09 April, 2025 (Wednesday)

Farmers Protest: किसानों के अवरोध से लटक सकता है पंजाब में कटरा-दिल्ली एक्सप्रेस वे का काम

तीन कृषि कानूनों के विरोध का असर पंजाब के सबसे प्रतिष्ठित कटरा-दिल्ली एक्सप्रेस वे प्रोजेक्ट पर भी पड़ना शुरू हो गया है। संगरूर जिले के किसानों ने इस प्रोजेक्ट के लिए तीनों कृषि कानूनों को रद करने तक जमीन न देने का ऐलान किया है। हालांकि, विभागीय सूत्रों का कहना है कि यह विरोध केवल अपनी जमीन की कीमत ज्यादा से ज्यादा मिले, इसके लिए हो रहा है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि यह विरोध केवल संगरूर जिले में ही क्यों हो रहा है, जबकि एक्सप्रेस वे सात जिलों से होकर गुजरना है। छह में कोई खास दिक्कत नहीं आ रही है। पटियाला में मामूली विरोध हुआ था।

राष्ट्रीय महत्व के प्रोजेक्ट के लिए जमीन देने से इन्कार कर रहे किसान

नेशनल हाईवे अथॉरिटी आफ इंडिया (एनएचएआइ) को इस प्रोजेक्ट के लिए पंजाब में 3200 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है, जिसमें से अभी तक 2300 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण हो चुका है। संगरूर जिले की 600 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण बाकी है। शेष जमीन के लिए प्रक्रिया चल रही है। इस प्रोजेक्ट को 2023 में पूरा करने का लक्ष्य है, लेकिन जिस तरह से किसान इसका विरोध कर रहे हैं, उससे लगता है कि यह प्रतिष्ठित प्रोजेक्ट लटक सकता है।

संगरूर में ही विरोध क्यों

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि विरोध संगरूर में ही क्यों हो रहा है। दरअसल इस इलाके में वामपंथी विचारधारा वाले किसानों की संख्या ज्यादा है। भूमि अधिग्रहण का काम करने में जुटी एनएचएआइ की टीम को भी किसानों ने घेर लिया। सर्वे के लिए आए अलग-अलग कंपनियों के कर्मचरियों को किसान छह बार जबरन अपने धरने में बैठा चुके हैं। अभी तक किसी किसान पर केस भी दर्ज नहीं हुआ है। उनके काम में बाधा पहुंचाई जा रही है।

सर्वे के लिए आने वाली कंपनियों के कर्मचारियों के काम में पहुंचा रहे बाधा

किसानों ने अपने संघर्ष की शुरुआत जमीन का रेट कम दिए जाने को लेकर की थी और कहा था कि नेशनल हाईवे -7 के लिए जो रेट तय किया गया है, वही रेट हमें भी दिया जाए। पंजाब के लोक निर्माण मंत्री विजय इंद्र सिंगला का कहना है कि हम किसानों से लगातार बातचीत कर रहे हैं। उनकी मांगों को केंद्र सरकार के पास उठा रहे हैं।

उन्होंने माना कि जो रेट पहले दिया गया था वह ज्यादा है। वह रेट पुराने भूमि अधिग्रहण कानून के तहत दिए गए हैं, लेकिन एनडीए सरकार ने इस एक्ट में बदलाव कर दिया है। फिर भी हम किसानों की भावनाओं को केंद्र के पास पहुंचा रहे हैं। अब जो फैसला केंद्र को लेना है, उसमें पंजाब सरकार क्या कर सकती है।

जल्द लेंगे भूमि का कब्जा: एनएचएआइ

एनएचएआइ के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि एनएच-7 पहले से ही बना हुआ था और उसको चौड़ा करने के लिए जमीन अधिग्रहीत की गई थी, इसलिए उसका पैसा निश्चित रूप से ज्यादा ही होगा। यह नया ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट है, जो नए सिरे से बन रहा है। इसका रेट निश्चित रूप से उतना नहीं होगा। जहां-जहां जमीन चिन्हित कर ली गई है, वहां भूमि की कीमत का आकलन किया जा रहा है और जल्द ही अवार्ड घोषित करके भूमि का कब्जा ले लिया जाएगा।

296 किलोमीटर हिस्सा गुजरेगा पंजाब से

-प्रोजेक्ट की कुल लंबाई 634 किलोमीटर है। 40 किलोमीटर घटेगा कटरा-दिल्ली का सफर। 296 किलोमीटर हिस्सा पंजाब से गुजरेगा

-इसी एक्सप्रेस वे के साथ अमृतसर, डेरा बाबा नानक, तरनतारन, खडूर साहिब के सिख धार्मिक स्थल जुड़ेंगे।

-सात जिलों पटियाला, संगरूर, लुधियाना, कपूरथला, जालंधर, गुरदासपुर और पठानकोट से होकर गुजरेगा एक्सप्रेस वे।

-सौ किलोमीटर का हिस्सा अमृतसर से नकोदर तक का अलग से ¨लक के रूप में बनेगा।

अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेस-वे में भी अड़ंगा

अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेस वे को लेकर भी किसानों का विरोध शुरू हो गया है। यह प्रोजेक्ट दिल्ली-कटरा तक बनने वाले एक्सप्रेस वे को जोड़ते हुए सल्तानपुर लोधी के गांव टिब्बा से निकलेगा। यह बठिंडा के संगत कलां तक पंजाब में बनाया जाना है। शुक्रवार को किसानों ने जमीन अधिग्रहण के खिलाफ डीसी दफ्तर के सामने धरना दिया। हालांकि इनके विरोध का किसान आंदोलन से लेना-देना नहीं है।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *