23 November, 2024 (Saturday)

World AIDS Day: सलमान ख़ान, संजय दत्त समेत इन कलाकारों ने फ़िल्मों के ज़रिए फैलाई जागरूकता

1 दिसंबर को दुनिया भर में एचआईवी और एड्स के खिलाफ़ जागरुकता फैलाने के लिए ‘वर्ल्ड एड्स डे’ मनाया जाता है। लम्बे समय तक एड्स को एक टैबू माना जाता रहा है। ऐसे में भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री में इस विषय पर कई फ़िल्में बन चुकी है। आइए जानते हैं…

निदान- साल 2000 में महेश मांजरकेर ने एक फ़िल्म ‘निदान’ बनाई थी। इस फ़िल्म में सजंय दत्त, शिवाजी साटम और रीमा लागू ने अहम भूमिकाएं निभायी थीं। निदान की कहानी एक ऐसी लड़की पर आधारित थी, जो ब्लड ट्रांसफ्यूज़न के दौरान एचआईवी संक्रमित हो जाती है। फ़िल्म में दिये गये सामाजिक संदेश को देखते हुए भारत सरकार ने इसे टैक्स फ्री कर दिया था।

फिर मिलेंगे- साल 2004 में आई सलमान ख़ान स्टारर फ़िल्म ‘फिर मिलेंगे’ में मुद्दे पर बनी एक बेहतरीन फ़िल्म है। फिर मिलेंगे अमेरिकन फ़िल्म ‘फिलडेल्फिया’ से प्ररित थी। रेवती निर्देशित फ़िल्म में सलमान के साथ शिल्पा शेट्टी और अभिषेक बच्चन भी अहम भूमिका में थे। इस फ़िल्म कहानी एक ऐसी लड़की (शिल्पा शेट्टी) की थी, जिसे एचआईवी पॉजटिव होने पर नौकरी गंवानी पड़ती है। इसके बाद उसका केस तरुण आनंद लड़ता है, जिसका किरदार अभिषेक बच्चन ने निभाया था। लड़की हाईकोर्ट में केस जीत जाती है, इसके बाद अपना खुद का वेंचर खोल लेती है।

माई ब्रदर निखिल- साल 2005 में आई इस फ़िल्म में सजंय सूरी और जूही चावला लीड रोल में थे। यह फ़िल्म ‘डॉमेनिक डिसूजा’ की लाइफ़ से प्रेरित था, जो कि एक एचआईवी एक्टविस्ट थे। फ़िल्म में समलैंगिता और एड्स जैसे मुद्दों को छुआ गया था। कहानी निखिल (सजंय सूरी) की थी, जिसे एड्स के बाद अपनी लाइफ में काफी मुश्किलों को सामना करना पड़ा था। उस वक्त उसके साथ सिर्फ उसकी बहन अनामिका (जूही चावला) ही खड़ी हुई थी।

68 पेज- डायरेक्टर श्रीधर राघवन ने साल 2007 में ’68 पेज’ फ़िल्म बनाई थी। इस फ़िल्म में काउंसलर और पेशेंट की कहानी दिखाई गई थी। इसमें दिखाया गया है कि कैसे काउंसलर खुद को एचआईवी पेशेंट से इमोशनली दूर रखना चाहता है, लेकिन फिर भी नहीं कर पाया।

एड्स जागो- 2007 में मीरा मीरा नायर, विशाल भारद्वाज, फ़रहान अख़्तर और संतोश ने एड्स जागो नाम से एक फ़िल्म बनायी, जो चार शॉर्ट फ़िल्मों का प्रोजेक्ट था। इसके ज़रिए एड्स को लेकर फैले मिथ और भ्रांतियों को दूर करना था। फ़िल्म के टाइटल थे- माइग्रेशन, ब्लड ब्रदर्स, पॉज़िटिव और प्रारम्भ। इन फ़िल्मों में शाइनी आहूजा, इरफ़ान ख़ान, समीरा रेड्डी, राइमा सेन, आएशा टाकिया और पंकज कपूर जैसे कलाकारों ने काम किया था।

इनके अलावा कुछ फ़िल्में ऐसी भी आयीं, जिनमें मेकर्स ने एड्स को लेकर जागरूकता फैलाने के नज़रिए से इस बीमारी का कहानी में इस्तेमाल किया। इनमें दस कहानियां शामिल है। इस एंथॉलॉजी फ़िल्म में अलग-अलग निर्देशकों की 6 कहानियां दिखायी गयी थीं, जिनमें से एक ज़हीर में एड्स को कथानक में इस्तेमाल किया गया। इस फ़िल्म का निर्देशन संजय गुप्ता ने किया और फ़िल्म में मनोज बाजपेयी और दीया मिर्ज़ा ने मुख्य भूमिकाएं निभायीं।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *