मुजफ्फरनगर के वो चार मामले जिनमें झूठी गवाही से पलट गया फैसला, फिर कोर्ट ने कसा शिकंजा



नामजद रिपोर्ट दर्ज कराकर वादी ही कोर्ट में गवाही से मुकर रहे हैं, जिससे पीड़ितों को इन्साफ मिलना मुश्किल हो गया है। ऐसा करने वालों पर अदालत सख्त कदम उठा रही है। झूठी सूचना देने वालों और पक्षद्रोही साबित होने वालों पर कोर्ट विभिन्न प्रावधानों के तहत कार्रवाई कर रही है, लेकिन लोग बाज नहीं आ रहे।
केस नंबर-1 : भोपा के गादला गांव में धनसिंह की चाकू मारकर हत्या कर दी गई। मृतक के पुत्र पोपीन ने गांव के अरविंद, राहुल व टिंवकल के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया, लेकिन पोपीन कोर्ट में पक्षद्रोही हो गया, जिससे उसके पिता के हत्यारे बरी हो गए। कोर्ट ने पोपीन के विरुद्ध कार्रवाई की।
केस नंबर-2 : डेढ़ वर्ष पूर्व मंसूरपुर थाना क्षेत्र की नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया गया। पीड़िता की दादी ने स्वयं आरोपित के विरुद्ध नामजद रिपोर्ट कराई, लेकिन कोर्ट से बाहर समझौते के फलस्वरूप गुनहगार पर दादी का दिल पसीज गया। कोर्ट में आरोप से मुकरने पर धारा-182 के तहत कार्रवाई का आदेश दिया गया।
केस नंबर-3 : शाहपुर थाना क्षेत्र के गांव निवासी व्यक्ति ने बेटी से दुष्कर्म की रिपोर्ट लिखाते हुए गांव के आजाद को आरोपित किया। पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, लेकिन कोर्ट के बाहर समझौते के चलते वादी मुकदमा ने आरोपित के पक्ष में शपथ देकर कहा कि उसकी बेटी से दुष्कर्म नहीं हुआ। कोर्ट ने वादी पर कार्रवाई की।
केस नंबर-4 : पुरकाजी निवासी राजवती ने पांच वर्ष पूर्व कुछ लोगों पर मारपीट तथा जानलेवा हमले का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने कोर्ट में आरोपितों पर चार्जशीट भी लगा दी थी, लेकिन राजवती तथा दूसरे चश्मदीद धारा सिंह ने कोर्ट में आरोपितों के पक्ष में बयान दिया, जिससे वे बरी हो गए। फास्ट ट्रैक कोर्ट-दो की जज मधु गुप्ता ने राजवती तथा धारा सिंह पर 344 सीआरपीसी के तहत 400-400 रुपये का अर्थदंड लगाया।