कोविड रोधी वैक्सीन की बूस्टर डोज के पक्ष में वैज्ञानिक प्रमाण नहीं, ICMR प्रमुख बलराम भार्गव ने बताई सरकार की प्राथमिकता
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक बलराम भार्गव का कहना है कि कोरोन संक्रमण के खिलाफ कोविड रोधी वैक्सीन की बूस्टर डोज की जरूरत का समर्थन करने के लिए अब तक कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं सामने आए हैं। उन्होंने (ICMR Director General Dr Balram Bhargava) सोमवार को कहा कि मौजूदा वक्त में सरकार की प्राथमिकता देश की सभी वयस्क आबादी को कोविड-19 रोधी वैक्सीन की दोनों खुराक को देना है।
सूत्रों ने बताया कि भारत में टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) की अगली बैठक में बूस्टर डोज दिए जाने के मुद्दे पर चर्चा होने की संभावना है। फिलहाल सरकार की प्राथमिकता सभी वयस्क आबादी को COVID-19 रोधी वैक्सीन की दूसरी खुराक देना है। साथ ही सुनिश्चित करना है कि भारत समेत पूरी दुनिया का टीकाकरण हो। हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा था कि देश में कोविड रोधी वैक्सीन का भरपूर स्टाक है और सरकार का लक्ष्य सभी वयस्कों को टीके की दोनों डोज लगाना है…
वैक्सीन की बूस्टर डोज दिए जाने के मसले पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का कहना था कि सरकार इस मुद्दे पर सीधा कोई फैसला नहीं ले सकती है। विशेषज्ञों की सिफारिश के आधार पर ही इस बारे में कोई फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जहां तक वैक्सीन की बूस्टर डोज दिए जाने का सवाल है तो जब आइसीएमआर और विशेषज्ञों की टीम कहेगी कि बूस्टर डोज दी जानी चाहिए तब हम इस पर विचार करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी भी बार बार कह चुके हैं कि टीकाकरण के संबंध में लिए जाने वाले फैसले विशेषज्ञों की राय पर निर्भर करेंगे…
अधिकारियों के मुताबिक देश में लगभग 82 फीसद योग्य आबादी को टीके की पहली खुराक दी जा चुकी है जबकि लगभग 43 फीसद को वैक्सीन की दोनों खुराकें लगाई जा चुकी हैं। मौजूदा वक्त में देश में कोविड रोधी वैक्सीन की 116.87 करोड़ से अधिक डोज दी जा चुकी है। सरकार ने सभी वयस्कों के संपूर्ण टीकाकरण के लिए एक महीने का ‘हर घर दस्तक’ अभियान शुरू किया है। सूत्रों की मानें तो लोगों को पूर्ण टीकाकरण के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने साप्ताहिक या मासिक लकी ड्रा समेत कई उपायों की योजना बनाई है।