पार्टनर के लिए चैलेंजिंग होते हैं लाइफ के ये 5 पड़ाव
आमतौर पर किसी प्रेम कहानी का सुखद अंत शादी को माना जाता है, लेकिन असल जीवन में शादी के बाद रीयल स्ट्रगल शुरू होता है जो अच्छे से अच्छे रिलेशनशिप की जड़ें हिलाकर रख सकता है. यहां हम उन लाइफ चैलेंजेज की बात कर रहे हैं जिससे दरअसल हर मैरेड कपल्स गुजरता है.
एक यंग कपल तमाम चुनौतियों के बीच एक दूसरे का साथ निभाने का वादा करता है और प्यार का मिसाल बनता है. दोनों शादी करते हैं और अपने खुशियों का एक आशियाना सजाते हैं. समय गुजरता है प्यार और भरोसा भी बढ़ता जाता है. लेकिन कुछ ऐसा होने लगता है जिसमें वे दोनों ही खुद का उलझा पाते हैं और समझ नहीं पाते कि परेशानी की मुख्य वजह आखिर है क्या
दरअसल, इंसान की नीयत है कि वह अपने पार्टनर और परिवार के लिए जीता है. वहां जितना सुकून उसे मिलता है उसे कहीं और नहीं मिलता. हालांकि लाइफ में कई चैलेंज आते हैं और प्यार भरोसे की परीक्षा लेते हैं जिनमें से एक वक्त होता है परिवार का बढ़ना
साइकोलॉजी न्यूज के मुताबिक, सबसे पहला चैलेंज है शादी का पहला साल. डेट करने और साथ में रहना, दोनों में जमीन आसमान का अंतर होता है. शादी से पहले आपका अपना स्पेस होता है जबकि शादी के बाद आपको खुद से पहले पार्टनर और उसके परिवार के बारे में सोचना पड़ता है. रूटीन और रहन सहन सब बदल जाता है. यह समय कपल्स के लिए चैलेंजिंग हो सकता है.
बच्चे का जन्म दूसरा चैलेंज होता है. अब आप कपल्स से अधिक पैरेंट बन चुके होते हैं और जिम्मेदारियां, लाइफस्टाइल भी बदल चुकी होती हैं. लाइफ हेक्टिक लगता है जिसमें आप ना चाहते हुए भी खुद या पार्टनर के लिए समय नहीं निकाल पाते
शोध में पाया गया है कि शादी के बाद पहला 7 साल हर कपल्स के लिए चैलेंजिंग होता है जिसमें डिवोर्स को चांस काफी अधिक होते हैं. इन सात सालों में लाइफ स्टाइल और जिम्मेदारियों में काफी बदलाव आ चुका होता है. थकान, उदासी, स्ट्रेस बढ़ चुका होता है और कई बार रिश्ते से उम्मीद तक खत्म हो चुकी होती है.
मिड एज यानी जब बच्चे बड़े हो चुके होते हैं और एकाएक यह महसूस होता है कि वे एक बिजी पेरेंट्स होने के साथ साथ रोमांटिक कपल भी थे. ऐसे में उम्मीद फिर जगती है, लेकिन उम्र और जिम्मेदारियों ने अगर आपको निराश और उदासीन बना दिया है तो पार्टनर की जरूरतों को पूरा करना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में पार्टनर अपनी बची उम्र को बेहतर बनाने के उम्मीद में इस रिश्ते से दूरी बना सकता है. ऐसे में एक्स्ट्रा मटेरियल अफेयर का खतरा बढ़ जाता है.
रिटायरमेंट की उम्र भी रिलेशनशिप को बनाए रखने के लिए काफी चैलेंजिंग होती है. इस उम्र ामें यह पाया गया है कि जो लोग जिम्मेदारियों या फाइनेंशियल क्राइसिस की वजह से डिवोर्स नहीं कर पाए, इस उम्र में वे यह निर्णय ले लेते हैं. हालांकि भारत में ऐसे केस कम ही देखने को मिले हैं. लेकिन पुरुषों में अलगाव की भावना देखने को तो मिलती ही है.