देश में कृषि उपज भंडारण और मिट्टी की सेहत के लिए 1 लाख करोड़ हुए आवंटित: कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर
भारतीय कृषि क्षेत्र में मिट्टी की सेहत और फसल प्रबंधन जैसे मुद्दे चिंता का विषय हैं। सरकार ने आत्मनिर्भर अभियान के तहत इसके लिए एक लाख करोड़ का आवंटन किया है। इस फंड से अनाज भंडारण की व्यवस्था मजबूत करने का काम होगा ताकि कृषि उपज की कम से कम क्षति हो। यह बात बुधवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कही। विश्व आर्थिक मंच के एक सप्ताह चलने वाली दावोस एजेंडा समिट में अनलाकिंग इनोवेशन टू ट्रांसफार्म फूड सिस्टम विषय पर आयोजित एक पैनल डिस्कसन में तोमर ने कहा कि भारत में 80 करोड़ लोगों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत पर्याप्त खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा रहा है। हर पात्र व्यक्ति को बहुत ही रियायती दरों पर हर माह पांच किलो गेहूं और चावल दिया जा रहा है।
भारत में खाद्यान्न प्रणाली को लेकर सरकार द्वारा उठाए जा रहे नए कदमों के बारे में पूछे जाने पर तोमर ने कहा कि हमारे लिए पोषण का मुद्दा बहुत बड़ा है। इसके लिए सरकार ने राष्ट्रीय पोषण अभियान भी चला रखा है। दूसरी तरफ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) जैसी संस्थाएं खाद्यान्न की नई प्रजातियों पर शोध कर रही हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक उनकी पहुंच हो सके। हमारी पहली चिंता मिट्टी की सेहत की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके लिए वर्ष 2016 में एक अभियान चलाया था। इसके तहत देश के 12 करोड़ किसानों को मिट्टी की सेहत के कार्ड दिए गए। हमार जोर अब इस पर है कि किसान कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए इन कार्डो की मदद से अपने खेत के लिए जरूरी उर्वरकों का संतुलित इस्तेमाल करें। उन्होंने कहा कि गहन शोध और विकास संबंधी ढांचे के बदौलत हमारा जोर उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने पर है। हमारा कृषि उत्पादन लगातार बढ़ भी रहा है। आइसीएआर पोषण से भरपूर ऐसी प्रजातियां विकसित कर रहा है जो बदलती जलवायु के अनुकूल हों। कृषि मंत्री ने कहा कि फसल तैयार होने के बाद उसका प्रबंधन हमारी एक बड़ी चिंता है।
पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत हम लोगों ने इस काम के लिए एक लाख करोड़ की राशि का आंवटन किया है ताकि इससे भंडारण केंद्र और कोल्ड स्टोरेज बनाए जा सकें। इससे फसलों को सुरक्षित रखा जा सकेगा।