US Politics : कोरोना राहत पैकेज को लेकर बैकफुट पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, हस्ताक्षर करने के लिए हुए मजबूर
कोरोना राहत पैकेज को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बैकफुट पर आ गए हैं। आखिरकार उन्होंने राहत पैकेज पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। शुक्रवार को राष्ट्रपति ट्रंप ने कोरोना राहत पैकज पर अचानक हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था। राष्ट्रपति ट्रंप के इस फैसले का अमेरिका में चौतरफा विरोध हुआ था। इसको लेकर डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी एक बार फिर गतिरोध उत्पन्न हो गया था। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने ट्रंप के इस फैसले की निंदा की थी। आखिरकार भारी विरोध के बीच ट्रंप ने कोरोना राहत पैकेज पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इसके साथ ही कोरोना वायरस से जूझ रहे अमेरिकी नागरिकों को फिलहाल राहत पैकेज मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। इसका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष असर एक करोड़ अमेरिकी नागरिकों पर पड़ेगा।
ट्रंप के हस्ताक्षर नहीं करने से बेरोजगारी भत्ता विधेयक अधर में लटका
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना राहत पैकेज पर हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया था। इससे रोजमर्रा की जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे लाखों अमेरिकी लोगों को मिलने वाला बेरोजगारी भत्ता अधर में लटक गया था। पहले यह माना जा रहा था कि वह इस बिल पर हस्ताक्षर कर देंगे, लेकिन अचानक उन्होंने इस पर आपत्तियां जतानी शुरू कर दीं थीं। ट्रंप ने कोरोना राहत में अधिक राशि की मांग करते हुए तथा इस संबंध में अन्य सवाल उठाते हुए द्विपक्षीय पैकेज पर हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया था। इस स्थिति में मंगलवार रात बारह बजकर एक मिनट से संघीय सरकार का कामकाज बंद होने का भी खतरा उत्पन्न हो गया था। इस विधेयक पर संसद के दोनों सदनों ने मंजूरी दे दी थी। हालांकि ट्रंप का मिजाज बदलने के बाद यह अधर में अटक गया था।
अमेरिकियों के लिए 600 डॉलर के भुगतान के प्रावधान
विधेयक में अधिकतर अमेरिकियों के लिए 600 डॉलर के भुगतान के प्रावधान का प्रस्ताव किया गया है, लेकिन ट्रंप ने कहा कि वह संसद से इसमें संशोधन करने और एक दंपती के लिए 600 डॉलर की अत्यंत कम राशि को बढ़ाकर 2,000 या 4,000 डॉलर करने को कहेंगे। उन्होंने कहा, ‘मैं संसद से यह भी कह रहा हूं कि वह इस विधेयक से अनावश्यक बातों को हटाएं और मुझे एक उपयुक्त विधेयक भेजें। ट्रंप ने मंगलवार रात ट्वीट किए गए एक वीडियो में कहा था कि विधेयक में विदेशों को बहुत अधिक धन देने की बात की गई है, लेकिन इसमें अमेरिकियों के लिए पर्याप्त धन की व्यवस्था नहीं है।