लखनऊ की ज्योति राजपूत ने किया फिर मानवता का काम, बृद्ध महिला की की मदद
लखनऊ | स्वरुप संवाददाता ये बुजुर्ग महिला कल एडवोकेट ज्योति राजपूत को चारबाग, दुर्गापुरी मेट्रो स्टेशन से थोड़ा आगे सड़क पर तब दिखी जब वो हाईकोर्ट से वापस आ रहीं थी इस बुजुर्ग महिला की दशा इतनी दयनीय थी कि उन्होंने जैसे ही इनको देखा गाड़ी रूकवाई और इनके पास गईं ज्योति जी के अनुसार ये बुजुर्ग महिला बैठे-बैठे चल रहीं थी ये स्वयं खड़ी नहीं हो सकती हैं और ये बुजुर्ग महिला अर्धनग्न अवस्था में थी। फिर ज्योति जी ने इनसे इनके बारे में पूछा तो इन्होंने अपना नाम- मुखिया तथा पति का नाम -स्वर्गीय पंजाबी एवं बेटे का नाम -अर्जुन बताया। इन्होंने अपना पता- सिरसिया, धिमानी, थाना -सिरसिया/ किरिसिया/ किरिकिया, जिला- पूर्णिया, बिहार बताया। इन्होंने यह भी बताया कि इनके यहां बरनेश्वर का मेला भी लगता है। इनकी स्थिति बहुत थी दयनीय थी और इनके शरीर पर चोटों के बहुत से निशान भी थे। इसीलिए ज्योति जी को लगा कि उन्हें इन्हें इस अवस्था में नहीं छोड़ना चाहिए इसलिए उन्होंने वन स्टॉप सेंटर की प्रशासिका अर्चना सिंह को फोन किया और उनसे सहायता मांगी। कुछ समय बाद वन स्टाप सेंटर की रेस्क्यू टीम वहां पहुंचीं और ज्योति जी, उक्त बुजुर्ग महिला उनके साथ लोकबंधु अस्पताल स्थित वन स्टॉप सेंटर, आशियाना पहुंचे जहां ज्योति जी ने समस्त लिखित विधिक प्रकिया पूरी करने के पश्चात ज्योति जी और वन स्टॉप सेंटर की रेस्क्यू टीम के द्वारा दादी को बिजनौर स्थित महिला वृद्धाआश्रम ले जाया गया। जहां पर उक्त बुजुर्ग महिला अब सुरक्षित एवं खुश है। आशा यही है कि ये बुजुर्ग महिला अपना आगे का जीवन हंसी- खुशी बिताएंगी। परंतु जैसा कि ज्योति जी ने बताया कि उन्हें इस बुजुर्ग महिला से बात करके ज्ञात हुआ कि यह अपने परिवार से बिछड़ गई हैं या फिर ये भी हो सकता है कि उनके परिवार के ही किसी सदस्य द्वारा इन्हें छोड़ दिया गया है अब सच्चाई क्या है ये ज्योति जी को नहीं पता परंतु ज्योति जी ने सब से विनती की है कि इन दादी के परिवार के संबंध में जो भी कोई जानकारी रखता है वह ज्योति जी को इस नंबर 6388 390237 पर दे। ज्योति जी का कहना है कि हो सकता है कि इन बुजुर्ग दादी का परिवार भी इन्हें ढूंढ रहा हो और अगर ऐसा है तो हम सब का कर्तव्य है कि हम सब इन दादी को इनके परिवार से मिलने के लिए एक प्रयत्न अवश्य करें।
एडवोकेट ज्योति राजपूत जी कहतीं है कि हमें अक्सर ऐसे बुजुर्ग रास्ते पर मिल जाते हैं जो लाचारी के कारण सड़कों पर होते हैं और बड़ी ही दयनीय दशा में सड़कों पर भीख मांगने को मजबूर होते हैं परंतु हम उनकी सहायता नहीं करते हैं या सहायता करते भी हैं तो मात्र कुछ पैसों से उनकी सहायता कर देते हैं परंतु यह सहायता उनके लिए कुछ क्षणों के लिए राहत हो सकती है वास्तव में ऐसे बुजुर्ग हमेशा अपने आगे का जीवन अच्छे से जीयें इसके लिए हमें यह प्रयत्न करना चाहिए कि इन्हें हम सुरक्षित एवं एक सही स्थान पर पहुंचा दें या कम से कम एक कोशिश अवश्य करें इंन्हें सड़कों से उठाकर एक अच्छा जीवन देने की। ज्योति जी ने बताया कि उन्हें एक जरूरी कार्य के लिए एक स्थान पर पहुंचना था परंतु उन्हें इस बुजुर्ग महिला कि दशा को देखकर ऐसा लगा कि इस काम से अधिक कोई और जरूरी कार्य हो ही नहीं सकता। उन्होंने आगे कहा कि उनके इस निर्णय से उनके साथ कुछ अन्य लोगों का भी हित प्रभावित आवश्य ही हुआ परंतु यदि वो चुपचाप इस बुजुर्ग महिला को सड़क पर छोड़कर या कुछ पैसे देकर निकल जाती तो शायद वो स्वयं को कभी माफ नहीं कर पाती और वो एक सुकून का जीवन नहीं जी पाती, क्योंकि उनका मानना है कि अगर हम सच में इंसान हैं तो किसी भी इंसान या जीव को कष्ट में छोड़कर नहीं जायेंगे उनको उनके कष्ट से बाहर निकालने का हर सम्भव प्रयास करेंगे। बता दे की ज्योति राजपूत पेशे से अधिवक्ता है परन्तु इनकी रूचि बृद्ध और कमजोर लोगो की मदद करने में है यहाँ तक ये अपना पैसा भी लगाने में नहीं हिचकती राष्ट्रीय स्वरुप ज्योति जी के जज्बे को सलाम करता है