02 November, 2024 (Saturday)

ओलंपिक एवं लोकतंत्र के बहाने चीन-अमेरिका के बीच कूटनीतिक जंग तेज, क्‍या नए शीत युद्ध की है आहट? क्‍या है भारत का स्‍टैंड

अमेरिका और चीन के बीच शुरू हुआ वाक युद्ध अब धीरे-धीरे शीत युद्ध की ओर अग्रसर है। अमेरिका के वैश्विक लोकतंत्र और चीन में 2022 में होने वाले शीतकालीन ओ‍लंप‍िक्‍स को लेकर दोनों देशों ने एक दूसरे के खिलाफ कूटनीतिक मोर्चा खोल दिया है। दोनों देशों की इस कूटनीतिक जंग की आंच दुनिया के अन्‍य मुल्‍कों पर भी पड़ना शुरू हो गई है। खासकर इसका असर एशियाई मुल्‍कों पर तेजी से देखा जा रहा है। आखिर अमेरिका और चीन की भूमिका में भारत का क्‍या स्‍टैंड है ? क्‍या यह कूटनीतिक जंग एक नए शीत युद्ध की दस्‍तक की आहट है ? क्‍या चीन का मकसद दो ध्रुवीय व्‍यवस्‍था कायम करने की ओर संकेत है ? क्‍या है अमेरिका का वैश्विक लोकतंत्र सम्‍मेलन ? इस सम्‍मेलन से चीन और रूस क्‍यों खफा है ? शीतकालीन ओलंपिक्‍स पर क्‍या है अमेरिका का स्‍टैंड ? इन तमाम मसलों पर जानेंगे व‍िशषज्ञ प्रोफेसर हर्ष वी पंत की राय।

अमेरिका की वैश्विक लोकतंत्र सम्‍मेलन के कूटनीतिक मायने

1- प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि अमेरिका की वैश्विक लोकतंत्र सम्‍मेलन एक सोची समझी रणनीति का ह‍िस्‍सा है। ऐसा करके अमेरिका ने दुनिया को यह साफ संदेश दिया है कि दुनिया का विभाजन लोकतांत्रिक और गैर लोकतांत्रिक देशों के बीच है। बाइडन प्रशासन का यह कदम ऐसे वक्‍त उठाया गया है, जब अमेरिका और चीन के बीच तनाव चरम दौर से गुजर रहा है। बाइडन प्रशासन ने इस सम्‍मेलन में चीन को निमंत्रण नहीं भेजकर इस विभाजन की रेखा को और गहरी कर दिया है। बाइडन की नजर दक्षिण एशियाई और दक्षिण पूर्व एशियाई मुल्‍कों पर टिकी है। आकस और क्‍वाड का गठन इस क्रम में देखा जा सकता है। बाइडन चीन को दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया में अलग-थलग करना चाहते हैं।

2- बाइडन से उम्‍मीद की जा रही थी कि वह सत्‍ता में आने के बाद चीन के साथ रिश्‍तों में सुधार करेंगे, लेकिन बाइडन और चीन की अब तक कोई बैठक नहीं हुई। हालांकि, दोनों नेताओं की बीच वर्चुअल बैठक हुई, लेकिन वह बेनतीजा रही। चीन ताइवान और दक्षिण चीन सागर और हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपनी योजना से टस से मस नहीं हो रहा है। दरअसल, चिनफ‍िंग और बाइडन के बीच हुई वर्चुअल बैठक बेनतीजा रहने के बाद बाइडन प्रशासन ने शायद यह तय कर लिया है कि चीन को कूटनीतिक मोर्चे पर शिकस्‍त देना है। चीन को दुनिया के अन्‍य मुल्‍कों से अलग-थलग करना है। लोकतंत्र पर चीन के बह‍िष्‍कार को इसी कड़ी के रूप में देखना चाहिए।

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