गो-संरक्षण केन्द्रों में गोवंशों को कोई दिक्कत न होने पावे, इसका रखा जाय ध्यान-जिलाधिकारी।
श्रावस्ती। जिलाधिकारी नेहा प्रकाश की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में निराश्रित/बेसहारा गोवंश की समस्या के निदान हेतु गोवंश आश्रय स्थल की जनपद स्तरीय गोसंरक्षण, अनुश्रवण एवं मूल्यांकन समिति की समीक्षा बैठक की गयी। जिसमें जनपद के निराश्रित/बेसहारा गोवंश से किसानों की फसलों के नुकसान एवं सरकारी संस्थाओं में अपने गोवंशों को बंद करने एवं राष्ट्रीय राजमार्गाे पर आवारा गोवंश द्वारा उत्पन्न समस्याओं के निदान किये जाने हेतु समीक्षा की गई। शासन के निर्देश के क्रम में गो आश्रय स्थल की स्थापना, संचालन, क्रियान्वयन एवं प्रबन्धन के सम्बन्ध में विस्तृत चर्चा की गयी। जिलाधिकारी ने मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को पशुओं की शत-प्रतिशत ईयर टैगिंग कराने के निर्देश दिये। उन्होने कहा कि गो-संरक्षण केन्द्रों में रहने वाले गोवंशों को कोई दिक्कत न होने पावे, इसके लिए चारा-पानी एवं उनके रहने के लिए छाया की व्यवस्था भी सुनिश्चित रहनी चाहिए, ताकि उन्हें गो-आश्रय केन्द्रों में कोई दिक्कत न होने पावे। उन्होंने कहा कि गोशाला में किसी भी तरह की लापरवाही क्षम्य नहीं होगी, पशु खुले में नहीं रहेंगे। कहीं भी किसी जानवर को कोई हानि पहुंचती है तो सम्बन्धित चिकित्सक तत्काल जानवरों का उपचार करेंगे। उन्होंने समस्त उप जिलाधिकारियों को सप्ताह में एक बार तहसील स्तरीय बैठक कराने के निर्देश दिये। उन्होंने निर्देश दिया कि ब्लॉक लेवल पर प्रत्येक गौशाला की अलग-अलग फाइल होनी चाहिए। जिलाधिकारी ने समस्त खण्ड विकास अधिकारियों/अधिशाषी अधिकारी नगर पंचायत/नगर पालिका को निर्देशित किया कि वह विकास खण्डवार नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों मे स्थापित अस्थाई गोवंश आश्रय स्थलों की सूचना कुल संरक्षित गोवंश पशुओं की संख्या, ईयर टैग किये गये पशुओं की संख्या, शेड(पूर्ण/निर्माणाधीन/साइज), हरा चारा/भूसा/स्वच्छ पानी/विद्युत/प्रकाश की उपलब्धता, अस्थायी गो आश्रय स्थल मे भरण-पोषण हेतु प्राप्त धनराशि की सम्परीक्षण बिन्दुओं पर सूचना संकलित करके मुख्य पशु चिकित्साधिकारी के कार्यालय में बैठक से पूर्व उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाए। उन्होने निर्देशित किया है कि गोवंश आश्रय स्थल में संरक्षित समस्त गोवंश पशुओं की शत-प्रतिशत ईयर टैगिंग कराना, नियमित निरीक्षण एवं पंजिका पर अंकन कराना सुनिश्चित किया जाए। जिलाधिकारी ने यह भी निर्देश दिया है कि जिन भी गौशालाओं में निरीक्षण के दौरान जैसे-गोवंश आश्रय मे पानी, शेड एवं विद्युत/प्रकाश एवं चरनी आदि की कमी पायी जाती है तो उसे तत्काल सूचीबद्ध कराया जाए तथा सम्बन्धित विभागीय अधिकारियों के माध्यम से व्यवस्थाओं को दुरूस्त करा दिया जाए। उन्होने यह भी निर्देश दिया कि मा0 मुख्यमंत्री जी की निराश्रित/बेसहारा गोवंश जन सहभागिता योजना के अन्तर्गत गोवंशों की सुपुर्दगी भी किया जाए। उन्होने कहा कि अक्सर देखा जाता है कि गौशालाओं में धनराशि खर्च होने के बाद भी उपयोगिता प्रमाण-पत्र समय से सम्बन्धित कार्यालय को उपलब्ध नही करायी जाती है, जिससे बजट की और किश्त देने में विलम्ब होने की सम्भावना रहती है। इसलिए धनराशि खर्च होते ही तत्काल उपयोगिता प्रमाण-पत्र उपलब्ध कराकर बजट की अगली किश्त ली जाए, ताकि गोवंशों के भरण-पोषण में दिक्कत न होने पाये। यदि गो-आश्रय स्थलों में साधन सुविधा की कोई कमी प्रतीत होती है तो सम्बन्धित पशु चिकित्साधिकारी खण्ड विकास अधिकारियों के संज्ञान में लाकर तत्काल कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। इस अवसर पर बैठक का संचालन मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा0 जयइन्द्र सिंह ने किया।
इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी ईशान प्रताप सिंह, उपजिलाधिकारी क्रमशः भिनगा प्रवेन्द्र कुमार, इकौना आर0पी0 चौधरी एवं जमुनहा सौरभ शुक्ला, प्रभागीय वनाधिकारी ए0पी0 यादव, जिला विकास अधिकारी विनय कुमार तिवारी, उपनिदेशक कृषि कमल कटियार, जिला आबकारी अधिकारी पी0के0 गिरी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रभुराम चौहान, सहायक निदेशक मत्स्य सुरेश कुमार, जिला कार्यक्रम अधिकारी आशा सिंह सहित सभी खण्ड विकास अधिकारीगण उपस्थित रहे।