डायबिटीज के मरीजों के लिए रामबाण है मड़ुआ, ऐसे करें सेवन
आजकल डायबिटीज आम समस्या बन गई है। यह बीमारी शरीर में शर्करा स्तर के बढ़ने से होती है। विशेषज्ञों की मानें तो अगर शरीर में शर्करा स्तर लंबे समय तक असंतुलित रहता है तो मरीज को केटोएसिडोसिस हो सकता है। इस दौरान मरीज कोमा में भी जा सकता है। इसलिए डायबिटीज के मरीजों को चीनी और इससे बने चीज़ों को खाने की मनाही होती है। जबकि खानपान और वर्कआउट पर विशेष ध्यान देने की जरूरत पड़ती है। जब शरीर में ग्लूकोज का स्तर उच्च हो जाता है तो उसे हाइपरग्लाइसीमिया कहते हैं। जबकि ग्लूकोज के निम्न स्तर को हाइपोग्लाइसीमिया कहते हैं। यह डायबिटीज का संकेत मात्र है। अगर आप भी डायबिटीज से पीड़ित हैं और ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करना चाहते हैं, तो अपनी डाइट में रागी रोटी को शामिल कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि रागी क्या है और कैसे इसका सेवन करना चाहिए-
रागी क्या है
रागी को अधिकतर जगहों पर मड़ुआ भी कहा जाता है। रागी मोटा अनाज है। इसकी खेती पूर्व में की जाती थी। वर्तमान समय में भी कहीं-कहीं इसकी खेती की जाती है। जबकि एशिया के कई देशों में इसकी खेती आज भी की जाती है। यह फसल साल भर में तैयार होती है। इसके पैदावार में पानी की अधिक आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसमें अमीनो अम्ल मेथोनाइन पाया जाता है जो अन्य अनाजों में नहीं पाया जाता है। भारत के दक्षिण राज्यों में मड़ुआ की रोटी खूब खाई जाती है। जबकि वियतनाम में गर्भवती महिलाओं को दवा के रूप में दिया जाता है।
डायबिटीज में फायदेमंद
विशेषज्ञों की मानें तो डायबिटीज के मरीजों के लिए रागी रोटी फायदेमंद होती है। एक आंकड़े के अनुसार, 100 ग्राम मड़ुआ के आटे में 344 मिलीग्राम कैल्शियम होती है। इससे शरीर की हड्डियों को मजबूती मिलती है। साथ ही इसमें फैट की मात्रा बेहद कम होती है। यह देरी से पचने के चलते डायबिटीज के मरीजों के लिए कारगर है। जबकि इससे शुगर नियंत्रित रहती है। 100 ग्राम मड़ुआ के आटे में महज 0.6 ग्राम शुगर होती है। अतः आप अपनी डाइट में रागी रोटी को जोड़ सकते हैं। हालांकि, इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स अधिक होता है। इसके लिए डॉक्टर्स से जरूर सलाह लें।