कोरोना के खिलाफ जंग में भारत को एक और सफलता, भारत बायोटेक को नेजल वैक्सीन के तीसरे फेज के अध्ययन की मंजूरी
डीसीजीआई की विषय विशेषज्ञ समिति ने भारत बायोटेक को अपने इंट्रानेजल कोविड वैक्सीन के लिए तीसरे फेज के श्रेष्ठता अध्ययन और फेज III बूस्टर खुराक अध्ययन के संचालन के लिए मंजूरी दे दी है और इसे अनुमोदन के लिए प्रोटोकॉल प्रस्तुत करने के लिए कहा है। समाचार एजेंसी एएनआई ने यह जानकारी दी। कोरोना को हराने में यह फैसला कारगर साबित हो सकता है।
इस वैक्सीन की मुख्य बात यह है कि इसे नाक से शरीर में पहुंचाया जाएगा। भारत बायोटेक का उद्देश्य 5,000 विषयों पर नैदानिक परीक्षण करना है (50 प्रतिशत कोविशील्ड और 50 प्रतिशत कोवाक्सिन के साथ टीकाकरण)। दूसरी खुराक और बूस्टर खुराक के बीच का अंतराल छह महीने का हो सकता है। जानकारी के अनुसार, भारत बायोटेक द्वारा सरकार को भेजे गए प्रस्ताव में कहा है कि नेजल वैक्सीन को बूस्टर डोज के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह डोज उनके लिए फायदेमंद हो सकती है, जो कोवैक्सिन या कोविशील्ड के दोनों डोज लगवा चुके हैं। इससे पहले, हैदराबाद स्थित निर्माता ने उन लोगों के लिए बूस्टर खुराक का प्रस्ताव दिया है जिन्हें पहले से ही कोविशील्ड और कोवैक्सिन टीका कोरोना के लिए लगाया गया है।
इंट्रानेजल वैक्सीन का क्या है फायदा
नोवेल एडेनोवायरस वेक्टर पर आधारित बीबीवी154 कोरोना के खिलाफ एक इंट्रानेजल वैक्सीन है, जो म्यूकोसल और टी सेल के खिलाफ इम्युन सिस्टम को बेहतर बनाती है। इसका मुख्य फायदा यह है कि यह नोवल कोरोनावायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने में भी कारगर है। क्योंकि इसमें सुई का इस्तेमाल नहीं है, इसलिए इससे चोटों और संक्रमणों का खतरा भी कम है। इसके अलावा नेजल वैक्सीन को लगाने के लिए ट्रेंड कर्मियों की जरूरत भी नहीं होती है।