Melatonin Side Effect: क्या आप नींद की गोली लेते हैं, तो जान लीजिए उसके साइड इफेक्ट
मसरूफियत भरे इस दौर में नींद की समस्या एक आम बीमारी है । पूरा दिन थक कर चूर हो जाने के बाद भी बिस्तर पर घंटों नींद नहीं आती तो लोग नींद की गोली लने लगते हैं। नींद की गोली के रूप में लोग मेलाटोनिन लेते हैं। दरअसल, मेलाटोनिन एक हार्मोन है जो पीनियल ग्लैंड से स्त्रावित होता है। पीनियल ग्लैंड दिमाग में स्थित होता है। जब मेलाटोनिन हार्मोन स्त्रावित होता है तब हमें नींद आने लगती है। पीनियल ग्लैंड से मेलाटोनिन कुदरती तौर पर शाम से स्त्रावित होने लगता। अंधेरा बढ़ने के साथ ही इसकी मात्रा बढ़ती जाती है और नींद में गहराई आने लगती है। शाम के समय मेलाटोनिन का प्रभाल पूरे दिमाग पर होने लगता है। आधी रात को यह अपने चरम पर होता है, लेकिन सुबह पांच बजे से ही इसका प्रभाव खत्म होने लगता। कुदरती तौर पर शरीर में मेलाटोनिन की यही गतिविधियां नींद को नियंत्रित करती है। लेकिन जिस तरह से आधुनिक जीवनशैली में हमने नींद को नियंत्रित करना शुरू किया है तब से मेलाटोनिन कुदरती तौर पर कम स्त्रावित होने लगा है। यही कारण है कि लोग मेलाटोनिन सप्लीमेंट नित रोज लेने लगे हैं। लेकिन अगर आप इसकी सही मात्रा नहीं ले रहे हैं तो इसके काफी नुकसान भी हो सकते है।
कितना डोज नींद की गोली लेनी चाहिए
अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक मेलाटोनिन सप्लीमेंट को घातक नहीं माना गया है लेकिन तय मात्रा से अधिक लेने पर इसके घातक परिणाम भी बताए गए हैं। अलग-अलग वैज्ञानिक अध्ययनों में इसकी वास्तविक मात्रा को 0.1 मिलीग्राम से 10 मिलीग्राम तक बताया गया है। 2017 के एक अध्ययन में इसकी सही मात्रा 1 से 5 मिलीग्राम के बीच बताई गई थी।
मेलाटोनिन कब लेनी चाहिए?
आमतौर पर मेलाटोनिन का असर एक से दो घंटे के बाद देखा गया है। इसलिए इसे बिस्तर पर जाने से दो घंटे पहले लिया जाना चाहिए।
बच्चों के लिए कितनी मात्रा सही है?
अलग-अलग उम्र के बच्चों को अलग-अलग मात्रा में नींद की दवाई दी जानी चाहिए। बच्चों के लिए 1 मिलीग्राम सुरक्षित मात्रा है जबकि 5 साल से बड़े बच्चों के लिए 2.5 3 मिलीग्राम सही डोज है। बच्चों को सोने से पहले 30 से 60 मिनट पहले इस सप्लीमेंट को देना चाहिए।
- मेलाटोनिन के ज्यादा डोज लेने के साइड इफेक्ट:
- सुस्ती और नींद आना
- सिर दर्द
- चक्कर आना
- बार-बार पेशाब आना
- चिड़चिड़ापन
- पेट में मरोड़
- कंपकपी, थड़थड़ाहट
- अवसाद, चिंता
- बेचैनी
- लो ब्लड प्रेशर
मेलाटोनिन के नुकसान
2017 के एक अध्ययन में पाया गया था कि 71 प्रतिशत मेलाटोनिन की दवा में अन्य सप्लीमेंट मिला दिया गया था। 26 प्रतिशत दवाइयों में सेरोटोनिन की मात्रा मिलाई गई थी। सेरोटोनिन का बहुत कम डोज भी खतरनाक हो सकता है। इसलिए एफडीए ने इस दवाई को लेने की हिदायत दी थी। अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर कंप्लीमेंटरी एंड इंटीग्रेटिव हेल्थ के मुताबिक लगातार मेलाटोनिन लेने से वयस्कों में कम साइड इफेक्ट होता है लेकिन बच्चों में इसके घातक परिणाम आ सकते हैं। क्योंकि मेलाटोनिन का स्तर कुदरती तौर पर बचपन की अंतिम अवस्था में कम होने लगता है। इसके बाद बचपन जाता है और जवानी आने लगती लेकिन अगर इसे बचपन में लगातार लिया जाए तो जवानी आने में देर हो सकती है।