Social Media & OTT Guidelines: मनमानी पर ब्रिटेन से लेकर अमेरिका तक कई देशों में अंकुश, जानें – कहां क्या है नियम



इंटरनेट मीडिया और ओवर द टॉप प्लेटफॉर्म (ओटीटी) के लिए भारत में गाइडलाइंस जारी कर दी गई हैं। इनका प्रभावी अनुपालन हुआ तो निश्चित तौर पर इंटरनेट मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म की मनमानी पर अंकुश लग जाएगा। नियमों के अभाव में जो इंटरनेट मीडिया कंपनियां भारत में मनमानी किया करते थे, वही दूसरे कई देशों में वहां तय नियमों को मानने के लिए बाध्य थीं। आइए जानते हैं कि अमेरिका, सिंगापुर व ऑस्ट्रेलिया समेत अन्य देशों में इंटरनेट मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए क्या हैं नियम और इनके उल्लंघन पर सजा का क्या है प्रविधान…
सिंगापुर
मीडिया नियमन इकाई इंफोकॉम मीडिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (आइएमडीए) ने एक मार्च, 2018 को ओटीटी व वीडियो ऑन डिमांड सेवा के लिए गाइडलाइंस तय कर दिए थे। इसके तहत सेवा प्रदाता का उनके द्वारा पेश की जाने वाली सामग्री का वर्गीकरण किया जाना अनिवार्य है। सामग्री का वर्गीकरण या प्रमाणन उसी तरह किया जाएगा, जिस तरह ऑफलाइन फिल्मों का किया जाता है। जैसे, जी- सामान्य, बी-पेरेंटल गाइडेंस, पीजी13- 13 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए पेरेंटल गाइडेंस, एनसी16, 16 वर्ष से अधिक उम्र से किशोरों व वयस्कों के लिए, एम18-सिर्फ 18 वर्ष से ज्यादा के दर्शकों के लिए, आर21-सिर्फ 21 साल से ज्यादा उम्र के दर्शकों के लिए जैसे वर्ग शामिल हैं। सेवा प्रदाता एनसी16 और उससे ऊपर की श्रेणी वाली सामग्री अपने प्लेटफॉर्म पर तभी उपलब्ध करा सकता है, जब उसके पास पेरेंटल लॉक फंक्शन यानी माता-पिता द्वारा सेवा को प्रतिबंधित किए जाने की सुविधा उपलब्ध उपलब्ध हो।
इसी प्रकार कोई भी प्लेटफॉर्म आर21 श्रेणी की सामग्री तभी परोस सकता है, जब उसके पास उपभोक्ता की आयु की पुष्टि के लिए विश्वसनीय तकनीक उपलब्ध हो। इसके अलावा सेवा प्रदाता को सामग्री दिखाने से पहले उसके तत्वों के बारे में उल्लेख के साथ-साथ उसकी रेटिंग का भी जिक्र करना होगा। इनमें उनकी थीम जैसे, हिंसा, सेक्स, भाषा, ड्रग का इस्तेमाल और हॉरर आदि का भी उल्लेख करना होगा। सेवा प्रदाता को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसके द्वारा पेश की गई सामग्री में सिंगापुर के नियमों का पालन किया गया है और यह देश के नियम का उल्लंघन नहीं करता। इससे राष्ट्र और व्यक्ति के हितों का उल्लंघन नहीं होता और राष्ट्र तथा व्यक्ति की सुरक्षा भी प्रभावित नहीं होती। नियम के तहत सेवा प्रदाता को समाचारों, सामयिकी व शैक्षिक कार्यक्रमों में पेश किए गए नजरिये के बीच संतुलन बैठाते हुए उसकी सत्यता और उपयोगिता को प्रमाणित करना होगा। नियमों के उल्लंघन पर संबंधित के खिलाफ सिंगापुर की अदालत में मुकदमा चलता है।
ऑस्ट्रेलिया
ब्रॉडकास्टिंग सर्विस एक्ट-1992 (बीएसए) प्रमुख कानून है, जिसके जरिये ओटीटी प्लेटफॉर्म का नियमन किया जाता है। यह शिकायत आधारित तकनीक पर काम करता है, जिसे एक जनवरी, 2000 को लागू किया गया था। इसे ऑनलाइन कंटेंट को-रेगुलेटरी स्कीम के नाम से भी जाना जाता है। इसकी अनुसूची पांच में जहां ऑस्ट्रेलिया के बाहर से प्रसारित की जाने वाली विभिन्न प्रकार की सामग्री के लिए गाइडलाइंस तय है, वहीं अनुसूची सात में ऑस्ट्रेलिया से संबंधित सामग्री के लिए। जो सामग्री वर्गीकरण में शामिल नहीं होती हैं उन्हें आरसी (रिफ्यूज्ड क्लासिफिकेशन) श्रेणी में रखा जाता है।
