पेरिस समझौते के पांच साल पूरे होने पर पीएम मोदी वैश्विक जलवायु सम्मेलन को आज करेंगे संबोधित
पेरिस समझौते के पांच साल पूरे होने पर संयुक्त राष्ट्र की ओर से वर्चुअल आयोजित किए गए वैश्विक जलवायु सम्मेलन को शनिवार यानी 12 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे। फिलहाल इस सम्मेलन का आयोजन ब्रिटेन की ओर से किया गया है। केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावडेकर ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। पेरिस समझौता 12 दिसंबर 2015 में हुआ था। वैश्विक तापमान को दो डिग्री से ज्यादा न बढ़ने देने के लक्ष्य को लेकर चलने वाले बड़े देशों में भारत सबसे आगे है।
जलवायु परिवर्तन से जुड़े पेरिस समझौते के पांच साल पूरा होने पर केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि आज दुनिया के सामने जलवायु परिवर्तन की जो चुनौतियां खड़ी हुई, उसके लिए भारत बिल्कुल भी जिम्मेदार नहीं है। वैसे भी यह समस्या कोई आज की नहीं है, बल्कि पिछले सौ सालों में बड़े पैमाने पर किए गए जा रहे ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन का परिणाम है। इनमें अमेरिका और यूरोप के देशों के साथ चीन की भूमिका सबसे ज्यादा है।
जावडेकर ने कहा- ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में 25 फीसद हिस्सेदारी यूएस की, 13 फीसद चीन की
केंद्रीय मंत्री जावडेकर ने बताया कि दुनिया के जिन देशों में ग्रीन हाउस गैसों का सबसे ज्यादा उत्सर्जन होता है, उनमें अमेरिका सबसे आगे है। जहां दुनिया में होने वाले कुल उत्सर्जन का अकेले 25 फीसद होता है, जबकि यूरोपीय देशों में इसका 22 फीसद, चीन में 13 फीसद और भारत में सिर्फ तीन फीसद होता है। वाबजूद इसके भारत एक जिम्मेदार देश होने के नाते पिछले पांच सालों में इसे कम करने के लिए मुस्तैदी से जुटा है। यही वजह है कि वैश्विक तापमान को दो डिग्री पर रखने के लक्ष्य को लेकर दुनिया के जो देश बेहतर काम कर रहे है, उनमें भारत सबसे अग्रणी है। इस लेकर जिन और भी देशों में बेहतर काम हो रहा है, उनमें फिलीपींस, भूटान, इथोपिया, मोरक्को और गाम्बिया जैसे देश शामिल है। यह सभी छोटे देश है। इनमें बड़े देशों में अकेले भारत ही है।
भारत ने ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन की तीव्रता को 21 फीसद तक कम कर लिया
उन्होंने बताया कि पेरिस समझौते के तहत भारत को ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन की तीव्रता को करीब 33 फीसद तक कम करनी थी, जिसे फिलहाल हमने 21 फीसद तक कम कर लिया है। शेष लक्ष्यों को अगले दस सालों में भी हासिल कर लेंगे। केंद्रीय मंत्री ने इस दौरान ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी। जिसमें सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना, वाहनों में ईंधन के रूप में सीएनजी का इस्तेमाल, उद्योगों में नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल आदि शामिल है।