लखनऊ में स्मार्ट मीटर का फीडबैक नहीं ले रहे अभियंता, सुस्त चाल से तकनीकी दिक्कतें बरकरार



स्मार्ट मीटर अच्छा है या नहीं, उसके परिणाम कैसे हैं, मीटर तेज तो नहीं भाग रहा है। क्या आप पूरी तरह से स्मार्ट मीटर व उसकी कार्यप्रणाली से संतुष्ट हैं। ऐसे सवालों के आने का सिलसिला स्मार्ट मीटर के उपभोक्ताओं के पास आज भी आ रहे हैं। 31 दिसंबर तक फीडबैक लेने की तिथि निकल जाने के बाद भी फोन आना बंद नहीं हुए।
उद्देश्य था कि उपभोक्ताओं की राय लेने के बाद स्मार्ट मीटर का भविष्य तय किया जाएगा, लेकिन सब औपचारिकताएं निभाई जा रही हैं। राजधानी में स्मार्ट मीटर को फीड बैक लेने का ग्राफ पचास फीसद भी नहीं हो सका। कई खंड ऐसे हैं, जहां ग्राफ बीस फीसद भी पूरा नहीं हो सका। सवाल खड़ा होता है कि आखिर बिजली महकमा यह दिखावा क्यों कर रहा है।
वर्ष 2019 में जन्माष्टमी वाले दिन शाम को लाखों स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं की बिजली गुल हो गई थी। देर रात तक बिजली आपूर्ति सामान्य हो सकी थी। हजारों उपभोक्ता ऐसे थे जिनके यहां तीन से चार दिन बाद बिजली आ सकी। यही नहीं आए दिन गलत कमांड व बकाए पर कटने वाली बिजली को फिर से चालू करने में तकनीकी दिक्कतें आज भी बरकरार है। शायद ही कोई खंड हो, जहां स्मार्ट मीटर से जुड़ी समस्याएं हल हो गई हो, इसके बाद भी स्मार्ट मीटर को बेहतर बताकर क्लीन चिट देने की तैयारी की जा रही है।
नेट मीटर वालों को नहीं मिल रहे समय से बिल
नेट मीटर वाले पचास फीसद उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट मीटर लगे हैं, इसके बाद भी उन्हें समय से बिजली बिल नहीं मिल रहे हैं। स्थानीय अवर अभियंता व उपखंड अधिकारी की चिरौरी करने के बाद बिल उपलब्ध कराए जा रहे हैं। यही नहीं बिलिंग व्यवस्था आज तक मीटर एजेंसी कंपीटेंट सुधार नहीं पायी है। यह हाल तब है जब ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा हर बैठक में बिलिंग व्यवस्था को दुरुस्त करने के निर्देश देते हैं।