राजनीति के मैदान से क्रिकेट की पिच तक मंझे हुए खिलाड़ी हैं असदुद्दीन औवेसी, कानून के भी हैं जानकार
ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम की कुल 150 सीटों के लिए मतदान शुरू हो चुका है। इसमें असदुद्दीन औवेसी को अपनी पार्टी ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) की जीत का पूरा भरोसा है। इस भरोसे की एक बड़ी वजह यहां की राजनीति में उनका बड़ा कद भी है। औवेसी लगातार 2004 से हैदराबाद से सांसद है। इसकी वजह से इस पूरे क्षेत्र में उनकी पकड़ को मजबूत माना जाता है। यही वजह है कि वो भाजपा समेत दूसरी सभी पार्टियों को नगर निगम के चुनाव में कमतर आंक रहे हैं। इस लिहाज से अपनी जीत पर इतना भरोसा करने वाले औवेसी के बारे में जानना भी बेहद जरूरी हो जाता है।
सियासी परिवार से ताल्लुक रखते हैं औवेसी
असदुद्दीन औवेसी दरअसल, हैदराबाद के एक सियासी परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता सुल्तान सलाहुद्दीन औवेसी भी एक बड़े कद के नेता थे और वे दो से अधिक बार हैदराबाद की ही सीट से सांसद रहे थे। इस लिहाज से अब तक हैदराबाद की लोकसभा सीट पर इनका पारिवारिक कब्जा रहा है। हाल ही में औवेसी की पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव में भी पांच सीटें जीती हैं जो पार्टी के लिए बड़ी बात है। इसके अलावा औवेसी की निगाहें आने वाले पश्चिम बंगाल के चुनाव पर भी लगी हैं। जहां तक उनकी पार्टी का सवाल है तो आपको बता दें कि इसको आगे बढ़ाने का काम उनके दादा अब्दुल वाघ ने किया था। उनके पिता सुल्तान सलाहुद्दीन ने 1962 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। इसके बाद वो 1984 से 2004 तक लगातार हैदराबाद की लोकसभा सीट से सांसद चुने जाते रहे। 2004 में उन्होंने ये सीट और पार्टी का अध्यक्ष पद अपने बेटे असदुद्दीन के लिए छोड़ दी थी। वर्ष 2008 में उनका निधन हो गया था। तब से लेकर आज तक असदुद्दीन इस पार्टी को आगे बढ़ाने की कोशिश में लगे हैं।
पेशे से बैरिस्टर हैं औवेसी
असदुद्दीन औवेसी ने हैदराबाद के निजाम कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है। बेहद कम लोग इस बात से वाकिफ हैं कि असदुद्दीन औवेसी जहां कानून के जानकार हैं वहीं क्रिकेट के भी मैदान पर एक धुरंधर गेंदबाज हैं। जी हां 1994 में उन्होंने दक्षिण क्षेत्र-विश्वविद्यालय के बीच खेले गए अंडर-25 विज्जी ट्रॉफी टूर्नामेंट में तेज गेंदबाज की भूमिका निभाई थी। इसके बाद वो साऊथ जोन की यूनिवर्सिटी टीम में शामिल हुए थे। उन्होंने लंदन के लिंकन इन कॉलेज से कानून की पढ़ाई की है। असदुद्दीन को दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली मुस्लिम नेताओं में शामिल किया गया है। उनके छोटे भाई अकबरुद्दीन ओवैसी तेलंगाना विधान सभा के सदस्य हैं। अकबरुद्दीन कई बार विवादित बयान देने की वजह से चर्चा में रहते आए हैं।
पाकिस्तानी चैनल के संपादक की कर दी बोलती बंद
कई बार बयानों की वजह से विवाद की वजह बन चुके असदुद्दीन कई मंचों पर ये कहते हुए दिखाई दिए हैं कि वो अपनी अपनी बात भारतीय संविधान के दायरे में रहते हुए ही करते हैं। कई बार उनके विरोधी उनकी तुलना मोहम्मद अली जिन्ना से भी करते हैं। इन सभी के बीच उनका एक वीडियो काफी लोकप्रिय हुआ था जो पाकिस्तान के एक लोकप्रिय चैनल की डिबेट का था। इस डिबेट में कांग्रेस के मणिशंकर अय्यर भी हिस्सा था। इसमें उन्होंने भारतीय मुसलमानों पर किए गए सवाल के जवाब में चैनल के संपादक की बोलती बंद कर दी थी। मुंबई हमले के बाद उन्होंने पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के आका जकीउर रहमान लखवी और हाफिज सईद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की वकालत की थी। औवेसी सरकारी नौकरियों में पिछड़े मुस्लिमों के आरक्षण का समर्थन करते हैं।
हज सब्सिडी पर औवेसी का बयान
औवेसी ने कई बार ये बात भी कही है कि वो कट्टरपंथी हिंदुत्व की विचारधारा के खिलाफ हैं, हिंदुओं के खिलाफ नहीं। भारतीय मुस्लिमों के लिए हज सब्सिडी खत्म करने के फैसले के बाद औवेसी ने कहा था कि इससे मुस्लिम समुदाय की लड़कियों को शिक्षित करने का सपना पूरा हो सकेगा। उन्होंने ये भी कहा था कि हज सब्सिडी खत्म करने की मांग काफी समय से उनकी पार्टी कर रही थी। उन्होंने वर्ष 2011 में हुई जनगणना में अहमदिया समुदाय को इस्लाम के एक संप्रदाय के रूप में शामिल करने पर केंद्र की आलोचना की थी। कई मर्तबा औवेसी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और वहां के आकाओं को भारत की राजनीति और संविधान से सीख लेने की सलाह देते सुने गए हैं। बीते लोकसभा चुनाव में उन्होंने ईवीएम पर मच रहे हल्ले पर इसमें हुई किसी भी तरह की धांधली से इनकार किया था।
एक नजर
– वर्ष 2009 में मुगलपुरा क्षेत्र में टीडीपी के एक एजेंट से हुई कथित पिटाई की घटना के बाद चुनाव आयोग के आदेश पर औवेसी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
– वर्ष 2013 में कर्नाटक में हुई एक रैली के दौरान लाइसेंस के बिना पिस्तौल ले जाने पर भी उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
– वर्ष 2015 में उन्होंने कहा था कि दुनिया का हर बच्चा जन्म से मुस्लिम होता है बाद में उसको दूसरे धर्म में परिवर्तित किया जाता है। उनके इस बयान की कई स्तर पर आलोचना की गई थी।