सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कोरोना से बचने के लिए सरकार और जनता की भागीदारी है बेहद जरूरी
सुप्रीम कोर्ट ने देश और दुनिया में फैले कोरोना संक्रमण पर ¨चता जताते हुए कहा है कि इस अभूतपूर्व महामारी से पूरा विश्व एक युद्ध लड़ रहा है। यह कोरोना के खिलाफ विश्वयुद्ध है। इसमें सरकार और जनता दोनों की भागीदारी चाहिए। कोर्ट ने स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बताते हुए कहा कि इसमें सस्ता यानी वहन करने लायक इलाज भी शामिल है। गाइडलाइन के पालन में लापरवाही पर ¨चता जताते हुए कहा कि इसके कारण कोरोना संक्रमण जंगल में आग की तरह फैला। लिहाजा हर स्तर पर सतर्कता जरूरी है। मास्क या शारीरिक दूरी का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश देते हुए कोर्ट ने कहा कि किसी को भी दूसरे की जान से खेलने और दूसरों के मौलिक अधिकार बाधित करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। इसके साथ ही कोर्ट ने आठ महीने से बिना विश्राम लिए काम कर रहे डॉक्टरों, नर्सो और अन्य कर्मचारियों को विश्राम देने का तंत्र विकसित करने को कहा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की पीठ ने कोरोना मरीजों के इलाज और शवों के साथ गरिमापूर्ण व्यवहार किए जाने के मामले में दिया। इस मामले में कोर्ट स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है। कोर्ट ने कोरोना के महंगे इलाज पर ¨चता जताते हुए कहा कि कोई भी कारण हो, लेकिन इसमें कोई विवाद नहीं है कि इलाज बहुत महंगा हो गया है। यह आम जनता की वहन करने की क्षमता में नहीं है। अगर कोई कोरोना से बच भी जाता है, तो वह आर्थिक रूप से खत्म हो जाता है। इसलिए राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन को सस्ते इलाज के बारे में प्रावधान करना चाहिए या फिर निजी अस्पतालों द्वारा ली जाने वाली फीस की सीमा तय करनी चाहिए।
कोर्ट ने कहा अधिकारी गाइडलाइन का कड़ाई से पालन करें सुनिश्चित
कोर्ट ने कहा कि मास्क नहीं पहनने और एसओपी का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी, चाहिए चाहे वह किसी भी पद पर हो। कई राज्यों में भारी जुर्माना वसूले जाने के बावजूद लोग गाइडलाइन का पालन नहीं कर रहे हैं। अधिकारी गाइडलाइन का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें। कोर्ट ने कहा कि डॉक्टरों, नर्सों और कर्मचारियों की थकान भी एक मुद्दा है। वे शारीरिक और मानसिक रूप से थक गए हैं। उन्हें विश्राम देने के लिए तंत्र बनाया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दल विभिन्न चुनावों को देखते हुए कार्यक्रम और प्रचार करते हैं। उन्हें चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों का पालन करना चाहिए। कोर्ट ने कोविड अस्पतालों में आग से बचाव के लिए कमेटी गठित करने और हर महीने ऑडिट कराने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि सभी राज्यों को केंद्र के साथ आपसी सौहार्द से काम करना चाहिए। यह मौका साथ खड़े होने का है।
फैसले की अहम बातें
- जहां लोगों के एकत्र होने की संभावना हो जैसे बाजार, सब्जी मंडी, बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन आदि जगहों पर और अधिक पुलिस कर्मी तैनात करें।
- जहां तक संभव हो स्थानीय प्रशासन या जिलाधिकारी लोगों के एकत्र होने या समारोह की दिन में भी इजाजत न दें।
- ज्यादा से ज्यादा कोरोना टे¨स्टग हो और सही आंकड़े जारी किया जाए।
- कारपोरेट या निजी अस्पतालों के जितने फीसद फ्री बेड घोषित करने का निर्देश जारी हुआ हो, उसका कड़ाई से पालन किया जाए।
- निजी अस्पतालों के निर्देशों का पालन नहीं करने पर आम लोगों की शिकायत का निवारण करने के लिए फ्री हेल्पलाइन नंबर हो।
- माइक्रो कंटेनमेंट जोन को सील किया जाना चाहिए। ऐसे इलाकों को आवश्यक सेवाओं को छोड़ कर कुछ दिनों के लिए पूरी तरह सील करने की जरूरत है।
- कर्फ्यू या लॉकडाउन का निर्णय लेने के काफी पहले इसकी घोषणा की जाए, ताकि लोग राशन आदि का प्रबंध कर सकें।
- राजनीतिक दलों के चुनाव से संबंधित कार्यक्रमों में चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों का पालन किया जाए।
- सभी राज्य कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे अस्पतालों में एक नोडल अधिकारी नियुक्त करें, जिसकी आग से सुरक्षा के उपाय लागू कराने की जिम्मेदारी होगी।
- राज्य सरकार प्रत्येक जिले में एक कमेटी गठित करेगी जो कि जो हर महीने कोविड अस्पताल में आग से बचाव का ऑडिट करेगी।