है।
अमर सुहाग और खुशहाल परिवार के लिए लोग महाशिवरात्रि पर व्रत रखकर माता पार्वती और शिवजी की पूजा करते हैं। हालांकि वैवाहिक जीवन में खुशहाली के लिए भगवान शिव- पार्वती के जीवन से कुछ सीख ली जा सकती हैं।
अगर भोलेनाथ और पार्वती के दाम्पत्य जीवन के सूत्रों को हर दम्पति असल जीवन में आत्मसात करें तो न केवल उनका जीवन खुशहाल और लंबा होगा, बल्कि वे एक-दूसरे के सच्चे जीवनसाथी के रूप में हमेशा साथ रहेंगे। महाशिवरात्रि पर्व पर जानिए शिव-पार्वती के उन गुणों के बारे में जो आदर्श दांपत्य जीवन के सूत्र हैं।
धैर्य का साथ
पार्वती जी को भगवान शिव ऐसे ही नहीं मिल गए। उन्होंने शिव जी को अपने पति के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी। पार्वती जी ये जानती थीं कि उनके लिए लक्ष्य प्राप्ति आसान कतई नहीं होगी। लेकिन उन्होंने धैर्य रखा। कह सकते हैं कि भोलेनाथ की आराधना और उनको प्रसन्न करने का मार्ग जितना सहज और सरल है, उतना ही कठिन है उन्हें प्रसन्न कर पा जाना। आम वैवाहिक जीवन में भी धैर्य काम आता है। यह धैर्य बड़ी से बड़ी चुनौती से पार जाने और लक्ष्य को पाने में मदद करता है।
सहज रहे जीवन
पार्वती जी एक राजकुमारी जैसे रहीं लेकिन भोले भंडारी के लिए कैलाश पर्वत पर रहने के लिए तैयार हो गईं। शिवजी भी इस वैवाहिक रिश्ते में किसी दिखावे में नहीं रहे, बल्कि जैसे वह थे, हमेशा माता पार्वती संग भी वैसे ह रहे। जब हम अपना जीवन दूसरों के लिए जीते हैं तो दिखावा करते हैं, जब खुद के लिए जीते हैं तो सहज होते हैं। पति-पत्नी के जीवन को भी बिना फ़िल्टर के जीने की आदत डालें। जो आपके पास है वही सबसे अच्छा है, यह भावना मन में रखें। चाहे लव मैरिज हो या अरेंज, आपकी सहजता वह गुण है जो जीवन भर रिश्ते को बनाये रखने में मददगार होती है। झूठ, दिखावा, कपट जैसी चीजों से जितना दूर रहेंगे उतना रिश्ते के लिए बेहतर होगा। यह सहजता एक-दूसरे के साथ रखें।
अर्धनारीश्वर
भगवान शिव का एक नाम अर्धनारीश्वर है। अर्धनारीश्वर का अर्थ है, आधा पुरुष और आधी स्त्री। भगवान शिव ने भी एक बार अर्धनारीश्वर का रूप धारण किया था। उनके आधे रूप में माता पार्वती समाहित थीं। सुखी वैवाहिक जीवन का मूलमंत्र भी यही है कि भले ही पति पत्नी का शरीर अलग हो लेकिन वह एक ही होते हैं। इसलिए पति-पत्नी समान अधिकार, सम्मान पाने के पात्र हैं।
आत्मा से प्यार
माता पार्वती और भगवान शिव का संबंध प्यार की सही परिभाषा को दर्शाता है। मां पार्वती खूबसूरत, कोमल सी एक राजकुमारी थीं लेकिन उन्होंने पति के रूप में भोलेनाथ को चुना। भोलेनाथ भस्मधारी, गले में सर्प माला पहनने वाले वैरागी थे। मां पार्वती ने भोलेनाथ का स्वरूप नहीं बल्कि उनका स्वभाव और अंतर्मन देखा। भोलेनाथ निर्मल मन, नाम की तरह की भोले हैं। माता पार्वती ने गृहस्थ जीवन के लिए पैसों, पति के रंग रूप नहीं बल्कि प्रेम को अहमियत दी।
जिम्मेदारी
परिवार की जिम्मेदारी का ईमानदारी से निर्वहन करने से जीवन सुखी बनता है। भोले बाबा तपस्या में लीन रहते हैं तो माता पार्वती उनकी अनुपस्थिति में परिवार, पुत्रों और सभी देवी-देवताओं समेत सृष्टी की देखभाल करती हैं। हर पति-पत्नी को एक दूसरे के साथ मिलकर या एक दूसरे की अनुपस्थिति में आदर्श सुखी जीवन के लिए परिवार की जिम्मेदारियों का निर्वहन करना चाहिए।