फसल अवशेष प्रबंधन की जनपद स्तरीय गोष्ठी कलेक्ट्रेट सभागार में सम्पन्न।
श्रावस्ती। प्रदेश सरकार किसानो के उत्थान हेतु प्रतिबद्ध है, इसलिए सभी सम्बन्धित विभागीय अधिकारियों का दायित्व बनता है कि विभिन्न विभागों के माध्यम से किसानो के हित में संचालित सभी योजनाओं से उन्हें लाभान्वित किया जाए ताकि किसान भाई वैज्ञानिक विधि से खेती करके आगे बढ़ सके ताकि उनकी आमदनी भी दोगुनी हो सके। किसान भाई पुरानी परम्परागत खेती त्याग कर आधुनिक एवं वैज्ञानिक विधि अपना कर खेती करके अपने अन्न का उत्पादन दुगुना करें और बागवानी खेती के प्रति विशेष ध्यान दें ताकि वे अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर आत्म निर्भर हो बनें और उनका परिवार खुशहाल जीवन व्यतीत कर सके।
उक्त विचार कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित जनपद स्तरीय गोष्ठी में आये किसानों को सम्बोधित करते हुये अपर जिलाधिकारी कमलेश चन्द्र ने व्यक्त किया। उन्होने जोर देते हुए कहा कि खेतों में पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है जिससे मानव के साथ साथ अन्य जीव जंतुओं के स्वास्थ्य पर अत्यंत विपरीत प्रभाव पड़ता है।
अपर जिलाधिकारी ने जनपद स्तरीय गोष्ठी में आये किसान भाईयों से अपील की है कि वे अपने खेतों में धान की पराली कदापि न जलायें क्यांेकि अब सरकार ने कार्यवाही करने का निर्देश दिया है। धान की पराली जलाने से खेतों की उर्वरक क्षमता भी घटती है। इससे फसल उपज में उनकी ही हानि होती है। उन्होंने यह भी कहा कि लाभ की स्थिति न होने पर जो अपने गौ माता एवं जानवरों को बेसहारा छोड़ देते है वह बहुत ही चिंता का विषय है। इनको बेसहारा छोड़ देने से ये सब इधर उधर भटकते रहते हैं। जिससे मुख्य मार्गों पर भी इनके अचानक आने पर आवागमन भी बाधित होता है तथा इनके दुर्घटना की संभावना भी प्रबल रहती है। इस पर भी हम लोगों को मंथन करके लोगों को इन्हे पालने हेतु प्रेरित करना है। गौ माता से हमें गोबर खाद प्राप्ति होने के साथ-साथ तमाम वैज्ञानिक फायदें भी है, लेकिन जागरूकता के अभाव में लोग अब देखी देखा करके भी पशुओं को बेसहारा छोड़ देते हैं या अपने घर के आस-पास संचालित गौशाला में छोड देते हैं और अपनी जिम्मेदारी से विरत हो जाते हैं। सरकार ने अब यह फैसला लिया है कि जो किसान भाई गौशाला से ला करके गौ माताओं का सेवा करेगें उन्हे निर्धारित प्रोत्शाहित धनराशि दी जाने की व्यवस्था की गई है इससे भी किसान भाई अपनी आमदनी बढ़ा सकते है। इसके साथ ही उन्होने किसानों को आर्गेनिक खेती अपनाने पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि जिले की बढ़ती जनसंख्या ही एक गरीबी का कारण है परिवार नियोजन की तरफ ध्यान न देने के कारण बच्चों की संख्या भी बढ़ती चली गयी इससे बच्चों की परवरिश और पढ़ाई लिखाई के तरफ भी लोग अपने बच्चों का ध्यान नहीं दे पा रहें है। जो चिन्ता का विषय है। सीमित परिवार होने से ही हम उनकी बेहतर देखभाल कर और बच्चों को शिक्षित कर उन्हें बेहतर नागरिक बनायें ताकि वे उच्च पदो पर पहुंच कर जिले का नाम रोशन कर सके। उन्होंने किसान भाइयों को आश्वस्त किया कि वे किसानों की हर दुख दर्द को जानती हैं उनकी जो भी समस्याऐं होंगी प्राथमिकता के आधार पर उनका निराकरण कराया जायेगा। अपर जिलाधिकारी ने किसानों को समय से खाद, बीज एवं सिंचाई हेतु पानी समय से देने से हेतु सम्बन्धित विभागीय अधिकारियों को निर्देश भी दिया।
उप कृषि निदेशक कमल कटियार ने कृषकों को सम्बोधित करते हुए बताया कि पराली जलाने से खेतों की उर्वरता नष्ट हो जाती है, मिट्टी में रहने वाले लाभदायक जीवाणु नष्ट हो जाते हैं तथा वातावरण में जब्रिलि गैसें फैलती हैं। इसके लिये सरकार की ओर से अनेकों कृषि यंत्र भारी अनुदान पर दिए जा रहे हैं।कृषक उन यंत्रों की मदद से पराली प्रबंधन कर सकते हैं। सभी यंत्रों की बुकिंग ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से सीधे कृषकों द्वारा करनी होती है, जिसके लिए ओटीपी उनके मोबाइल पर ही आता है।
