Whatsap और Facebook का जरूरी सेवाओं के लिए इस्तेमाल खतरनाक! उठाना पड़ सकता है नुकसान
WhatsApp, Facebook और Instagram जैसे प्लेटफॉर्म से देश में जरूरी सेवाओं को रोलआउट किया जा रहा है। WhatsApp से वैक्सीनेशन स्लॉट बुकिंग समेत जरूर कामकाज किये जा रहे हैं। साथ ही मेडिकल से जुडे़ कामकाज में भी WhatsApp और Facebook जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की मदद ली जा रही है। हालांकि पिछले दिनों जिस तरह से Facebook और उससे जुड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 6 से 7 घंटे तक ठप रहे। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की जदद से देश के इमर्जेंसी सेवाओं को लागू करना चाहिए। इस बारे में जानकारी हासिल करने दैनिक जागरण ने बॉम्बे हाईकोर्ट के एडवोकेट सत्या मुले (Satya Muley) से बातचीत की।
कम्युनिकेशन तक सीमित हो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म
सत्या मुले ने बताया कि जब WhatsApp जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वैक्सीनेशन स्लॉट बुकिंग जैसी सुविधाओं को उपलब्ध कराया जाता है, तो वाजिब है कि Facebook की मदद से कई संकट प्रबंधन गतिविधियों को लागू किया जाएगा। लेकिन अब यह स्वीकार करने का वक्त आ गया है कि इस तरह की सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज को केवल संचार साधन के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। इस तरह की सर्विस दुनियाभर के लोगों की रोजाना की जिंदगी और सरकार की अहम पहल का हिस्सा बन चुकी हैं। इनमें से कुछ गतिविधियां भारत के संविधान के प्रावधानों के तहत राज्य के कार्यों की तरह सार्वजनिक गतिविधियों के दायरे में आती हैं।
सोशल मीडिया रेगयुलेशन पर करना चाहिए विचार
अगर इन सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज सर्विस को 6 घंटे और उससे ज्यादा वक्त तक बंद का सामना करना पड़ सकता है। जैसा कि हमें कल यानी सोमवार की रात देखने को मिला था, तो हमें गंभीरता से दोबारा विचार करना चाहिए कि हमें WhatsApp और Facebook पर कितना निर्भर होना चाहिए? औ क्या इन्हें एम्बुलेंस कॉलिंग, टीकाकरण प्रमाण पत्र डाउनलोडिंग, वैक्सीनेशन स्लॉट बुकिंग या किसी बुरे दौर में अपने प्रियजन को जरूरी संदेश भेजने जैसे काम में शामिल होने की अनुमति दे सकते हैं।
तय हो जवाबदेही
हालांकि यह एक तरह के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हैं। जिनके माध्यम से ग्राहक केंद्रित सेवा को लागू किया जा रहा है। लेकिन इस तरह की सेवाओं के बाधित रहने पर इन प्लेटफॉर्म या फिर सोशल मीडिया ऑपरेटर की कोई जवाबदेही नहीं होगी। ऐसे में अगर सरकार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए ग्राहक केंद्रित सेवा को लागू करती हैं, तो उसे नए आईटी कानून के तहत सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज के मैसेज, कम्यूनिकेशन फंक्शन जैसी गतिविधितों को रेगुलेट करना होगा।
WhatsApp फेसबुक बंद पर क्या होगा असर
अगर यह सोशल मीडिया ऑपरेटर कुछ निर्धारित सर्विस लेवल के समझौतों पर सहमत नहीं होते हैं, तो ऐसे में बेहतर होगा कि वो अपने को सोशल मीडिया ऐप तक ही सीमित रखे। ऐसे प्लेटफॉर्म को लोक कल्याण और संकट प्रबंधन से जुड़ी गतिविधियों से दूर ही रखना चाहिए। ऐसी गतिविधियों को खासतौर पर सरकार के अधिकार क्षेत्र में होने रखना चाहिए। या फिर ऐसी एजेंसियों और ऑपरेटरों के जरिए लागू करना चाहिए, जो सरकार के रेगुलेशन का पालन करें और उनकी जवाबदेही तय होनी चाहिए। पब्लिक और पब्लिक गतिविधियों के जरूरी कम्यूनिकेशन को इस तरह की बिना जवाबदेह वाली सर्विस के अधीन नहीं किया जा सकता है।
द डायलॉग के फाउंडर काजिम रिजवी के मुताबिक ऐसा लग रहा है की फेसबुक की यह आउटेज मात्र एक तकनिकी खामी की वजह से हुई है। फेसबुक के अनुसार उनके backbone राऊटर में ख़राब विन्यास बदलाव के कारण ऐसा हुआ है। यहाँ ये जानना भी जरूरी है की फेसबुक के साथ कुछ ऐसा ही २०१९ में भी हुआ था जब फेसबुक का ऐप तकनिकी कारणों की वजह से २४ घंटे के लिए आउटेज था। इससे हमें यह भी पता चलता है की दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी में एक फेसबुक जो तकनीकी रूप से सक्षम है उनके साथ भी तकनिकी खराबी हो सकती है और इससे कोई अछूता नहीं है। हालाँकि ऐसा होने से काफी व्यवसाय जो फेसबुक परिवार के ऐप को अपने कार्य के लिए उपयोग करते है उन्हें भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। ६ घंटे तक आउटेज होने की वजह से कई जगहों पे जहाँ सुबह या दिन का समय था उन्हें काफी नुक्सान हुआ होगा। अब यह महत्वपूर्ण है कि फेसबुक जैसे वैश्विक प्लेटफॉर्म अपने डेटा केंद्रों की इष्टतम दक्षता सुनिश्चित करने का प्रयास करें ।