करोड़ों की कर चोरी करने वाले व्यवसायी की जमानत खारिज, गलत धाराओं में दिया था प्रार्थना पत्र



जीएसटी की 18 करोड़ रुपये की कर चोरी मामले में सोमवार को विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पीयूष वर्मा ने आरोपित विश्वजीत वर्मा की जमानत अर्जी खारिज कर दी।जमानत की अर्जी गलत धाराओं में दी गई थी जिसका जिक्र भी न्यायालय ने अपने आदेश में किया है।
जीएसटी इंटेलीजेंस की टीम ने काकादेव के गीता नगर निवासी तंबाकू व्यवसायी विश्वजीत वर्मा को उनके घर से गिरफ्तार किया था।जीएसटी अधिकारियों ने व्यवसायी पर 18 करोड़ रुपये की कर चोरी के आरोप में एफआइआर दर्ज की थी। शनिवार को उन्हें इस मामले में रिमांड मजिस्ट्रेट की कोर्ट में पेश किया गया जहां से न्यायालय ने उन्हें जेल भेज दिया।सोमवार को विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में उनकी जमानत अर्जी पर सुनवाई हुई।विशेष लोक अभियोजक अंबरीश टंडन ने बताया कि आरोपित के पास से 1.23 करोड़ रुपये नकद बरामद हुए थे जबकि दस्तावेजों के परीक्षण में 18 करोड़ की टैक्स चोरी पायी गई है।दस्तावेजों का परीक्षण चल रहा है ऐसे में टैक्स चोरी और बढऩे की संभावना है।उपरोक्त दलीलों के चलते न्यायालय ने जमानत अर्जी खारिज कर दी।आदेश में न्यायालय ने लिखा कि आरोपित की ओर से सीआरपीसी की धारा 439 के तहत जमानत प्रार्थना पत्र दिया गया है जबकि इस धारा के तहत हाईकोर्ट या फिर सत्र न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया जाता है न कि मजिस्ट्रेट न्यायालय में।चूंकि अपराध भी गंभीर प्रकृति का गैरजमानतीय है लिहाजा परिस्थितियों को देखते हुए जमानत देने का कोई आधार नहीं है।