ओमिक्रोन वैरिएंट की वजह से देश में तेज मगर छोटी हो सकती है तीसरी लहर
ओमिक्रोन वैरिएंट की वजह से आने वाली कोरोना की तीसरी लहर तेज मगर छोटी हो सकती है। पूरी दुनिया में ओमिक्रोन वैरिएंट के संक्रमण रखने वाले स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रोन संक्रमण के घटते मामले इसके संकेत दे रहे है। पहली बार ओमिक्रोन वैरिएंट की पहचान होने के तीन हफ्ते के भीतर संक्रमण दर पीक पर पहुंच गया और अब इसमें लगातार गिरावट आ रही है। ध्यान देने की बात है कि दक्षिण अफ्रीका ने 24 नवंबर को कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट की जानकारी दी थी और उसके दो दिन बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे वैरिएंट आफ कंसर्न घोषित कर दिया।
दक्षिण अफ्रीका में तीन हफ्ते के भीतर पीक पर पहुंच कर कम होने संक्रमण की रफ्तार
उस समय दक्षिण अफ्रीका में प्रतिदिन लगभग 1300 कोरोना के नए मामले आ रहे थे। अगले तीन हफ्ते में इसमें तेजी से इजाफा हुआ और 12 दिसंबर को यह 37 हजार के आंकड़ा को पार गया। दक्षिण अफ्रीका में एक दिन में कोरोना के इतने मामले कभी नहीं देखे गए थे। लेकिन इसके बाद दक्षिण अफ्रीका में कोरोना के नए केस में लगातार गिरावट आ रही है और पिछले कुछ दिनों से लगभग 14 हजार के आसपास सिमट गया है। अन्य अफ्रीकी देशों में भी यही ट्रेंड देखने को मिल रहा है।
जल्द अधिकांश जनसंख्या तक पहुंच जाएगा ओमिक्रोन
स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वैसे अभी अमेरिका और यूरोपीय देशों में ओमिक्रोन संक्रमण का पीक देखने को नहीं मिला है। लेकिन जिस तरह से वहां नए मामलों में बेहताशा बढ़ोतरी हुई है, वह दक्षिण अफ्रीका की तरह के हालात की पुष्टि कर रहे हैं। उनके अनुसार अमेरिका में दो दिसंबर को ओमिक्रोन का पहला मामला सामने आया और तीन हफ्ते में वहां एक दिन में संक्रमितों की संख्या दो लाख 67 से अधिक पहुंच गई। इसी तरह ब्रिटेन में एक दिन में एक लाख 22 हजार तक मामले सामने आ रहे हैं। अमेरिका में नए मामले में 73 फीसद से अधिक ओमिक्रोन के आ रहे हैं। जाहिर है यदि इसी तरह से ओमिक्रोन का संक्रमण फैलता रहा तो वह बहुत जल्द अधिकांश जनसंख्या तक पहुंच जाएगा और उसके बाद नए मामलों में गिरावट आनी शुरू हो जाएगी।
संक्रमण के तेजी से फैलने के बावजूद किसी भी देश में स्वास्थ्य ढांचे पर नहीं आई दबाव की स्थिति
भारत में पहली और दूसरी लहर की तुलना करते हुए वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मार्च में नए मामलों की संख्या बढ़नी शुरू हुई थी और यह 17 सितंबर तक अपने पीक तक पहुंच गई थी। वहीं अधिक तेजी से फैलने वाले डेल्टा वैरिएंट की वजह से दूसरी लहर में 15 फरवरी के आसपास नए मामलों की संख्या बढ़नी शुरू हुई और सात मई को यह चरम पर पहुंच गया, जब एक दिन में चार लाख से अधिक मामले सामने आए थे। ओमिक्रोन वैरिएंट को डेल्टा की तुलना में पांच गुना तक अधिक संक्रामक माना जा रहा है। इससे यदि जनवरी में तीसरी लहर की शुरूआत भी होती है, तो वह फरवरी तक पीक पर पहुंच कर कम होनी शुरू हो जाएगी।
सबसे बड़ी बात यह है कि ओमिक्रोन वैरिएंट के तेजी से बढ़ते मामलों के बावजूद दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन या अमेरिका में अस्पतालों में भर्ती होने वालों की संख्या में उस अनुपात में बढ़ोतरी नहीं देखी गई है। दक्षिण अफ्रीका में तो ओमिक्रोन की लहर बिना किसी लाकडाउन के ही उतार पर आ गया। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ओमिक्रोन को लेकर दुनिया भर से आ रहे संकेत राहत दे रहे हैं, लेकिन यह देखना होगा कि भारतीयों के जिनोम में यह वैरिएंट किस तरह से अपना रंग दिखाता है।