भारत में 2019 में मौत के जोखिम वाले ये हैं पांच कारक, अध्ययन में सामने आईं ये बातें
भारत में एक अध्ययन के अनुसार 2019 में मौत के सर्वाधिक जोखिम वाले पांच कारकों में वायु प्रदूषण, उच्च रक्तचाप, तंबाकू का सेवन, खराब आहार और रक्त शर्करा का उच्च स्तर रहे। लांसेट पत्रिका में शुक्रवार को प्रकाशित ‘द ग्लोबल बर्डन ऑफ डिसीज (जीबीडी) में दुनियाभर में 200 से अधिक देशों और क्षेत्रों में मौत के 286 से अधिक कारणों और 369 बीमारियों आदि का अध्ययन किया गया। अध्ययन में पता चला है कि भारत में 1990 से ले कर पिछले तीन दशक में जीवन प्रत्याशा 10 वर्ष से अधिक बढ़ी है, लेकिन इन मामलों में राज्यों के बीच काफी असमानता है। अध्ययन के अनुसार, वर्ष 1990 में भारत में जीवन प्रत्याशा 59.6 वर्ष थी जो 2019 में बढ़कर 70.8 वर्ष हो गई। केरल में यह 77.3 वर्ष है वहीं उत्तर प्रदेश में 66.9 वर्ष है। अध्ययन में शामिल गांधीनगर के ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ के श्रीनिवास गोली कहते हैं कि भारत में ‘स्वस्थ जीवन प्रत्याशा बढ़ना उतना आकस्मिक नहीं है जितना जीवन प्रत्याशा बढ़ना क्योंकि ”लोग बीमारी और अक्षमताओं के साथ ज्यादा वर्ष गुजार रहे हैं।
अध्ययन में पता चला कि भारत में पिछले 30 सालों में सेहत संबंधी नुकसान में सबसे बड़े कारक हृदय रोग, मधुमेह, सीओपीडी और दौरे पड़ने जैसे गैर-संक्रामक रोग हैं। अध्ययन के अनुसार 2019 में भारत में मौत के जोखिम वाले पांच शीर्ष कारकों में वायु प्रदूषण (लगभग 16.7 लाख मौतों के लिए जिम्मेदार), उच्च रक्तचाप (14.7 लाख), तंबाकू का उपयोग (12.3 लाख), खराब आहार (11.8 लाख) और उच्च रक्त शर्करा (11.2 लाख मौतों के लिए जिम्मेदार) हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार, वायु प्रदूषण के बाद उच्च रक्तचाप तीसरा प्रमुख खतरनाक कारक है जो भारत के आठ राज्यों में 10-20 प्रतिशत तक स्वास्थ्य हानि के लिए जिम्मेदार है।