आयुर्वेद चिकित्सकों सर्जरी का प्रशिक्षण दिए जाने के खिलाफ आइएमए ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा



आयुर्वेद के चिकित्सकों को केंद्र सरकार की ओर से सामान्य सर्जरी का प्रशिक्षण दिए जाने की अनुमति देने के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। परास्नातक आयुर्वेद सर्जरी की प्रक्रिया के तहत 58 ऑपरेशन को सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआइएम) की ओर से मंजूरी दी गई है। आइएमए ने अपनी याचिका में दावा किया है कि परिषद के पास आधुनिक चिकित्सा के पाठ्यक्रम में इसे शामिल करने का अधिकार नहीं है।
आइएमए के अध्यक्ष डॉ. रंजन शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार ने आयुर्वेद के परास्नातक छात्रों को विभिन्न प्रकार की सामान्य सर्जरी और प्रोसीजर करने का प्रशिक्षण देने की अनुमति दी गई है। इसमें ऑर्थोपेडिक, ओफेथल्मोलॉजी, ईएनटी और डेंटल सर्जरी शामिल है। इसे नवंबर में सीसीआइएम ने गजेट में अधिसूचित किया था। नए संशोधन से आयुर्वेद चिकित्सकों के ऑपरेशन करने की प्रक्रिया को मान्यता देने से आधुनिक चिकित्सा के सदस्य इसकी आलोचना कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे खिचड़ी मेडिकल प्रणाली बनेगी।
आईएमए के अध्यक्ष (IMA President) डॉ. राजन शर्मा (Dr Rajan Sharma) ने बताया कि देश की सर्वोच्च अदालत में शनिवार को उक्त याचिका दाखिल की गई। इस याचिका में आग्रह किया गया है कि सीसीआईएम के इस बाबत जारी आदेश को खारिज कर दे। साथ ही यह स्पष्ट कर दे कि परिषद को सिलेबस में मॉर्डन मेडिसिन शामिल करने का अधिकार नहीं है। मालूम हो कि केंद्र सरकार ने नवंबर में आथोर्पेडिक, नेत्र विज्ञान, ईएनटी और डेंटल समेत कई तरह की सामान्य सर्जरी में आयुर्वेद के पीजी छात्रों को अनुमति दी थी।
सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (Central Council of Indian Medicine, CCIM) ने इंडियन मेडिसीन सेंट्रल काउंसिल (पोस्टग्रेजुएट आयुर्वेद एजुकेशन) रेगुलेशन, 2016 में संशोधन किया है ताकि आयुर्वेद के पीजी डॉक्टर सामान्य सर्जरी कर सकें। लेकिन इसके लिए आयुर्वेद के स्नाकोत्तर छात्रों यानी डॉक्टरों को ऐसी सर्जरियों के लिए औपचारिक प्रशिक्षण लेने की जरूरत होगी। सरकार की ओर से किए गए संशोधन के मुताबिक, सर्जिकल प्रक्रियाओं के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल को आयुर्वेदिक अध्ययन के पाठ्यक्रम में जोड़ा जाएगा।