क्या होता है डिस्लेक्सिया, जानें-इसके लक्षण, कारण और बचाव
डिस्लेक्सिया एक मानसिक बीमारी है जो बच्चों में अधिक देखी जाती है। इस रोग में मरीज को पढ़ने, लिखने और शब्दों को बोलने में के साथ-साथ याद करने और रखने में परेशानी होती है। डिस्लेक्सिया किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। खासकर बच्चे डिस्लेक्सिया से अधिक पीड़ित होते हैं। इस बीमारी से महान हस्तियां भी अछूते नहीं रहे हैं। टेलीफोन के निर्माता एलेक्जेंडर ग्राहम बेल और वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन भी डिस्लेक्सिया से पीड़ित थे। हालांकि, उन्होंने डिस्लेक्सिया को कभी खुद पर हावी नहीं होने दिया था। एक आंकड़ें के अनुसार, भारत में 3 करोड़ से अधिक बच्चे डिस्लेक्सिया से पीड़ित हैं। बॉलीवुड और हॉलीवुड की कई फ़िल्में डिस्लेक्सिया आधारित बनी है। अगर आपको पता नहीं है, तो आइए डिस्लेक्सिया के बारे में विस्तार से जानते हैं-
डिस्लेक्सिया क्या है
जैसा कि हम सब जानते हैं की डिस्लेक्सिया एक मानसिक बीमारी है। अतः इस बीमारी का सीधा संबंध मस्तिष्क से होता है। हालांकि, कई मौके पर यह जन्मजात बीमारी भी है। डिस्लेक्सिया के तीन चरण हैं। प्राथमिक चरण में मरीज पढ़ने, लिखने में असमर्थ रहता है। दूसरे चरण में गर्भ में बच्चे के मस्तिष्क का सही से विकास नहीं हो पाता है। जबकि, तीसरे चरण में गंभीर बीमारी अथवा मस्तिष्क में चोट लगने से व्यक्ति डिस्लेक्सिया से पीड़ित हो जाता है।
डिस्लेक्सिया के लक्षण
-पढ़ने, लिखने और बोलने में दिक्कत
-समझने और याद रखने में दिक्कत
– दूसरी भाषा सीखने में परेशानी होना
-कठिन शब्दों के उच्चारण में तकलीफ
डिस्लेक्सिया से बचाव
डिस्लेक्सिया एक आनुवांशिक रोग भी है। इस स्थिति में इलाज में दिक्कत होती है। वहीं, अन्य स्थितियों में डिस्लेक्सिया का उपचार संभव है। इसके लिए प्राथमिक लक्षण दिखने पर डॉक्टर की सलाह अथवा परामर्श जरूर लें। अगर लापरवाही बरतते हैं, तो डिस्लेक्सिया खतरनाक साबित हो सकती है।