प्राकृतिक संसाधन संजो कर रखें वरना चुकानी होगी कीमत : योगी
चित्रकूट । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लगातार घटते वन क्षेत्र के प्रति चिंता जताते हुये आगाह किया कि प्राकृतिक संसाधनों को बचाने की जरूरत है, अन्यथा इसकी कीमत पर्यावरण असंतुलन और सूखे के रूप में चुकानी पड़ेगी। श्री योगी ने मंगलवार को पौराणिक नगरी चित्रकूट में वन महोत्सव के अंतर्गत वृक्षारोपण जन आन्दोलन-2022 की शुरूआत विकास खण्ड मानिकपुर के ग्राम पंचायत मड़ैयन के मजरा सेहरिन के पास मटदर प्रथम वन ब्लाक में पीपल, बरगद और पाकड़ (हरिशंकरि) पौधरोपण कर की और 32 करोड़ 87 लाख की योजनाओं का लोकार्पण एवं 82 करोड़ 50 लाख की 27 परियोजनाओं का शिलान्यास भी किया। मुख्यमंत्री अपने जीवन काल में 10,000 पेड़ लगाने एवं उन्हें अच्छे से रखने वाले भैयालाल को माला पहनाकर सम्मानित भी किया। उन्होने कहा कि उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 25 करोड़ है उसी के लक्ष्य को रखते हुए प्रति मनुष्य एक पेड़ के हिसाब से आज 25 करोड़ वृक्षों का रोपण तय किया है। कार्यक्रम स्थल पर विभिन्न विभागों की योजनाओं की प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की प्रदर्शनी स्टाल पर कुमारी श्रृद्धा बड़ी मड़ैयन को अन्न प्रासन एवं गर्भवती महिला श्रीमती लक्ष्मीदेवी बड़ी मड़ैयन की गोद भराई की।
श्री योगी ने कहा कि प्रदेश में एक साथ 35 करोड़ वृक्ष लगाने के इस प्रयास में आज पूरे प्रदेश में 25 करोड़ तथा तीन दिन के अंदर पॉंच करोड़ पौधारोपण किया जायेगा। इसके अलावा पॉंच करोड़ पौधारोपण 15 अगस्त के दिन आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जायेगा। जिसमें प्रत्येक ग्राम पंचायत में 75 पौधे रोपे जायेंगे। उन्होने कहा मैं चित्रकूट की इस धरती को जो सनातन काल की परम्परा का केन्द्र रही है। मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम ने अपने वनवास काल के दौरान सर्वाधिक समय यहॉं व्यतीत किया है। ऐसी भूमि को कोटि-कोटि नमन करता हूॅं तथा साधुजनों का स्वागत करता हूॅं। सबका सौभाग्य है कि अपने वनवास काल में उस कालखण्ड में मर्यादा श्री राम ने इस धरती को पवित्र माना था उस धरती में आज हमलोग वृक्षारोपण कर रहे हैं। त्रेतायुग में यहॉं पर काफी जंगल रहा होगा परन्तु लगातार जनसंख्या बढऩे से वन क्षेत्र कम होता जा रहा है। ग्लोबल वार्निंग से लगातार तापमान बढ़ रहा है। जहां हरे-भरे वन होते थे वहां कंक्रीट के घर बन रहे हैं। मनुष्य जब प्राकृतिक संसाधन को नष्ट करता है तो उसकी कीमत चुकानी पड़ती है यह जीवन चक्र है हम सबका जीवन एक-दूसरे पर आश्रित है।
वनों की कटान होगी तो पर्यावरण असंतुलित होगा और सूखा पड़ेगा। भगवान श्रीराम चित्रकूट कोदण्ड वन कामदगिरि धनुषाकार पर्वत में काफी समय रहे हैं। आज पूरे देश के लोग भगवान श्री कामतानाथ जी की परिक्रमा करते हैं। यहॉं पर एक-एक कण में देवताओं का वास है। रामायण कालीन सभी वृक्षों को लगाने की व्यवस्था इस कोदण्ड वन में किया जायेगा। आने वाले समय में न केवल असमय सूखा का सामना करना पड़ेगा। विगत पॉंच वर्ष में सौ करोड़ विभिन्न विभागों के सहयोग से वृक्षारोपण का कार्य हुआ है। उनकी सुरक्षा की जाय। इसमें प्रयास की आवश्यकता है। लोग समझने का प्रयास नहीं करते हैं। हेरीटेज वृक्ष चिन्हित करना तथा उसके बचाने की आवश्यकता है। पीपल, बरगद, पाकड़, जामुन, ऑंवला, आम, अर्जुन आदि वृक्षों को काटने की मनाही होती है क्योंकि इन वृक्षों पर पूरी जीवन रक्षा रहती है। हर हाल में इनकी रक्षा करें। तथा अधिक से अधिक इन वृक्षों का रोपण किया जाय।