चीन की आक्रामकता से निपटने को भारत ने बांग्लादेश से मांगा पूर्वोत्तर राज्यों में जाने का सीधा रास्ता, जानें इसका मकसद
भूटान की सीमा के करीब चीन की बढ़ती सक्रियता को देख भारत अब जल्द से जल्द अपने पूर्वोत्तर राज्यों के लिए वैकल्पिक जमीनी रास्ता सुनिश्चित करना चाहता है। यह काम सिर्फ बांग्लादेश ही कर सकता है, क्योंकि उसकी सीमा तीन पूर्वोत्तर राज्यों से जुड़ती है। इस क्रम में भारत ने बांग्लादेश से आग्रह किया है कि वह बंगाल (हिली) को मेघालय (महेंद्रगंज) से भू-मार्ग से जोड़ने का एक रास्ता दे।
बांग्लादेश ने बदले में रखी ये मांगें
बदले में बांग्लादेश ने भी भारत-म्यांमार-थाइलैंड हाईवे परियोजना में शामिल होने, बांग्लादेश के उत्पादों के लिए भारतीय बाजार को और खोलने, बांग्लादेशी ट्रकों को चट्टोग्राम पोर्ट से पूर्वोत्तर राज्यों में आसानी से आने- जाने की अनुमित देने-जैसी मांगें रखी हैं। बांग्लादेश ने भी राजश्री जिला स्थित पद्मा नदी में 1.3 किलोमीटर लंबा पैसेज मांगा है।
अंतिम फैसले में लगेगा वक्त
पीएम नरेंद्र मोदी और पीएम शेख हसीना की अगुआई में गुरुवार को हुई वर्चुअल शिखर वार्ता में इन सभी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई। हालांकि ये सारे काफी जटिल मुद्दे हैं और इन पर दोनों देशों को अंतिम फैसला लेने में वक्त लगेगा, लेकिन एक बार पड़ोसी देश के साथ सहमति बनने के बाद भारत के लिए चिकेन नेक (भारत व पूर्वोत्तर राज्यों के बीच का पतला हिस्सा) की चिंता काफी कम हो जाएगी। भारत को यह डर रहता है कि चीन इस हिस्से से आक्रमण कर पूर्वोत्तर राज्यों को शेष भारत से काट सकता है।
कनेक्टिविटी परियोजनाओं की गहन समीक्षा
दोनों देशों के बीच गुरुवार को सात समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए गए। इसमें हाइड्रोकार्बन, एग्रीकल्चर, हाथियों के संरक्षण तथा कचरा प्रबंधन में सहयोग जैसे क्षेत्र शामिल हैं। शिखर बैठक में भारत की तरफ से दोनों देशों की सीमा से सटे हर राज्य में एक-एक लैंड पोर्ट बनाने का आग्रह किया गया है। इससे असम, त्रिपुरा और मेघालय को समुद्री रास्ते से जोड़ना और आसान हो जाएगा।
आत्मनिर्भर भारत अभियान की तारीफ
सनद रहे कि भारत पहले से ही चट्टोग्राम और मोंगला पोर्ट के विकास का काम कर रहा है। शिखर बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि मोदी और शेख हसीना ने द्विपक्षीय कनेक्टिविटी की हर परियोजना की गहन समीक्षा की। हसीना ने भारत को सच्चा दोस्त बताया और मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान की तारीफ की।
नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी में बांग्लादेश अहम हिस्सा
शिखर बैठक में मोदी ने अपने शुरुआती भाषण में कहा, ‘भारत की नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी में बांग्लादेश एक अहम हिस्सा है। मेरे लिए पहले दिन से ही बांग्लादेश के साथ रिश्ते को मजबूत करना विशेष प्राथमिकता रही है। मौजूदा संकटग्रस्त समय में दोनों देशों के रिश्ते बहुत अच्छे बने हुए हैं। कोरोना वैक्सीन के मामले में भी दोनों देशों के बीच अच्छा सहयोग बना हुआ है।’
वैक्सीन की आपूर्ति को लेकर दिया आश्वासन
मोदी ने बांग्लादेश को आश्वस्त किया कि वैक्सीन की आपूर्ति करने में भी उसका विशेष ख्याल रखा जाएगा। उन्होंने शेख हसीना के पिता व बांग्लादेश के जनक शेख मुजीबुर्रहमान को भी कई बार याद किया और उनकी सोच को वैश्विक बताया। सनद रहे कि एक दिन पहले ही भारत ने भी स्वर्ण विजय दिवस मनाया है। यह बांग्लादेश निर्माण की प्रक्रिया में पाकिस्तानी फौज पर मिली जीत के उपलक्ष्य में 16 दिसंबर को मनाया जाता है।
तीस्ता नदी जल बंटवारे का मुद्दा उठा
शिखर बैठक में नदी जल बंटवारे का मुद्दा भी उठा और पीएम मोदी ने पड़ोसी देश को आश्वस्त किया कि तीस्ता नदी जल बंटवारे पर बनी सहमति को लागू करने को लेकर भारत की वचनबद्धता जताई। शेख हसीना की तरफ से यह मुद्दा बहुत ही प्रमुखता से उठाया गया। इस बारे में दोनों देशों के बीच वर्ष 2011 में ही सहमति बन गई थी, लेकिन अभी तक समझौता नहीं हो पाया है। दोनों नेताओं के बीच छह अन्य साझा नदियों (मनु, मुहुरी, खोवाई, गुमती, धारला, दूधकुमार) के जल बंटवारे पर भी जल्द समझौते पर सहमति जताई गई।
1965 के बाद पहली बार रेल लिंक का उद्घाटन
शिखर वार्ता में सीमा से जुड़े लंबित मुद्दों को भी जल्द से जल्द निपटाने और इस संदर्भ में ज्वाइंट बाउंड्री कांफ्रेंस की बैठक बुलाने पर सहमति बन गई। इच्छामती, कालिंदी, रायमोंगल और हरिभंगा नदी के पास के इलाकों में सीमा स्थापन पर अंतिम फैसला लंबित है। हालांकि कुहसियारा नदी को स्थायी सीमा में तब्दील करने को लेकर सहमति बन गई है। मोदी व शेख हसीना ने हल्दीबारी से चिलाहाटी के बीच रेल लिंक परियोजना का संयुक्त तौर पर उद्घाटन किया। इस मार्ग पर वर्ष 1965 के बाद पहली बार रेल गाडि़यों का परिचालन शुरू होगा।