बड़े नेक्सेस की ओर बढ़ रही फर्जी कॉल सेंटर मामले की जांच, इस तरह चलता है डेटा चोरी का खेल
फर्जी कॉल सेंटर मामले की जांच धीरे धीरे एक बड़े नेक्सेस की ओर बढ़ने लगी है। पांच कॉल सेंटर संचालकों की गिरफ्तारी के बाद गाजियाबाद पुलिस उनके लिए पते का फर्जी प्रमाण पत्र वाले गिरोह का खुलासा कर चुकी है। अब पुलिस ने इस गिरोह को उपभोक्ताओं का डेटा उपलब्ध कराने वाले बीपीओ कर्मियों की तलाश शुरू कर दी है।
साइबर सेल के अधिकारियों की मानें तो गिरोह से जुड़े करीब दर्जनभर लोग अभी तक चिन्हित हो चुके हैं, लेकिन अंदेशा है कि यह संख्या और बढ़ सकती है।
क्षेत्राधिकारी साइबर सेल अभय कुमार मिश्रा ने बताया कि इस गिरोह से जुड़े सभी तथ्यों की बारीकी से पड़ताल कराई जा रही है। इस पड़ताल में मामले की जांच को काफी विस्तार मिल रहा है। उन्होंने बताया कि जल्द ही इस गिरोह को उपभोक्ताओं का डेटा उपलब्ध कराने वाले बीपीओ कर्मियों की पहचान कर गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
सेफ्टी वॉल के अभाव में चलता है डेटा का खेल
जांच से जुड़े पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, सभी बैंक ने अपने कस्टमर केयर सेंटर के लिए बीपीओ आउटसोर्स कर रखा है। ऐसे में बैंकों का सारा डेटा उनसे जुड़े बीपीओ के पास होता है। चूंकि यह सारा डेटा ऑनलाइन होता है और इसमें कोई सेफ्टी वॉल नहीं होता। ऐसे में बीपीओ कर्मी तो डेटा बेच ही सकते हैं, बैंक के कर्मचारी या अधिकारी भी गद्दारी कर सकते हैं।
बल्क में होती है डेटा की खरीद-फरोख्त
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, फर्जी कॉल सेंटरों को डेटा बल्क में मिलता है। इसके लिए कॉल सेंटर संचालक डेटा उपलब्ध कराने वालों को प्रति हजार के हिसाब से भुगतान करते हैं। यह भुगतान पांच हजार से दस हजार रुपये प्रति हजार डेटा के हिसाब से होता है।