भारत अमेरिका की साझेदारी को मजबूती देंगे पीएम मोदी और बाइडन, चार चरणों में हुई टू-प्लस-टू वार्ता से चीन को बड़ा संदेश
पिछले कुछ दिनों से भारत और अमेरिका के रिश्तों में घुलते तनाव को दूर करने की जिम्मेदारी स्वयं दोनों देशों के शीर्ष नेताओं ने उठाई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच सोमवार देर रात हुई वर्चुअल बैठक में हाल के वर्षों में द्विपक्षीय रिश्तों में हुई प्रगति की समीक्षा की गई और भारत-अमेरिका वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत बनाने पर सहमति बनी। मोदी और बाइडन ने भारत-अमेरिका साझेदारी को न सिर्फ दोनों देशों के लिए काफी फायदेमंद बताया बल्कि वैश्विक शांति, संपन्नता और स्थायित्व के लिए भी जरूरी बताया।
राजनाथ और जयशंकर भी बाइडन के साथ रहे मौजूद
बैठक की खास बात यह रही कि टू प्लस टू वार्ता के लिए वाशिंगटन गए विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अपने समकक्षों एंटनी ब्लिंकन और लायड आस्टिन के साथ राष्ट्रपति बाइडन के साथ बैठे थे जबकि प्रधानमंत्री मोदी बैठक में वर्चुअल तरीके से जुड़े थे। बैठक में द्विपक्षीय संबंधों के साथ ही यूक्रेन-रूस युद्ध के भी तमाम पहलुओं पर चर्चा हुई।
चार चरणों में हुई भारत-अमेरिका वार्ता
1. विदेश मंत्रियों और रक्षा मंत्रियों के बीच हुईं अलग-अलग बैठकें
2. फिर प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति बाइडन के बीच वर्चुअल बैठक
3. टू प्लस टू वार्ता (दोनों देशों के रक्षा व विदेश मंत्रियों की अगुवाई में बैठक
बैठकों में ही व्यस्त रहा बाइडन प्रशासन
बाइडन प्रशासन सोमवार को भारत के साथ बैठकों में ही व्यस्त रहा। पहले दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों और विदेश मंत्रियों की अलग-अलग बैठकें हुईं। इसके बाद मोदी और बाइडन की अगुआई में बैठक हुई। इस बैठक के समाप्त होने के तुरंत बाद टू प्लस टू बैठक की शुरुआत हुई जिसकी अगुआई दोनों तरफ के विदेश मंत्रियों और रक्षा मंत्रियों ने की।
24 मई को फिर होगी मोदी और बाइडन के बीच बातचीत
मोदी और बाइडन इसके पहले तीन मार्च, 2022 को क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के संगठन) की वर्चुअल बैठक में मिले थे। अब इनके बीच एक बैठक 24 मई, 2022 को तब संभव है जब जापान में क्वाड के शीर्ष नेताओं की बैठक होगी। इनके बीच फिर अमेरिका में ही सितंबर, 2022 (संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान) और अक्टूबर, 2022 में इंडोनेशिया में जी-20 सम्मेलन के दौरान मुलाकात की संभावना है।
रिश्तों में घुलते तनाव को दूर करने की कोशिश
हाल ही में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद भारत की रूस को लेकर नीति पर अमेरिका ने कई बार आपत्ति जताई है। अमेरिका की तरफ से भारत को रूस से ज्यादा कच्चा तेल नहीं खरीदने और रूस के साथ स्थानीय मुद्रा में कारोबार नहीं करने की धमकी दी चुकी है। इससे रिश्तों में तनाव भी साफ दिख रहा है। अब मोदी और बाइडन के बीच होने वाली लगातार मुलाकातों से रिश्तों में गर्माहट बने रहने की बात कही जा रही है।
वार्ता से ही यूक्रेन में शांति का मार्ग प्रशस्त होगा : मोदी
वर्चुअल बैठक में मोदी के संबोधन से साफ है कि शीर्ष नेताओं के बीच बैठक की पेशकश अमेरिकी पक्ष से ही की गई थी। मोदी ने इसके लिए राष्ट्रपति बाइडन को धन्यवाद दिया। दोनों देशों को स्वाभाविक साझीदार बताते हुए मोदी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में द्विपक्षीय रिश्तों में जो प्रगति हुई है, एक दशक पहले उसकी परिकल्पना भी नहीं की जा सकती थी। दुनिया के दो सबसे बड़े और सबसे पुराने लोकतंत्रों के रूप में हम स्वाभाविक भागीदार हैं।
आपरेशन गंगा का किया जिक्र
