01 November, 2024 (Friday)

कृषि कानूनों के समर्थन में उतरे शिक्षाविद, हस्ताक्षर मुहिम में 850 हुए शामिल, कहा- इनसे किसानों को मिलेगी ताकत

कृषि कानूनों के समर्थन में अलग-अलग राज्यों के किसान संगठनों के बाद अब देश के बड़े शिक्षाविद भी मैदान में कूद पड़े हैं। अलग-अलग विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े 850 से ज्यादा शिक्षाविदों ने एक हस्ताक्षर अभियान के जरिये तीनों कृषि कानूनों का समर्थन किया है। साथ ही इन्हें किसानों के लिए उपयोगी बताया और कहा कि इनसे देश के किसानों को एक नई ताकत मिलेगी।

इस मुहिम में दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, राजीव गांधी विश्वविद्यालय जैसे देश के प्रतिष्ठित संस्थानों से जुड़े शिक्षाविद शामिल हैं। इनमें कुलपति के साथ प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर आदि शामिल हैं। इन सभी का कहना है कि उन्हें सरकार की ओर से किसानों को दिए गए भरोसे पर पूरा विश्वास है। इसके तहत किसानों की आजीविका की पूरी रक्षा की जाएगी। इससे किसानों को उनकी उपज का अच्छा मूल्य भी मिलेगा। यह कानून किसानों को बिचौलियों से बचाएगा।

शिक्षाविदों का कहना है कि सरकार ने किसानों को बार-बार भरोसा दिया है कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को आगे भी जारी रखेगी। इसके बाद भी कुछ लोग किसानों के बीच कानून और सरकार को लेकर भ्रम फैला रहे हैं, जो ठीक नहीं है। इससे देश का विकास और आपसी भाईचारा प्रभावित होगा। गौरतलब है कि शिक्षाविदों ने कृषि कानूनों का समर्थन उस समय किया है, जब किसानों के कुछ संगठन दिल्ली की सीमाओं पर इन कानूनों के विरोध में आंदोलनरत हैं।

किसानों का कहना है कि यह कानून किसानों के खिलाफ है और सरकार इसे वापस ले। बीते बुधवार को हुई छठे दौर की वार्ता में सरकार और किसान संगठनों के बीच बिजली संशोधन विधेयक 2020 और एनसीआर से सटे इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के संबंध में जारी अध्यादेश संबंधी आशंकाओं को  दूर करने को लेकर सहमति बनी थी। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया था कि चार विषयों में से दो पर सहमति के बाद गतिरोध पर 50 फीसद समाधान हो गया है। बाकी मसलों पर चार जनवरी को चर्चा होगी।
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