पेगासस जासूसी कांड से जुड़े विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका दाखिल, शीर्ष अदालत से लगाई यह गुहार
इजरायली स्पाईवेयर पेगासस के कथित इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दाखिल हुई है। इसमें न्यूयार्क टाइम्स में प्रकाशित खबर पर संज्ञान लेने और इजरायल के साथ 2017 में हुए रक्षा सौदे की जांच का आदेश देने मांग की गई है। न्यूयार्क टाइम्स की खबर में दावा किया गया है कि भारत ने 2017 में इजरायल के साथ किए गए रक्षा सौदे के एक हिस्से के रूप में पेगासस स्पाईवेयर खरीदा था।
अधिवक्ता एमएल शर्मा द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया है कि इस सौदे को संसद ने मंजूरी प्रदान नहीं की थी, इसलिए इसे रद करने और पैसा वापस लेने की जरूरत है। एमएल शर्मा ने ही इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में मूल याचिका दाखिल की थी। नई याचिका में उन्होंने शीर्ष अदालत से आपराधिक मामला दर्ज करने, पेगासस स्पाईवेयर खरीद सौदे व न्याय के हित में सार्वजनिक धन के कथित दुरुपयोग की जांच के लिए उचित निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है।
याद दिला दें कि पिछले साल 27 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने पेगासस का कथित रूप से इस्तेमाल करके देश के कुछ लोगों की निगरानी करने की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति की नियुक्ति की थी। शीर्ष अदालत का कहना था कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर सरकार को हर बार ‘फ्री पास’ नहीं मिल सकता।
अधिकारियों का कहना है कि पेगासस मामला पहले से सुप्रीम कोर्ट के पास है। शीर्ष अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज आरवी रवींद्रन की निगरानी में मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है। इस समिति की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि समिति ने दो जनवरी को विज्ञापन भी प्रकाशित किया कि जिन लोगों को लगता है कि उनका फोन पेगासस से प्रभावित है वह अपना नंबर बताएं।
दूसरी ओर कांग्रेस ने बजट सत्र में इसको लेकर सरकार की घेरेबंदी का एलान करते हुए आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने पेगासस से जासूसी कर लोकतंत्र का अपहरण ही नहीं किया, बल्कि देश से विश्वासघात भी किया है। सरकार पर संसद से लेकर न्यायपालिका तक को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट से इसका स्वत: संज्ञान लेते हुए सरकार के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू करने का भी आग्रह किया।