इस श्रेणी की सामग्री को ऑस्ट्रेलिया में बेचा, दिखाया या प्रसारित नहीं किया जा सकता। ऐसी सामग्री का ऑस्ट्रेलिया में आयात भी नहीं किया जा सकता। इसके अलावा हिंसा व एडल्ट सामग्री पर सख्ती बरती गई है। सेवा प्रदाता के लिए यह अनिवार्य किया गया है कि ऐसी सामग्री निश्चित आयु से कम उम्र के लोगों तक कतई नहीं पहुंचे। ऑनलाइन व ऑफलाइन सामग्री का वर्गीकरण ऑस्ट्रेलियन क्लासिफिकेशन बोर्ड करता है। वर्ष 2019 में नेटफ्लिक्स के वर्गीकरण टूल को 94 फीसद सटीक पाए जाने पर उसे सामग्री के खुद से वर्गीकरण की इजाजत दी गई थी। बीएसए के प्रविधानों के उल्लंघन को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। ऐसा करने वाले व्यक्ति के खिलाफ 11,000 डॉलर (7.97 लाख रुपये) व कंपनी के खिलाफ 55,000 डॉलर (39.89 लाख रुपये) के जुर्माने का प्रविधान है।
ब्रिटेन
सितंबर, 2018 में ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) के महानिदेशक को नेटफ्लिक्स व अमेजन जैसी वीडियो स्ट्रीमिंग सेवा के नियम बनाने का निर्देश दिया गया। चूंकि, देश में ऑनलाइन वीडियो के प्रसारण के लिए कोई विशेष कानून नहीं था, इसलिए ब्रिटिश बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन ने नेटफ्लिक्स के साथ साझेदारी कर ली। इसके बाद नेटफ्लिक्स अपने कार्यक्रमों की खुद रेटिंग करने लगा। इसके बाद ब्रिटेन सरकार ने एक श्वेत पत्र जारी करते हुए यह जानने का प्रयास किया कि लोग क्या चाहते हैं। इसके बाद एक प्रस्ताव तय किया गया और उसमें इंटरनेट पर दिखाई जाने वाली सामग्री के वर्गीकरण से लेकर उसकी गुणवत्ता के संबंध में मसौदा तैयार किया गया। 12 फरवरी, 2021 को सरकार ने एलान किया कि इंटरनेट पर पेश की जाने वाली सामग्री के नियमन की जिम्मेदारी ऑफकॉम को दी गई है। वह इंटरनेट मीडिया पर डाली गई पोस्ट को हटा तो नहीं सकेगा, लेकिन नुकसानदेह और अवैध सामग्री प्रस्तुत करने पर कंपनी के अधिकारी के खिलाफ जुर्माना लगाने के साथ-साथ सजा का प्रविधान भी किया गया है।
सऊदी अरब
इंटरनेट पर परोसी जाने वाली समस्त सामग्री का नियमन एंटी साइबर क्राइम लॉ (एसीसीएल) के जरिये किया जाता है। इस छोटे से कानून के पास बड़ा अधिकार है और वह इंटरनेट पर प्रसारित होने वाली सामग्री पर रोक लगाने में सक्षम है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि ओटीटी के लिए देश में कोई अलग से कानून है कि नहीं। वर्ष 2019 में एसीसीएल ने अनुच्छेद छह का हवाला देते हुए नेटफ्लिक्स से उसके एक कार्यक्रम के विशेष एपिसोड को हटाने का आग्रह किया था। उसका कहना था कि उस एपिसोड में स्थानीय सरकार की आलोचना की गई है।
अमेरिका
वर्ष 2019 में ऑनलाइन सामग्री के जरिये समाज को होने वाले नुकसान के आंकलन के नियमन के लिए नए तंत्र के विकास का प्रस्ताव दिया गया था। मई 2019 में श्वेत पत्र के जरिये नए नियामक तंत्र के विकास की सिफारिश की गई। स्वतंत्र नियामक के गठन की सिफारिश के साथ ऑनलाइन सुरक्षा विधेयक भी प्रस्तावित किया गया। हालांकि, अमेरिकी फेडरल कम्यूनिकेशन कमीशन (एफसीसी) ने पहले दावा किया था कि ये नियम बेवजह और सख्त हैं, लेकिन उसने यह भी कहा था कि व्यावहारिक नियमों को लागू करने की जरूरत है।
यूरोपीय यूनियन
अवैध ऑनलाइन सामग्री से निपटने के लिए यूरोपीय यूनियन ने नियम तय किए हैं। पिछले साल इंटरनेट पर अवैध व नुकसानदेह सामग्री के संबंध में जारी गाइडलाइंस के अनुसार, राष्ट्रीय सुरक्षा से जड़ी किसी भी प्रकार की सामग्री का प्रसारण नहीं किया जा सकता है। बम बनाने, अवैध ड्रग उत्पादन, आतंकी गतिविधियों से संबंधित सामग्री प्रतिबंधित रहेगी। इसके अलावा नस्ली हिंसा और भेदभाव, क्रेडिट कार्ड पायरेसी तथा ई-उत्पीड़न जैसी सामग्री पर रोक लगाई जाती है। यूरोप में डाटा की सुरक्षा के लिए जेनरल डाटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (जीडीपीआर) नामक विशेष कानून है।