यूक्रेन युद्ध में रूस ने किया वैक्यूम बम का प्रयोग! जानें- क्या है इसकी विनाशकारी क्षमता
रूस यूक्रेन युद्ध में बड़ी तदाद में नरसंहार की खबरें चल रही है। इस जंग में बीते 14 दिनों में दोनों पक्ष की ओर से जानमाल की काफी क्षति हुई है। युद्ध में अब तक सैकड़ों सैनिकों की मौत हो चुकी है। इसमें आम नागरिक भी मारे जा रहे हैं। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में आक्रामकता बढ़ने के संकेत हैं। अमेरिका में यूक्रेन की राजदूत ओक्साना मारकारोवा ने रूस पर वैक्यूम बमों Vacuum Bomb का प्रयोग करने का आरोप लगाया है। हालांकि, रूस ने अभी तक इस दावे की पुष्टि नहीं की है। इसके बाद वैक्यूम बमों की चर्चा जोरों पर है। आखिर क्या है ये वैक्यूम बम? कैसे काम करता है ये वैक्यूम बम? यह इतना विनाशकारी क्यों है? वैक्यूम बमों के इस्तेमाल पर क्या है अंतरराष्ट्रीय नियम?
1- वैक्यूम बम दुनिया का सबसे घातक गैर परमाणु हथियार है। वैक्यूम बम गुफाओं और सुरंगों में छिपे लोगों को मारने में काफी कारगर है। युद्ध के दौरान बंद इलाकों में इस बम का असर सबसे अधिक घातक होता है। वर्ष 2003 में अमेरिका ने इस बम का परीक्षण किया था। इसे मदर आफ आल बम नाम दिया गया है। इस बम से 44 टन के पारंपरिक बम जितना बड़ा धमाका हुआ था इसके साथ ही यह दुनिया में सबसे घातक गैर परमाणु हथियार बन गया। अमेरिका के इस परीक्षण के बाद रूस ने भी इसी तरह का परीक्षण किया, जिसे फादर आफ बम कहा गया।
2- सवाल यह है कि वैक्यूम बमों के इस्तेमाल पर अंतरराष्ट्रीय नियम क्या है। यह एक विनाशकारी बम है, लेकिन अब तक इन बमों को इस्तेमाल न करने के लिए किसी तरह के अंतरराष्ट्रीय कानून नहीं बनाए गए हैं। हालांकि, अगर कोई देश रिहाइशी इलाकों, स्कूल या अस्पतालों में इनका इस्तेमाल करता है तो इस मामले में 1899 और 1907 के हेग कन्वेन्शन के तहत युद्ध अपराध का मामला चलाया जा सकता है।
3- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पहली बार वैक्यूम बमों का इस्तेमाल किया गया था। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जर्मन सेना ने इसका प्रयोग किया था। इसके बाद अमेरिका ने वियतनाम में इन बमों का इस्तेमाल किया था। इसके बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान में पहले वर्ष 2001 में तोरा बोरा की पहाड़ियों में छिपे अल कायदा के आतंकवादियों को नष्ट करने के लिए किया था। वर्ष 1999 में चेचन्या युद्ध के दौनान रूस ने इस बम का इस्तेमाल किया था। उस वक्त ह्युमन राइट्स वाच ने रूस के इस कदम की निंदा की थी। रूस द्वारा बनाए गए वैक्यूम बमों को बशर अल-असद सरकार ने कथित रूप से सीरियाई गृह युद्ध में भी इस्तेमाल किया था। वर्ष 2017 में इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों के खिलाफ इसका इस्तेमाल किया गया था।
क्या है वैक्यूम बम
इसे एयरोसोल बम या फ्यूल एयर विस्फोटक बम भी कहा जाता है। दरअसल, इस बम में एक फ्यूल कंटेनर होता है। इसमें दो अलग विस्फोटक चार्ज लगे होते हैं। इसको एक राकेट या विमान से भी छोड़ा जा सकता है। लक्ष्य पर पहुंचने से पहले यह बम अपने निशाने पर लगता है तो पहले विस्फोट में फ्यूल कंटेनर खुलकर आसपास के क्षेत्र में फ्यूल को फैलाकर एक बादल की शक्ल दे देता है। यह बादल किसी भी इमारत में घुस सकता है, जिसे पूरी तरह सील न किया गया हो। इसके बाद दूसरे विस्फोट में इस बादल में आग लगती है, जिससे आग का एक बड़ा गोला पैदा होता है। इस बम मेंब्लास्ट वेव का जन्म होता है, जो आसपास की सारी आक्सीजन सोख लेता है। इस बम से सैन्य साजो-सामान से लेकर विशेष रूप से तैयार की गईं मजबूत इमारतें भी टूट सकती है।