Pregnancy Tips: प्रेग्नेंसी में कर रही हैं ज़रूरत से ज़्यादा आराम, तो जानें इससे जुड़े जोखिम
Pregnancy Tips: प्रेग्नेंसी का दौर हर महिला के लिए खास ज़रूर होता है, लेकिन साथ ही उनका शरीर इस दौरान कई तरह के हार्मोनल परिवर्तन के दौर से गुज़रता है। इन 9 महीनों और बच्चे के जन्म के बाद भी उन्हें कई तरह के शारीरिक और मानसिक परेशानियों से दो चार होना पड़ता है। कमज़ोरी, चिड़चिड़ापन, नींद की कमी, शरीर में कई जगहें दर्द जैसी मुश्किलें आती हैं। यही वजह है कि उन्हें फीज़िकल एक्टिविटी के साथ पर्याप्त आराम करने की भी सलाह दी जाती है।
हालांकि, पर्याप्त आराम कितना होना चाहिए और ज़रूरत से ज़्यादा आराम के क्या नुकसान हो सकते हैं आइए जानें एक्सपर्ट्स की राय।
मदरहूड हॉस्पिटल, नोएडा की गायनीकोलॉजिस्ट और ऑब्स्टेट्रिशियन डॉ. मनीषा रंजन का कहना है, “थकावट और कमज़ोरी महसूस करना प्रेग्नेंसी का कॉमन लक्षण है, यह विशेष रूप प्रेग्नेंसी की शुरुआत में या आखिर में होता है। नेशनल स्लीप फॉउन्डेशन के अनुसार उम्र के अनुसार अच्छी नींद स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी होती है। जब महिला प्रेग्नेंट होती है तो उसके लिए 7 से 9 घंटे की नींद लेना ज़रूरी हो जाता है। लंबी नींद का समय और स्टिलबर्थ के संबंध की पुष्टि करने के लिए एक सच्चे प्रायोगिक स्टडी डिजाइन की आवश्यकता है ताकि हम इसे स्टिलबर्थ के संभावित ख़तरे के फैक्टर के रूप में जान सकें। हालांकि अगर आपको हमेशा ऐसा लगता है कि आप सही और पर्याप्त नींद नहीं ले रहे हैं या प्रेग्नेंसी के दौरान दिन भर में खुद को ऐसा लग रहा है कि आपको नींद की ज़रूरत हैं, तो आपको अपने गायनाकोलोजिस्ट (स्त्री रोग विशेषज्ञ) के पास जाना चाहिए। वे यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि कोई अंडरलाइंग कंडीशन इसका कारण न हो।
डॉ. अमिता शाह, प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञ हेड और मेडिकल डायरेक्टर, मिरेकल मेडिक्लिनिक और अपोलो क्रेडल हॉस्पिटल ने कहा, “गर्भवती महिलाओं को अक्सर रात में पर्याप्त नींद नहीं आ पाती। गर्भावस्था के दौरान हर रात कम से कम सात से आठ घंटे सोना ज़रूरी है। यह मां और बच्चे दोनों के लिए अच्छा है। अच्छी नींद एक स्वस्थ बच्चे के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि बाधित नींद अक्सर गर्भावस्था के खराब परिणामों से जुड़ी होती है। यह सुनिश्चित करें कि जब तक डॉक्टर पूरी तरह से आराम करने की सलाह न दें, शारीरिक व्यायाम करें जिससे आप थोड़ा थक जाएं और आपको नींद अच्छी आए। यह आपके ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करेगा और उच्च रक्तचाप और जेस्टेशनल डायबिटीज जैसी जटिलताओं से बचने में मदद करेगा। सोने के लिए एक समय तय करें, एक अच्छी नींद के लिए सही माहौल बनाना भी ज़रूरी है। सोने के समय से कम से कम 30 मिनट पहले गैजेट्स से दूर रहें। हो सके तो टीवी के साथ मोबाइल या टेब को बेडरूम से बाहर रखें। साथ ही अच्छी नींद के लिए कमरे में अंधेरा रखें।
डॉ. गौरी अग्रवाल, गायनीकोलॉजिस्ट और आईवीएफ एक्सपर्ट ने कहा, “बिना किसी रुकावट के साउंड स्लीप यानी गहरी नींद एक स्वस्थ बच्चे के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि पर्याप्त नींद की कमी से अक्सर गर्भावस्था के खराब परिणाम देखने को मिलते हैं, जैसे कि बच्चे के विकास में बाधा, और प्रीटर्म बेबीज़। हालांकि बहुत ज्यादा सोने से भी बचना चाहिए। लगातार नौ घंटे या उससे ज्यादा समय तक सोना, ओवरस्लीपिंग माना जाता है और ओवरस्लीपिंग होने से बच्चे पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। जो महिलाएं बिना किसी रुकावट के लगातार 9 घंटे से ज्यादा समय तक सोती हैं और नियमित रूप से अपनी गर्भावस्था के आखिरी महीने में भी लगातार सोती हैं, उनमें गर्भपात ज्यादा से ज्यादा देखने को मिल सकता है।
वैसे तो ओवरस्लीपिंग से ज़्यादा खतरा होता है लेकिन 8 घंटे की नींद लेना पर्याप्त माना जाता है। गर्भावस्था के आखिरी चरण में पर्याप्त नींद लेने के कई सारे फायदे होते हैं। वे महिलाएं जो रात में 6 घंटे से कम सोती हैं और बहुत सारा काम करती हैं उनमें सीज़ेरियन डिलीवरी होने की उम्मीद 7 से 8 घंटे सोने वाली महिलाओं के मुकाबलें साढ़े चार गुना बढ़ जाती है।
अगर किसी महिला को लगता है कि वह पर्याप्त नींद नहीं ले पा रही है या उसे लग रहा है कि उसको ज़्यादा सोने की ज़रूरत है, तो उसे अपने डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए।