मिलिए समाज सेविका ज्योति राजपूत से ……….
ज्योति राजपूत जो कि लखनऊ से हैं वैसे तो ये इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में एक अधिवक्ता के रूप में कार्य करतीं है परंतु इन्होंने बहुत से सामाजिक कार्य ऐसे ऐसे किए हैं कि बड़े बड़े समाजिक व्यक्ति भी नहीं करते इन्होंने कई शारीरिक, मानसिक रूप से विक्षिप्त,बुजुर्गों, बच्चों, भूले भटके लोगों को उनके परिवार से मिलाया जो कि दूसरे जिलों तथा दूसरे राज्यों के थे या दूसरे राज्यों से यहां पहुंच गयें या यहां से दूसरे राज्य पहुंच गये थे। सड़कों पर पड़े हुए लाचार बुजुर्गों बीमारों एवं मानसिक एवं शारीरिक रूप से विक्षिप्त व्यक्तियों को अस्पताल में भर्ती करा कर उनका इलाज करवातीं हैं एवं ठीक होने पर उन्हें वृद्धाश्रम या अन्य सुरक्षित स्थानों पर रखवा देतीं हैं ये कैंसर पेशेंट्स के इलाज हेतु भी यथासंभव सहायता करती है और जरूरतमंदों को रक्त स्वयं भी डोनेट करतीं हैं तथा अन्य लोगों के माध्यम से भी रक्त उपलब्ध भी करातीं हैं। यह उन लोगों के साथ खड़ी होती हैं जिनके साथ कोई भी खड़ा होना पसंद नहीं करता या जिनको खुद अपनों ने अपने से दूर कर दिया। यह ऐसे लोगों की सहायता हेतु प्रथमत: स्वयं के स्तर पर प्रयत्न करती हैं जब कहीं से सहायता नहीं मिलती तो यह माननीय उच्च न्यायालय में याचिका करके शोषितों तो एवं दबे -कुचले लोगों को राहत प्रदान करती हैं इन्होंने कई जनहित याचिकाएं की जिसके परिणाम स्वरूप कई बेसहारा लोगों को आज आश्रय, सहायता और उपचार मिला। ज्योति जी एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार से हैं। इन्होंने अपने विद्मर्थी जीवन के दौरान अपने स्कूल तथा यूनिवर्सिटी के आसपास के ढाबों एवं होटलों पर कार्य करने वाले बच्चों को पढ़ाया एवं उनको अपना स्वयं का बिजनेस खड़ा करने हेतु प्रोत्साहित किया। ये राष्ट्रीय स्तरीय जूडो खिलाड़ी तथा विधि से यूजीसी नेट क्वालीफाइड हैं फिर भी इन्होंने अपना व्यवसाय वकालत चुना क्योंकि इनका मानना है कि वकालत की कलम में वो शक्ति है जो ज्योति जी के सपने को पूरा कर सकती है। ज्योति जी का सपना है कि इस दुनियां में कभी भी कोई भी खुद को दबा कुचला न महसूस करें सब खुश रहें, स्वस्थ रहें फिर चाहे वो इंसान हों या जानवर हों या फिर प्रकृति का कोई भी हिस्सा। और इसीलिए यह केवल इंसानों की सहायता ही नहीं करती बल्कि जानवरों के उपचार हेतु भी और उसके हितार्थ अपने स्तर पर प्रयत्न करती हैं। इन्हें प्रकृति से बहुत प्रेम है और यह पर्यावरण और वृक्षारोपण के क्षेत्र में भी अपने स्तर पर कार्य करती हैं। ये एक अंधी एचआईवी पॉजिटिव महिला का इलाज पिछले 3 वर्षों से करा रहीं हैं और अपने स्तर पर उसका और उसके बच्चे की देखभाल भी करतीं हैं। ये अपने बचे हुए समय में वृद्धाश्रम में जाकर बुजुर्गों की सेवा करतीं हैं और उन्हें योगा सीखातीं हैं और ये सब ये निशुल्क करतीं हैं। ये निर्धन बुजुर्गों, महिलाओं, विकलांगों को और बहुत गरीब असहाय व्यक्तियों को निशुल्क विधिक सहायता भी प्रदान करतीं हैं। इनका उद्देश्य है कि सब इस दुनियां में एक गरीमापूर्ण जीवन जियें और सब एक दूसरे के साथ खड़े रहें। इनका मानना है कि रिश्ते निभाने के लिए खून के रिश्ते का होना या जान-पहचान होना जरूरी नहीं है इसके लिए केवल इतना ही काफी है कि हम इंसान हैं और हमारी प्रकृति मां है और हम सबकी जननी भी है और वो सबके साथ समानता का व्यवहार करती पूरी पवित्रता और समर्पण के साथ।हमें आजीवन पालती है इसीलिए हम सबका रिश्ता तो जन्म से ही बन जाता है फिर हम अपनी मानसिकता में अपने -परायों का भेद क्यों रखें जब हम सब एक ही ईश्वर की संतान हैं। हम इंसान हैं इसलिए बेहतर तरीके से सबकी समस्याओं को समझ सकते हैं और उनके निदान हेतु कार्य भी कर सकते हैं।