01 November, 2024 (Friday)

टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों के लिए वरदान है बाजरे की खिचड़ी, जानें बनाने की विधि

आधुनकि समय में डायबिटीज़ एक आम बीमारी बन गई है। इस बीमारी में इंसुलिन का उत्सर्जन कम अथवा नहीं होता है, जिससे शरीर में शर्करा स्तर बढ़ जाता है। डायबिटीज़ दो प्रकार के होते हैं। टाइप 1 डायबिटीज़ और टाइप 2 डायबिटीज़। टाइप 1 डायबिटीज़ में शरीर से इंसुलिन उत्सर्जित कम होता है। वहीं,  टाइप 2 डायबिटीज में शरीर से इंसुलिन (हार्मोन) निकलना पूरी तरह से बंद हो जाता है। यह एक ऐसी बीमारी है, जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। अगर आप भी डायबिटीज से पीड़ित हैं और अपने ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करना चाहते हैं, तो बाजरे की खिचड़ी का सेवन करें।  इसके सेवन से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है। आइए जानते हैं-

बाजरे की खिचड़ी के फायदे

बाजरा एक साबुत अनाज है। ग्रामीण इलाकों में इसका अधिक सेवन किया जाता है। इसमें कई सूक्ष्म पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके चलते बाजरे को सुपरफूड कहा जाता है। इसमें विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं जो सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। जबकि बाजरे में फाइबर और अच्छे कार्ब्स भी पाए जाते हैं। इस वजह से बाजरे को डायबिटीज के मरीजों के लिए वरदान माना जाता है।

खासकर अघुलनशील फाइबर की मौजूदगी के कारण बाजरे को पचने में वक्त लगता है। इससे रक्त में शर्करा स्तर जल्दी नहीं बढ़ता है। विशेषज्ञों की मानें तो बाजरा में प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्नीशियम और आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं, जिनसे ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। साथ ही रोजाना बाजरे की खिचड़ी खाने से बढ़ते वजन को भी नियंत्रित किया जा सकता है। नानी-दादी बीमार होने पर खिचड़ी खाने की सलाह देते हैं। इसके सेवन से शरीर में तुरंत ऊर्जा का संचार होता है। ऐसे में ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए रोजाना बाजरे की खिचड़ी जरूर खाएं।

कैसे बनाएं बाजरे की खिचड़ी

इसके लिए सबसे पहले एक कप बाजरे और आधे कप मूंग दाल को अच्छी तरह से धो लें। अब पर्याप्त पानी डालकर इसे 3-4 सीटी लगने तक प्रेशर कुक करें। इसके बाद एक पैन में घी गर्म कर इसमें जीरा और हींग का तड़का लगाएं। अंत में बाजरे की खिचड़ी को अच्छी तरह से तड़के में मिला लें। बाजरे की खिचड़ी बनकर तैयार है।

डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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