गुड कोलेस्ट्राल सबके लिए नहीं होता एक जैसा अच्छा, शोध में हुआ खुलासा
डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एचडीएल), जिसे अक्सर ‘अच्छा कोलेस्ट्राल’ कहा जाता है, इसका विज्ञानियों ने कई स्तर पर अधिक मूल्यांकन किया और कार्डियोवस्कुलर रोग के जोखिम से बचाने में मददगार भी बताया है। हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन को अब तक अच्छा माना जाता रहा है। डाक्टर भी मानते हैं कि एचडीएल ज्यादा होने से हृदयरोग का खतरा कम होता है, लेकिन एक नए अध्ययन ने इस तथ्य पर सवाल उठाए हैं।
अमेरिकन कालेज आफ कार्डियोलाजी के जर्नल में प्रकाशित शोध में विज्ञानियों ने बताया है कि एचडीएल कोलेस्ट्राल के निम्न स्तर से श्वेत वयस्कों के लिए दिल के दौरे या असमय मौत का जोखिम बढ़ जाता है, वहीं अश्वेत वयस्कों के मामले में यह सच नहीं पाया गया। इसके अलावा उच्च एचडीएल कोलेस्ट्राल का स्तर इन दोनों समूह के लिए कम हृदय रोग जोखिम से जुड़ा नहीं था।
पोर्टलैंड में ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी के नाइट कार्डियोवास्कुलर इंस्टीट्यूट से जुड़े प्रोफेसर नथाली पामिर ने बताया कि इस अध्ययन के उद्देश्य लंबे समय से स्थापित इस तथ्य को समझना था कि जिस एचडीएल को फायदेमंद कोलेस्ट्राल के रूप में लेबल किया गया है, क्या वह वाकई सभी के लिए सच है? इस अध्ययन के वरिष्ठ लेखक पामिर ने बताया कि चिकित्सा जगत में यह अच्छी तरह से स्वीकार किया गया है कि कम एचडीएल कोलेस्ट्राल का स्तर हानिकारक है। इस अध्ययन में इन धारणाओं का वास्तविक परीक्षण किया गया। इसके लिए पामिर और उनके सहयोगियों ने अमेरिका के 23,901 वयस्कों के डाटा की समीक्षा की।
1970 के दशक में हुए अध्ययनों में गुड कोलेस्ट्राल को हृदय के लिए बेहतर बताया गया था। वहीं, वर्ष 2003-2007 के बीच किए गए अध्ययन में प्रतिभागियों और शोधकर्ताओं ने 10 से 11 साल की अवधि में एकत्रित जानकारी का विश्लेषण किया। इसमें अश्वेत और श्वेत प्रतिभागियों ने मधुमेह, उच्च रक्तचाप या धूमपान सहित हृदय रोग के लिए उम्र, कोलेस्ट्राल के स्तर और अंतर्निहित जोखिम कारकों जैसी समान विशेषताओं को साझा किया। इस दौरान, 664 अश्वेत वयस्कों और 951 श्वेत वयस्कों ने दिल का दौरा पड़ने का अनुभव किया। एलडीएल कोलेस्ट्राल और ट्राइग्लिसराइड्स के बढ़े हुए स्तर वाले वयस्कों में हृदय रोग के जोखिम में मामूली वृद्धि हुई थी, जो पिछले शोध के निष्कर्षों के अनुरूप था।