कोरोना व कैंसर का पता लगा सकते हैं खोजी कुत्ते, GADVASU लुधियाना में मिलेगा प्रशिक्षण
कोरोना पाजिटिव लोगों का पता लगाने के लिए गुरू अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (Guru Angad Dev Veterinary And Animal Sciences University GADVASU) में कोरोना और कैंसर सहित नारकोटिक्स टेस्टिंग के लिए विशेष नस्ल के कुत्तों को प्रशिक्षित किया जाएगा। हाल ही में रिमाउंट वेटरनरी कोर (आरबीसी) के डाग ब्रीडिंग सेंटर ने भी मानव शरीर में कोरोना वायरस का पता लगाने के लिए खोजी कुत्ते तैयार किए हैं।
अपने कार्यकाल का एक साल पूरा होने पर गत दिवस वाइस चांसलर डा. इंद्रजीत सिंह ने कहा कि कुत्तों में सूंघने की शक्ति जबरदस्त होती है। यह शक्ति इंसानों से करीब हजार गुणा अधिक होती है। एक बार सूंघी हुई गंध को कुत्ता आसानी से दूसरी बार भी पहचान लेता है। दुनिया में कुत्तों की इस शक्ति इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। अब हम भी इसका इस्तेमाल करने की सोच रहे हैं। इसके लिए यूनिवर्सिटी में डाग ट्रेनिंग कम ब्रीडिंग सेंटर बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस सेंटर में कोरोना वायरस, कैंसर, नारकोटिक्स टेस्ट के लिए कुत्तों को प्रशिक्षित किया जाएगा। शुरुआत में लेबराडोर, पग व बिगल नस्ल के कुत्तों को प्रशिक्षित करेंगे। इससे संक्रमितों की स्क्रीनिंग जल्दी हो सकेगी। कुत्तों की मदद से कुछ सेकेंड में ही कोरोना संक्रमित को पहचाना जा सकता है। अभी आरटीपीसीआर टेस्ट का परिणाम आने में दो दिन लग जाते हैं। कुत्तों को प्रशिक्षित करने के लिए आरबीसी के सेवानिवृत्त अधिकारियों को दोबारा नौकरी पर रखा जाएगा। केंद्र सरकार को इस संबंध में प्रोजेक्ट बनाकर भेज दिया गया है।
कुत्ते सूंघ कर संक्रमितों का पता लगा सकते हैं : डा. क्लारेंस
सीएमसी अस्पताल के कम्यूनिटी मेडिसन डिपार्टमेंट के हेड डा. क्लारेंस जे सैमुअल ने कहा कि इजराइल ने संक्रमितों का पता लगाने के लिए कुत्तों के सूंघने की शक्ति की तकनीक इस्तेमाल की है। हालांकि यह कितना सही और स्टीक है, इसे लेकर साइंटफिक पेपर नहीं हैं। लेकिन, यह सही है कि कुत्तों को ट्रेनिंग दी जाए, तो वह संक्रमितों की पहचान कर सकता है। क्योंकि कोरोना संक्रमितों का ब्रीदंग रेट तेज हो जाता है। नार्मली हम एक मिनट में सोलह बार सांस लेते हैं, जबकि कोरोना संक्रमित इससे तेज सांस लेता है। कुत्ते यूरिन, पसीने, बाडी में बदलाव से सूंघकर महसूस कर लेते हैं।