पश्चिम बंगाल में किस मुद्दे पर बुरी तरह घिरी है TMC? बैकफुट पर हैं ममता!
कलकत्ता हाई कोर्ट ने पिछले हफ्ते भ्रष्टाचार की वजह से करीब 26,000 स्कूल टीचरों और नॉन-टीचिंग स्टाफ की नियुक्तियां रद्द कर दी थीं। यह आदेश ऐसे समय आया जब लोकसभा चुनाव है और इसकी वजह से सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस बुरी तरह से घिर चुकी है।
दरअसल, टीचर भर्ती घोटाले में जो बड़े लोग जेलों में बंद हैं, वह ममता बनर्जी सरकार में भी थे और टीएमसी के भी कद्दावर चेहरे माने जाते थे। बाद में भले ही पार्टी ने उनसे नाता तोड़ लिया हो, लेकिन तृणमूल सरकार के लिए उनकी कारगुजारियों से बच पाना आसान नहीं है।
टीएमसी की टेंशन की वजह? पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस बात को दबा नहीं सकतीं कि इस केस में 2022 के अगस्त में जो हाई-प्रोफाइल गिरफ्तारियां हुई थीं, उसमें टीएमसी के दिग्गज और उनके मंत्री पार्था चटर्जी और उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी भी शामिल हैं।
इन आरोपियों के पास से अथाह संपत्तियां जब्त होने की वजह से टीएमसी को तब भी भारी फजीहत झेलनी पड़ी थी। बाद में ममता ने उन्हें अपनी कैबिनेट और पार्टी दोनों से बाहर किया था।
इसी घोटाले के सिलसिले में शिक्षा विभाग के बड़े अफसरों के अलावा नॉर्थ बंगाल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर सुबिरेश भट्टाचार्य, टीएमसी विधायक और पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य और टीएमसी एमएलए जीबन कृष्णा साहा भी सलाखों के पीछे जा चुके हैं।
चुनाव के समय विपक्ष को मिला बड़ा मुद्दा
पिछले शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मालदा में थे और एक रैली में उन्होंने इस घोटाले को लेकर टीएमसी और उसकी सुप्रीमो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सीधे-सीधे निशाने पर लिया। पीएम मोदी ने कहा, ‘टीएमसी ने बंगाल के युवाओं के जीवन के साथ खिलवाड़ किया है। बड़े भर्ती घोटाले की वजह से करीब 26,000 लोगों की रोजी-रोटी जा चुकी है। जिन लोगों ने लोन लिया और उसे टीएमसी (नौकरी के लिए) को दे दिया, वह अब सड़कों पर आ चुके हैं। वहीं केंद्र में बीजेपी की सरकार है, जो युवाओं को रोजगार दे रही है।’
बैकफुट पर नजर आ रही हैं ममता बनर्जी टीचर भर्ती में घोटाला सामने आने के बाद भर्तियां रद्द करने का आदेश कलकत्ता हाई कोर्ट ने दिया है, लेकिन ममता इसे विपक्ष की ओर मोड़ने की कोशिश कर रही हैं।
उन्होंने, पलटवार में कहा, ‘आपने आदमखोर बाघों के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या आपने नौकरी-खाने वाली बीजेपी के बारे में सुना है? क्या आपने कोर्ट के द्वारा इतने सारे लोगों को बेरोजगार किए जाने के बाद बीजीपी, सीपीएम और कांग्रेस के नेताओं के चेहरे पर खुशी देखी?’
ममता भाषणों में जो कुछ भी कहें, लेकिन उन्हें पता है कि मामला उनके हाथों से निकल चुका है। इसलिए, टीएमसी बैकफुट पर है और यह कहकर डैमेज कंट्रोल में जुटी है कि सबकी नौकरियां नहीं जानी चाहिए और राज्य सरकार इसके लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगी।
जिस दिन कलकत्ता हाई कोर्ट ने नियुक्तियां रद्द करके ममता सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया, उस दिन उत्तर दिनाजपुर जिले के रायगंज में एक रैली के दौरान उन्होंने कहा, ‘सभी फैसलों को स्वीकार कर लेना जरूरी नहीं है। हम ऊंची अदालत में आदेश को चुनौती देंगे।’ वो यहां तक कह गईं कि ‘यह आदेश चुनावों के दौरान बीजेपी के निर्देशानुसार पास किया गया।’
असली गुनहगार राज्य प्रशासन में शीर्ष पद पर बैठा है’ लेकिन, विपक्ष को पता है कि गेंद ममता के हाथों से निकल चुका है। पार्टी उसी दिन उनसे इस्तीफा भी मांग चुकी है। घोटाले के कई मामलों में फैसला दे चुके जज और अभी तामलुक से बीजेपी उम्मीदवार अभिजीत गंगोपाध्याय ने कहा, ‘असली गुनहगार राज्य प्रशासन में शीर्ष पद पर बैठा है…अगर उनमें साहस है और जरा भी शर्म बची है तो उन्हें सत्ता से अपना पद छोड़कर जांच का सामना करना चाहिए।’
कोर्ट चाहे तो भ्रष्ट सरकारों को बेनकाब कर सकता है-
सीपीएम अकेले बीजेपी की बात नहीं है। सीपीएम के पास भी इस मसले पर टीएमसी को घेरने के लिए काफी कुछ है। पार्टी नेता और इस केस को लड़ने वाले वरिष्ठ वकील बिकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा है, ‘यह साबित हो गया है कि अगर कोर्ट चाहता है, तो वह संवैधानिक अधिकारों को कायम रखकर, भ्रष्ट सरकारों को बेनकाब कर सकता है। दुर्भाग्य से कुछ लोगों की नौकरियां जाएंगी, लेकिन उन्हें एक भ्रष्ट पार्टी के समर्थन का अंजाम महसूस होना चाहिए।’
2021 के विधानसभा चुनावों के बाद टीएमसी के खिलाफ बीजेपी ने भ्रष्टाचार को सबसे प्रमुख मुद्दा बनाया है। टीचर भर्ती घोटाले के अलावा टीएमसी के नेता कोयले की हेराफेरी, मवेशी तस्करी और नगरपालिका में कथित नौकरी और राशन घोटाले में भी घिरे हुए हैं।