चीन को जवाब देने के लिए उत्तरी सीमा पर सेना का पर्वतारोहण अभियान, जानें क्या है इंडियन आर्मी की रणनीति
विस्तारवादी चीन की धीरे-धीरे आगे बढ़ने की चाल को नाकाम करने के लिए सेना ने देश की उत्तरी सीमाओं पर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पर्वतारोहण अभियान और शोध अध्ययन शुरू करने की योजना बनाई है। सेना काराकोरम दर्रे से लेकर लिपुलेख दर्रे तक आर्मेक्स-21 नाम से स्कीइंग अभियान भी शुरू करने वाली है। इसके के तहत लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र आएंगे।
जम्मू-कश्मीर के ऊंचाई वाले इलाकों में भी स्कीइंग अभियान चलाया जाएगा। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सेना, सिविलियन और विदेशी नागरिक भी इन अभियानों में भाग लेंगे। इनमें शामिल होने वालों को 14,000 से 19,000 फीट की ऊंचाई पर दुरूह चोटियों, ग्लेशियर और दर्रों को पार करते हुए आगे बढ़ना होगा।
दरअसल, दूसरे देशों की सीमाओं में धीरे-धीरे आगे बढ़ने की चीन की आदत है। पूर्वी लद्दाख में भी चीन ने कुछ ऐसा करने की कोशिश की थी। वह धीरे से पेंगोंग झील के उत्तरी किनारे तक आगे बढ़ गया था। दोनों देशों के बीच 10 महीने की तनातनी के बाद टकराव वाले स्थानों से सैनिकों को हटाने पर सहमति बनी है। इसके बाद ही सेना ने पर्वतारोहण और स्कीइंग की यह योजना तैयार की है, ताकि चीन दोबारा ऐसी हरकत न करने पाए।
चीन की इस हरकत के बारे में सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवाने ने भी पिछले दिनों बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि दूसरे देशों के बड़े क्षेत्रों पर कब्जा जमाने के लिए चीन उसकी सीमा में रेंगते हुए आगे बढ़ता है और छोटे-छोटे क्षेत्रों पर कब्जा जमाते जाता है, लेकिन भारत के साथ उसकी यह चाल नहीं चलने वाली।
भारत सरकार भी लगातार चीन की नापाक हरकतों पर नियंत्रण के लिए लगातार काम कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आत्म निर्भर भारत का नारा दे चुके हैं। बीते दिनों विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने बताया था कि भारत ने चीन के साथ वार्ता में लगातार समझाने की कोशिश की है कि दोनों देशों के सामान्य संबंधों के लिए सीमा पर शांति और यथास्थिति आवश्यक है।