उन्होने जनपद में संचालित विभिन्न योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी, जैसे-आत्मा योजना, एन0एफ0एस0एम0 योजना, नमसा योजना, इन-सीटू योजना, परम्परागत कृषि विकास योजना व पी0एम0 किसान योजना के बारे में विशेष रूप से जानकारी दी गयी। उप कृषि निदेशक, श्रावस्ती द्वारा बताया गया कि एन0एफ0एस0एम0 योेजनार्न्गत जीरोटिल, सीड-कम फर्टिलाइजर ड्रिल अनुसूचित जाति, अनु0जनजाति, लघु एवं सीमान्त महिला कृषक को 28000 अथवा मूल्य का 50 प्रतिशत तथा अन्य कृषक हेतु 22400 अथवा 40 प्रतिशत जो भी कम हो अनुदान अनुमन्य होगा। जीरोटिल मल्टीक्राप प्लान्टर अनुसूचित जाति, अनु0जनजाति, लघु एवं सीमान्त महिला कृषक को 75000 अथवा मूल्य का 50 प्रतिशत तथा अन्य कृषक हेतु 60000 अथवा 40 प्रतिशत जो भी कम हो अनुदान अनुमन्य होगा।
भूमि संरक्षण अधिकारी, श्रावस्ती द्वारा फसल अवशेष प्रबन्धन के उपयुक्त यंत्रों के बारे में जैसे-हैप्पी सीडर, पैडी स्ट्रा चापर, मल्चर, सुपर सीडर, जीरोटिल व रोटोवेटर सहित अन्य यंत्रों के बारे में जानकारी दी गयी। सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट यह यंत्र कम्बाइन हार्वेस्टर में अटैच किया जाता है जो कम्बाईन द्वारा काटी गयी फसल के अवशेष को छोटे-छोटे टुकडों मेें करके खेतों में बिखेर देता है। जिससे फसल अवशेष को आसानी से मृदा में मिलाया जा सकता है। फसल अवशेष को जलाया नहीं जाता है। भूमि संरक्षण अधिकारी, श्रावस्ती द्वारा बताया गया कि फसल अवशेष प्रबन्धन के यंत्रों को 50 प्रतिशत के अनुदान पर दिया जाता है।
कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ0 आर0के पाण्डेय व डॉ0 विनय कुमार के द्वारा फसल अवशेष जलाने से मृदा में होने वाली हानियों के बारे में विशेष जानकारी दी गयी, कि फसल अवशेष को जलाने से शत्-प्रतिशत नत्रजन, 25 प्रतिशत फास्फोरस, 20 प्रतिशत पोटाश व 60 प्रतिशत सल्फर का नुकसान होता है तथा भूमि में कार्बनिक पदार्थों का भी नुकसान होता है। जमीन के ऊपरी सतह पर रहने वाले मित्र कीट व केचुए आदि भी नष्ट हो जाते है। भूमि में रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है, जिससे पैदावार में कमी हो जाती है। इसलिए फसल अवशेष को नहीं जलाना चाहिए।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी द्वारा बताया गया कि अवशेष को न जलाकर वेस्ट डी-कम्पोजर का प्रयोग करें। वेस्ट डी-कम्पोजर बनाने व प्रयोग करने की विधि के बारे में जानकारी दी। वेस्ट डी-कम्पोजर का एक डिब्बा 200 ली0 के ड्रम में 2 किग्रा0 गुड मिलाकर छाया स्थान पर रख देते हैं व सुबह शाम लकडी के डंडे से इसको 5 मिनट के लिए हिलाया जाता है, जिससे वह अच्छी तरह से मिल जाये व यह प्रक्रिया एक सप्ताह के लिए किया जाता है, इसके बाद 1-1.5 ली0 वेस्ट डी-कम्पोजर एक टंकी पानी में मिलाकर खेत में छिडकाव करते हैं उसके बाद जब ड्रम में 5-10 ली0 अवशेष बच जाता है उसी ड्रम में 200 ली0 पानी डालकर एक सप्ताह के लिए रख देते हैं, जिससे फिर वेस्ट डी-कम्पोजर तैयार हो जाता है।
कृषि रक्षा अधिकारी विजय कुमार द्वारा कृषकों को वेस्ट डिकॉम्पोज़र की मदद से पराली को तेजी से सड़ाने की विधि अपनाने पर जोर दिया गया। गोष्ठी में वीडियो के माध्यम से वैज्ञानिक वार्ताएं भी प्रदर्शित की गईं। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा भी पराली को खाद में परिवर्तित कर उपयोग करने की जानकारी विस्तारपूर्वक दी गई।
बैठक का संचालन उपनिदेशक कृषि ने किया। उन्होने यह भी बताया कि अगले सप्ताह न्याय पंचायत स्तरीय गोष्ठियों का भी आयोजन किया जाएगा।
इस अवसर पर उपजिलाधिकारी भिनगा राजेश कुमार मिश्रा, जिला कृषि अधिकारी अवधेश यादव, जिला उद्यान अधिकारी दिनेश कुमार चौधरी, भूमि संरक्षण अधिकारी शिशिर वर्मा, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा0 जयइन्द्र सिंह, जिला कृषि रक्षा अधिकारी विजय कुमार, सहायक निदेशक मत्स्य सुरेश कुमार, जिला प्रोबेशन अधिकारी मोहन त्रिपाठी डिप्टी आर0एम0ओ0 प्रज्ञा शर्मा सहित कृषि विभाग के अधिकारी/कर्मचारी एवं विभिन्न न्याय पंचायतों के नोडल अधिकारी भी उपस्थित रहे।