यूक्रेन का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, ‘आज हमारी बातचीत ऐसे समय में हो रही है जब यूक्रेन में हालात बहुत चिंताजनक बने हुए हैं। कुछ सप्ताह पहले तक 20,000 से अधिक भारतीय यूक्रेन में फंसे हुए थे। इनमें अधिकतर युवा छात्र थे। कड़े परिश्रम के बाद हम उन्हें वहां से सुरक्षित ला सके। हालांकि एक छात्र की जान चली गई।’
पुतिन को सीधे जेलेंस्की से बात करने का सुझाव
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि घटनाक्रम में मैंने यूक्रेन और रूस के राष्ट्रपतियों से कई बार बातचीत की और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को सीधे यूक्रेन के राष्ट्रपति से बात करने का सुझाव दिया। पीएम मोदी ने उम्मीद जताई कि दोनों देशों के बीच जारी वार्ता से शांति का मार्ग प्रशस्त होगा।
बूचा में नागरिकों की हत्याओं पर जताई चिंता
हाल ही में बूचा में निर्दोष नागरिकों की हत्याओं को बहुत ही चिंताजनक बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी निष्पक्ष जांच की मांग फिर की। उन्होंने यूक्रेन को दवाइयों की एक और खेप भेजने की जानकारी भी दी। अंत में उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत की अगले 25 साल की विकास यात्रा में अमेरिका से मित्रता एक अभिन्न अंग रहेगी।
कई वैश्विक मुद्दों पर हुई बात
विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि मोदी-बाइडन बैठक के दौरान कई क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों के अलावा कोविड महामारी, वैश्विक इकोनमिक रिकवरी, पर्यावरण बचाने की मुहिम, दक्षिण एशिया में हो रहे ताजा बदलाव, हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्थिति और यूक्रेन की स्थिति पर खास तौर पर चर्चा हुई।
युद्ध के प्रभावों से निपटने में करेंगे करीबी सहयोग : बाइडन
बाइडन ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभावों से कैसे निपटा जाए और इसमें किस प्रकार स्थिरता लाई जाए इस पर भारत और अमेरिका करीब से सहयोग जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि वैश्विक खाद्य आपूर्ति और कमोडिटी मार्केट पर इसके अस्थिर असर को खत्म के लिए भी दोनों देश मिलकर काम करेंगे। बाइडन ने यूक्रेन के लोगों को भेजी गई मानवीय सहायता का भी स्वागत किया और कहा कि दोनों देशों के बीच मजबूत और बढ़ती हुई रक्षा साझेदारी है। दोनों देशों के रिश्तों के मूल में लोगों के बीच में गहरे रिश्ते, परिवारों के बीच दोस्ती और साझा मूल्य हैं।
चीन के आक्रामक रवैये को रोकने में भारत को देंगे मदद : आस्टिन
विदेश और रक्षा मंत्रियों की अलग-अलग बैठक में हिंद प्रशांत क्षेत्र और चीन की नीतियों पर भी अच्छा खासा विमर्श हुआ। अमेरिका के रक्षा मंत्री लायड आस्टिन के साथ बातचीत में अमेरिका ने भारत को आश्वस्त किया कि चीन के बढ़ते आक्रामक रवैये के खिलाफ वह पूरी मदद करेगा। भारत और अमेरिका हिंद प्रशांत क्षेत्र को खुला, अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक चलने वाला और सभी के लिए एक जैसे अवसर वाला बनाने की मंशा रखते हैं और इस साझा दृष्टिकोण को लेकर काफी चुनौतियां पैदा हो रही हैं।
भारत-अमेरिका सहयोग का वैश्विक मुद्दों पर स्पष्ट प्रभाव : जयशंकर
टू प्लस टू वार्ता में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच सहयोग द्विपक्षीय दायरे के बाहर भी अच्छी तरह विकसित हुआ है और कोविड, जलवायु परिवर्तन, समुद्री सुरक्षा व महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों समेत वैश्विक मुद्दों पर इसका स्पष्ट प्रभाव है। वहीं, दोनों देशों के बीच चौथी टू प्लस टू वार्ता को महत्वपूर्ण क्षण बताते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन ने कहा कि ये बैठकें द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं। यह बातचीत पिछली फलदायी बैठकों को आगे बढ़ाएगी।