नौकरी के साथ खेती किसानी करेंगे रेल कर्मचारी
इज्जतनगर रेलमंडल अपनी खाली जमीन छोटे कर्मचारियों को लीज पर देकर किसानी कराएगा। इससे जहां कर्मचारियों की आय में बढ़ोत्तरी होगी। वहीं दूसरी ओर रेलवे का राजस्व भी बढ़ेगा। यह कार्य ग्रो मोर फूड योजना के तहत किया जाना है। इसके तहत रेलवे अपने गैंगमैन, ट्रैकमैन, कीमैन जैसे छोटे पदों पर तैनात कर्मचारियों को जमीन लीज पर देगा। अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को जमीन लीज पर देने से जमीन पर कब्जा होने की संभावना भी न के बराबर होगी। मंडल के पास करीबन 180 हेक्टेयर जमीन खेती के लायक है। जो कि रेलवे ट्रैक के किनारे खाली पड़ी हुई है।
आरएलडीए ने तैयार किया था प्रोजेक्ट
रेलवे लैंड डवलपमेंट अथॉरिटी (आरएलडीए) नई दिल्ली ने प्रस्ताव बनाया था। जिसमें रेल की खाली जमीनों से राजस्व एकत्र करने को प्रोजेक्ट तैयार किया गया था। शहरी क्षेत्र में रेल की जो खाली जमीन थी। उस पर कामर्शियल बिल्डिंग बनाने का फैसला हुआ। जबकि रेलवे ट्रैक के किनारे खाली जमीन में खेती-किसानी से कमाई करने पर सहमति बनी। इज्जतनगर रेल मंडल में जमीन का सर्वे हुआ। जिसमें सीबीगंज में ही करीब आठ से नौ एकड़ रेल की जमीन मिली।
लीज पर रेलवे अपने ही लोगो को देगा जमीन
ट्रैक किनारे रेलवे की खाली जमीन को रेलवे अपने ही डी ग्रुप के कर्मचारियों को लीज पर देगा। यह जमीन उस सेक्शन के किमैन, ट्रैकमैन, गेटमैन समेत अन्य को दी जाएगी। इससे कर्मचारियों की भी आय बढ़ेगी और रेलवे को भी राजस्व मिलेगा।
रेलवे की जमीन पर खेती का रिकार्ड भी एनईआर के नाम
पंडित लाल बहादुर शास्त्री द्वारा 1965 में पाकिस्तान से युद्ध के दौरान जय जवान जय किसान का नारा दिया था। इस नारे के बाद से पूर्वोत्तर रेलवे गोरखपुर में रेल अफसरों के बंगलों और रेलवे की खाली पड़ी जमीनों में गेहूं और आलू की फसल की गई थी। इसमें मजदूर नहीं बल्कि कर्मचारी और अफसर ही खेती के काम करते थे। पूर्वोत्तर रेलवे के दस्तावेजों के मुताबिक 25 नवंबर 1965 तक हर जगह खेती शुरू कर दी गई। जिसे दिल्ली तक में सराहा गया था। जो कि एनईआर के नाम रिकार्ड आज भी दर्ज है।
रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी
रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी राजेंद्र सिंह का कहना है कि रेलवे के राजस्व को बढ़ावा देने के लिए ट्रैक किनारे की खाली जमीन रेलवे कर्मचारियों को खेती के लिए आवंटित की गई है। जिससे रेलवे को राजस्व के साथ कर्मचारियों को आमदनी हो सके।