01 April, 2025 (Tuesday)

अधिवक्ता की कहानी: सात वर्ष की उम्र में हुआ अपहरण, संघर्ष कर बना वकील… अपने दोषियों को दिलाई सजा

आगरा के एक अधिवक्ता के संघर्ष की कहानी कुछ ऐसी है कि जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। सात साल की उम्र में अपहरण हुआ था। 26 दिनों तक यातनाएं झेंली। मुक्त होने के बाद संघर्ष किया और खुद वकील बना। अपना केस लड़ते हुए दोषियों को आजीवन कारावास की सजा दिलाई।

अपने पिता की गोद में बैठे सात साल के हर्ष गर्ग का 17 वर्ष पहले अपहरण हुआ। 26 दिनों तक अपहरणकर्ताओं की यातनाएं झेलीं। 27वें दिन उनके चंगुल से आजाद हुआ। मन में कानून के रास्ते बदला लेने की रार ठान ली। परिजनों की मनाही के बावजूद लॉ की पढ़ाई की। पहला केस अपना ही लड़ा और खुद के अपहरण के आठ आरोपियों को विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावी क्षेत्र नीरज बक्सी की कोर्ट से दोषी करार कराते हुए आजीवन कारावास की सजा दिलाई। यह कहानी किसी फिल्मी की नहीं, बल्कि खेरागढ़ कस्बे के हर्ष गर्ग की है।

10 फरवरी 2007 का वाकया है। खेरागढ़ थाने में व्यापारी अविनाश गर्ग ने मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप लगाया था कि उनके भाई रवि गर्ग अपने बेटे हर्ष गर्ग के साथ खेरागढ़ चौराहा स्थित अपने मेडिकल स्टोर पर बैठे थे। तभी एक गाड़ी में करीब 1 दर्जन पुलिस की वर्दी पहने बदमाश आए। वह भतीजे हर्ष का अपहरण कर ले गए हैं और भाई रवि गर्ग द्वारा विरोध पर उन्हें गोली मार दी है। इस सनसनीखेज वारदात ने पुलिस के हाथ पांव फुला दिए।

उस वक्त एसएसपी रहे जेके गोस्वामी ने पुलिस की कई टीमों को लगाया। पुलिस ने अपहरण के 27वें दिन मध्य प्रदेश से हर्ष गर्ग को बरामद किया। विवेचना कर धौलपुर के थाना बसेड़ी क्षेत्र निवासी राजेश शर्मा, राजकुमार, भीकम भिकारी, फतेह सिंह उर्फ झिंगा, अमर सिंह उर्फ राजबब्बर, बलवीर उर्फ राजवीर, रामप्रकाश और गुड्डन काछी, दलेल सिंह, लाखन सिंह, राजेंद्र, रमेश, बच्चू और निरंजन के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। शुरूआत में अपह्त हर्ष गर्ग के पिता रवि गर्ग, जो कि पेशे से अधिवक्ता हैं, उन्होंने केस लड़ा।
वर्ष 2022 में हर्ष गर्ग ने वकालत की पढ़ाई आगरा कॉलेज से पूरी की। 2023 में पंजीकरण कराने के बाद पहला केस अपने ही अपहरण का लड़ा और बीते मंगलवार को राजेश शर्मा, राजकुमार, भीकम भिकारी, फतेह सिंह उर्फ झिंगा, अमर सिंह उर्फ राजबब्बर, बलवीर उर्फ राजवीर, रामप्रकाश और गुड्डन काछी को मजबूत साक्ष्य, दलील, गवाही के सहारे दोषी सिद्ध कराते हुए आजीवन कारावास की सजा दिलाने में सफल हुए। हालांकि आरोपी दलेल सिंह, लाखन सिंह, राजेंद्र और रमेश गवाही व साक्ष्यों के अभाव में बरी हो गए। वहीं, दो अन्य आरोपी बच्चू और निरंजन की दौरान-ए-ट्रायल मौत हो चुकी है।
17 साल 7 माह बाद सुकुन की नींद सोया हर्ष
हर्ष ने बताया कि वह अपने अपहरण के समय सात साल का था। 26 दिन तक उसे अपहरणकर्ताओं ने काफी यातनाएं दीं। हर रोज डराते थे कि परिजनों ने फिरौती नहीं दी तो जान से मार देंगे। खान भी ठीक से नहीं देते थे। हर वक्त जान से मारने की धमकी देते थे। उनके चंगुल से मुक्त होने के बाद भी वह सुकुन की नींद नहीं सो पाता था। हमेशा वही खौफनाक मंजर सताता था। 12वीं तक की पढ़ाई कॉमर्स से की थी। इसके बाद पिता के समक्ष अधिवक्ता बनने के लिए लॉ की पढ़ाई करने की बात कही। परिजनों ने मना कर दिया। कहा, सीए की तैयारी करो या फिर बीबीए-एमबीए कर अच्छी नौकरी कर पैसा कमाओ। मगर, उसने अपनी जिद नहीं छोड़ी। उसी का नतीजा है कि दोषियों को मिली सजा है। हर्ष बताते हैं कि वह अब पीसीएस-जे की तैयारी कर रहे हैं।

दोषियों पर जुर्माना भी लगाया

कोर्ट ने आठ में से छह दोषियों को 15-15 हजार रुपये और दो को पांच-पांच हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। अधिवक्ता हर्ष गर्ग ने बताया कि वह स्वयं व पिता, वादी चाचा सहित इस मुकदमे में 15 गवाह थे। सभी ने मजबूती के साथ अपनी गवाही पेश की। वहीं, बरी हुए आरोपियों के संबंध में उन्होंने बताया कि अपरहण के बाद उनके ठिकानों पर रखा गया था। मगर, वह अपनी गवाही के जरिये इसे सिद्ध नहीं कर पाए। इसके चलते उन्हें कोर्ट ने बरी कर दिया है।
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