शरद पवार ने उठाए सवाल – ‘गुजरात में है चुनाव तो महाराष्ट्र में क्यों छुट्टी?
छत्रपति शिवाजी महाराज पर दिए बयान को लेकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सारी सीमाएं लांघी हैं. उनकी ऐसे बयान देने की आदत रही है. इस पद पर एक जिम्मेदार व्यक्ति को नियुक्त किया जाना चाहिए. कभी महात्मा फुले और सावित्रीबाई फुले तो कभी छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे राज्य और देश के आदर्शों पर उनके गैरजिम्मेदाराना बयानों से स्थिति विकट हो जाती है. प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति इस मामले में दखल दें. एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने इन शब्दों में आज (24 नवंबर, गुरुवार) अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज्यपाल कोश्यारी के वक्तव्यों की आलोचना की. उन्होंने गुजरात चुनाव का भी जिक्र किया.
शरद पवार ने आज अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि विधानसभा का चुनाव गुजरात में होने जा रहा है, लेकिन वोटिंग के दिन महाराष्ट्र के कुछ भागों में छुट्टी का ऐलान किया गया है. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ किसी और राज्य में वोटिंग के लिए किसी और राज्य के कुछ भागों में छुट्टियों का ऐलान किया गया हो. इसका मतलब यही है कि अबकी बार गुजरात में बीजेपी के लिए चिंता बढ़ाने वाले हालात हैं. वरना और क्या फिर बात है?
शिंदे सरकार में आत्मविश्वास नहीं नजर आ रहा, इसलिए ले रहे ज्योतिषी का सहारा
महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव की संभावनाओं को लेकर शरद पवार ने कहा कि उन्हें इसका फिलहाल कोई आभास नहीं है, ना ही उन्हें इसकी संभावनाओं के संबंध में कुछ कहना है. उन्होंने कहा कि वे बिना तथ्य कोई बात नहीं करेंगे. लेकिन उन्होंने शिंदे सरकार की आलोचना यह कह कर की कि जब आत्मविश्वास की कमी होती है तभी ज्योतिष का सहारा लिया जाता है. बता दें कि सीएम एकनाथ शिंदे पर अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने यह आरोप लगाया है कि जब वे नासिक दौरे पर थे तो उन्होंने ज्योतिष से मुलाकात की थी, उनसे परामर्श लिया था और होम-हवन करवाया था. महाराष्ट्र ज्योतिषियों के भरोसे चल रहा है. शरद पवार ने एक बार फिर यह दोहराया कि शिंदे सरकार सत्ता का इस्तेमाल विरोधियों पर केसेस दर्ज करवाने में कर रही है.
कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद पर बोले पवार- BJP नहीं टाल सकती सालों-साल
इस वक्त महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद काफी गर्म है. इस पर शरद पवार ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बेलगाम, कारवार, निपाणी जैसे इलाकों को महाराष्ट्र में शामिल करने के लिए कर्नाटक को क्या दिया जा सकता है, इस पर चर्चा से समाधान निकाला जा सकता है, लेकिन कर्नाटक के सीएम के भड़काऊ बयान से चीजें और जटिल होती जा रही हैं. केंद्र की बीजेपी सरकार अपनी जिम्मेदारियों से ज्यादा समय तक नहीं बच सकती. उन्हें यह सीमा-विवाद सुलझाना ही होगा.